केस 1प्रेमनगर में प्राइवेट कंपनी के मैनेजर व डायरेक्टर पर नाबालिग लड़की को बहला-फुसलाकर अपहरण का आरोप लगा. लड़की बरामद होने के 15 दिन से ज्यादा बीत गए पर डिसाइड नहीं हो सका कि वह किसके साथ जाएगी. इस केस में स्टार्टिंग से ही पुलिस की फजीहत ही हुई है. यहां तक कि महिला थाने से लड़की भागने पर चार महिला पुलिसकर्मियों को सस्पेंड भी होना पड़ा. केस 2कुछ दिन पहले सुभाषनगर में अपहरण के मामले में पुलिस ने नाबालिग लड़की को बरामद किया. पहले तो पुलिस को उसका मेडिकल कराने में काफी टाइम लग गया. फिर सीओ के न होने के चलते उसके कोर्ट में बयान नहीं हो सके. परिजनों के अधिकारियों से शिकायत करने पर पुलिस को फटकार लगाई गई.केस 3 फतेहगंज पश्चिमी में एक धर्म के लड़के ने दूसरे धर्म की लड़की को बहला-फुसलाकर अपहरण कर लिया. पुलिस ने एफआईआर दर्ज की लेकिन लड़की को बरामद नहीं कर सकी. धर्म अलग-अलग होने के चलते पब्लिक पुलिस पर हावी हो गई. लोगों ने पूरे एरिया में बंदी कर दी. Bareilly : इन दिनों नाबालिग लड़कियों ने पुलिस की नींद उड़ा रखी है. लड़कपन के प्यार में वे घर छोड़कर भाग जाती है और घरवाले पुलिस का दरवाजा खटखटाते हैं. डिपार्टमेंटल प्रेशर के साथ-साथ पुलिस को सोशल और पॉलिटिकल समेत कई प्रेशर फेस करने पड़ते हैं. इस दौरान अगर जरा सी गलती हो गई तो नौकरी तक पर बन आती है. बरेली पुलिस के अगर सितंबर के ही रिकॉर्ड पर नजर डालें तो पुलिस की मुश्किल आपको बखूबी समझ आ जाएगी. इस महीने 21 लड़कियों को बहला-फुसलाकर अपहरण की एफआईआर अलग-अलग थानों में दर्ज की जा चुकी है. इनमें से 12 केस तो सिर्फ सिटी के ही हैं.


Teenage का प्यारआजकल टीनेज में ही प्यार-मोहब्बत के तमाम केस देखने को मिलते हैं। घरवालों को पता लगने पर पेरेंट्स इसे रोकने का प्रेशर डालते हैं। रिजल्ट ये निकलता है कि गल्र्स और ब्वॉयज घर से भाग जाने का डिसीजन ले लेते हैं। इस पर घरवाले सीधे पुलिस के पास पहुंचते हैं और फिर असली काम पुलिस का स्टार्ट होता है। पुलिस का procedure लंबा
सबसे पहले पुलिस एफआईआर दर्ज कर केस का आईओ डिसाइड करती है। फिर जल्द से जल्द लड़की को बरामद कर आरोपियों को अरेस्ट कर जेल भेजती है। इसमें देरी होने पर फैमिली लड़की की बरामदगी के लिए अधिकारियों से शिकायत करने लगती हैं। लड़की बरामद होने के बाद जर्नी टाइम को छोड़कर उसे 24 घंटे में कोर्ट में पेश करना होता है। पुलिस की मानें तो मेडिकल में हॉस्पिटल सपोर्ट नहीं करता। एक दिन में मेडिकल, दूसरे दिन एक्सरे और फिर तीसरे दिन सप्लीमेंट्री रिपोर्ट देने में कई दिन लग जाते हैं। कोर्ट में बयान के बाद जब तक डिसीजन नहीं आ जाता, पुलिस की टेंशन खत्म नहीं होती। इस प्रोसेस के दौरान लड़की को महिला थाने में रखने के साथ उसकी सिक्योरिटी भी करनी पड़ती है। कई बार बालिग लड़की को पेरेंट्स नाबालिग बता देते हैं। ऐज वैरीफिकेशन के लिए लड़की की मेडिकल रिपोर्ट व ऐज प्रूफ डॉक्यूमेंट्स कलेक्ट करने होते हैं। इसके अलावा लड़की ने अगर मैरिज कर ली है, तो उसके मैरिज डॉक्यूमेंट्स भी कोर्ट में पेश करने पड़ते हैं। सितंबर में अब तक दर्ज FIRडेट              थाना2 सितंबर          कोतवाली3 सितंबर          महिला थाना4 सितंबर          नवाबगंज5 सितंबर          भमोरा6 सितंबर          फतेहगंज पश्चिमी7 सितंबर          इज्जतनगर व सुभाषनगर9 सितंबर          इज्जतनगर12 सितंबर        प्रेमनगर14 सितंबर        आंवला18 सितंबर        किला19 सितंबर        किला21 सितंबर        फतेहगंज पश्चिमी26 सितंबर        शीशगढ़27 सितंबर        बारादरी व शाही28 सितंबर        बिथरी, किला व फतेहगंज पश्चिमी 'पुलिस की रेस्पांसिबिलिटी है कि एफआईआर दर्ज कर लड़कियों को बरामद करे और उन्हें कोर्ट में पेश करे। इस दौरान पुलिस पर काफी प्रेशर रहता है। सब कुछ कानून के दायरे में करना पड़ता है.' त्रिवेणी सिंह, एसपी सिटी बरेली

Posted By: Inextlive