- कोरोना जांच के समय सही पता और एक्टिव मोबाइल नंबर दर्ज नहीं होने से आरआरटी के लिए बढ़ी मुश्किलें

- दो सौ से अधिक मरीज जिन्होंने दर्ज कराया है गलत मोबाइल नंबर

कोरोना जांच के समय सही पता और एक्टिव मोबाइल नंबर दर्ज नहीं होने से आरआरटी के लिए बढ़ी मुश्किलें

- दो सौ से अधिक मरीज जिन्होंने दर्ज कराया है गलत मोबाइल नंबर

GORAKHPUR: GORAKHPUR: ासिटी के करीब दो सौ होम आइसोलेट कोरोना पेशेंट्स गलत नंबर देने के कारण हेल्थ डिपार्टमेंट की चिकित्सकीय सुविधाओं से वंचित रह जा रहे हैं। इन पेशेंट्स ने या तो गलत नंबर रजिस्टर्ड कराएं हैं या फिर यूज में न रहने वाले मोबाइल नंबर दर्ज कराया है। इसको देखते हुए सीएमओ डॉ। श्रीकांत तिवारी ने गोरखपुराइट्स से अपील किया है कि पेशेंट्स कोरोना सैंपल देने से पहले सही सूचनाएं ही दर्ज कराएं। पता पूरा एक्टिव मोबाइल नंबर ही रजिस्ट्रेशन फॉर्म में फिलअप करें। जिससे कि रैपिड रिस्पांस टीम (आरआरटी) को चिकित्सकीय सहायता पहुंचाने में किसी तरह की दिक्कत न आए। उन्होंने बताया कि जिले में सैकड़ों ऐसे कोरोना मरीज, जिनका इलाज चल रहा हैं, उन्होंने सही अड्रेस दर्ज नहीं कराया है। आरआरटी जब ऐसे लोगों को कॉल करती है तो उनका मोबाइल नंबर भी नॉट रिचेबल बताता है। ऐसे स्थिति में हेल्थ डिपार्टमेंट की आरआरटी को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

तभी होम आईसोलेशन वाले मरीजों को मिलेगी सुविधा

बता दें, गोरखपुर में क्ब् हजार से अधिक केसेज हो चुके हैं। इनमें से 8900 से अधिक होम आईसोलेट वाले मरीज हैं। जिनका घर पर ही इलाज चल रहा है। लेकिन दो सौ से अधिक ऐसे मरीज हैं जो मोबाइल नंबर गलत फीडिंग होने के कारण चिकित्सकीय सुविधा से वंचित रह जा रहे हैं। वहीं, सीएमओ ने बताया कि कोरोना के प्रति जो स्टिगमा एवं डिस्क्रिमिनेशन का भाव है, उसके कारण भी लोग ऐसा कर रहे हैं। ऐसे लोगों को सोच बदलनी होगी। आरआरटी होम आईसोलेशन वाले मरीजों की सहायता के लिए तभी पहुंच पाएगी। जबकि सूचना सही दी गई हो। उन्होंने बताया कि सैंपलिंग के स्तर पर भी सतर्कता बढ़ाने के दिशा-निर्देश दिये गए हैं ताकि डिएक्टिव नंबर रजिस्ट्रेशन के स्तर पर भी प्वाइंट आउट किए जा सकें, फिर भी अगर पॉजिटिव आने के बाद किसी का मोबाइल नॉट रिचेबल होगा तो सहयोग करने में प्रॉब्लम आएगी।

ढूढ़ रहे नाम व पता

म्ब् साल के अमरेंद्र बहादुर मिश्रा (बदला हुआ नाम) ने पंजीकरण के समय पता बुद्ध विहार तारामंडल दर्ज करवाया। मौके पर आरआरटी भेजी गई तो पते की तस्दीक नहीं हो सकी। उनका मोबाइल नंबर यूज में था। होम आईसोलेट के दौरान इलाज के लिए उन तक मदद पहुंचा पाना संभव नहीं हो पा रहा है। रंजन गौर (बदला हुआ नाम) ने अपना पता एडी बेसिक कार्यालय दर्ज करा दिया। आरआरटी ने सहयोग का प्रयास किया तो रंजन का नंबर भी गलत निकला और पता भी गलत निकला।

मोबाइल रखना है ऑन

कोरोना पॉजिटिव होने के बाद अपना रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर ऑन रखें। जिससे कि हरसंभव मदद की जा सके। ढेर सारे रूरल एरिया के लोगों ने शहरी स्वास्थ्य केंद्रों पर जांच करवा कर गलत पता दे दिया है। ऐसे लोगों तक सहायता नहीं पहुंच पा रही है। अगर आप कोरोना पॉजिटिव हैं तो दफ्तर का पता दर्ज करवाने के बजाय उस स्थान का पता दर्ज कराएं जहां रहते हैं।

Posted By: Inextlive