GORAKHPUR : त्योहारों की सीजन सिर पर है. पुलिस से सामान्य दिनों की अपेक्षा अधिक मुस्तैदी की उम्मीद की जाती है. लेकिन पुलिस डिपार्टमेंट अपनी ड्यूटी निभाने के लिए व्हीकल्स का मोहताज है. जो व्हीकल हैं उनमें से ज्यादातर ठीक हालत में नहीं हैं और बाकी को कंडम घोषित कर शासन से डिमांड की जा रही है कि पुलिस को नए वाहन मुहैया कराएं जाएं. पुलिस की खस्ता हालत का आलम यह है कि इस डिपार्टमेंट के पास व्हीकल्स और ड्राइवर्स की कमी है. पुलिस की गाडिय़ां उधार पर चलती हैं क्योंकि रिपेयरिंग के लिए पुलिस के पास अपना वर्कशॉप तक नहीं है.


डिपार्टमेंट जूझ रहा व्हीकल्स की कमी सेएक तरह पुलिस को हाईटेक करने की बात होती है। वहीं दूसरी तरफ पुलिस डिपार्टमेंट अव्यवस्थाओं से जूझ रहा है। पुलिस के लिए पुलिस लाइन में व्हीकल्स ही नहीं है। अफसरों को गाड़ी उपलब्ध कराने के लिए लाइन में तैनात कर्मचारियों को 'जुगाड़' करना पड़ता है। गोरखपुर पुलिस के पास कुल 162 व्हीकल हैं जिसमें 77 बाइक और स्कूटी और 85 चार पहिया वाहन हैं। इनमें जीप, जिप्सी, कार, बंदियों को लाने वाला मिनी ट्रैक, पांच वज्र शामिल हंै। पुलिस लाइन में 21 गाडिय़ों को कंडम घोषित कर इसकी लिस्ट भी शासन को भेज दी गई है। अब नए व्हीकल्स के आर्डर का इंतजार किया जा रहा है।व्हीकल नहीं ड्राइवर की भी कमी


गोरखपुर पुलिस के पास केवल व्हीकल्स का ही नहीं बल्कि ड्राइवरों का भी अकाल है। 85 चार पहिया व्हीकल के लिए मात्र 75 ड्राइवर हैं। जिन्हें डे और नाइट दोनों टाइम ड्यूटी करनी पड़ रही है। आलम यह है कि थानों पर भी ड्राइवर की भारी कमी है। यहीं नहीं एम.टी सेक्शन में भी स्टॉफ की कमी है। जहां पांच का स्टॉफ होना चाहिए वहां मात्र तीन से ही काम चलाया जा रहा है।रिपेयरिंग के लिए वर्कशॉप तक नहीं

पुलिस डिपार्टमेंट की खस्ता हालत का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि खराब गाडिय़ों की मरम्मत के लिए डिपार्टमेंट के पास अपना वर्कशॉप तक नहीं है। अभी गाडिय़ों की मरम्मत के लिए सीतापुर, लखनऊ, बनारस, मुरादाबाद और आगरा का सहारा लेना पड़ता है क्योंकि इन शहरों में ही पुलिस का व्हीकल सर्विस सेंटर है। कोई छोटी खराबी ठीक करवाने के लिए भी वाहन को लाने ले जाने में ही रिपेयरिंग से कई गुना ज्यादा खर्च आ जाता है।उधार में बनती है पुलिस की गाड़ी वर्कशॉप न होने के चलते मजबूर पुलिस की गाडिय़ों की मरम्मत तो लोकल लेवल पर हो जाती है लेकिन पेमेंट उधार चलता है। मजबूरी में व्हीकल की रिपेयरिंग और मरम्मत प्राइवेट मैकेनिक से कराई जाती है। रिपेयरिंग का बिल बनवाकर शासन को भेजा जाता है और ग्र्रांट मिलने के बाद ही पेमेंट होती है। इसके चलते प्राइवेट मैकेनिक पुलिस व्हीकल रिपेयर कराने से कतराते हैं।कंडम घोषित व्हीकल दो पहिया वाहन - 17 चार पहिया वाहन - 04 पुलिस के पास व्हीकल बाइक और स्कूटी - 77 चार पहिया वाहन - 85 इनकी है डिमांड-एसपी क्राइम               - 01 चार पहिया गाड़ी सहायक रेडियो अफसर     - 01 चार पहिया गाड़ी

ट्रेनिंग सीओ               - 01 चार पहिया गाड़ी 7 थानों के लिए           - 7 चार पहिया गाड़ी फील्ड यूनिट               - हल्का वाहन (चार पहिया)ए.एस चेक                 - मिनी बस डॉग स्कवायड              - हल्का वाहन (चार पहिया) स्पोर्टस टीम               - 02 हल्के वाहन (चार पहिया) पुलिस बल                - 02 मिनी बसवज्र                      - 05 व्हीकल वाटर कैनन               - 01अपाचे समेत 21 व्हीकल्स को कंडम घोषित कर रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है। शासन को नई गाडिय़ों की डिमांड लिस्ट भी भेजी गई है। मुंशी लाल शर्मा, उपनिरीक्षक परिवहन, पुलिस लाइन

Posted By: Inextlive