GORAKHPUR : 'हैलो मैं गोरखपुर डिपो का स्टेशन सुप्रिटेंडेंट बोल रहा हूं... एसओ साहब मेरी बस किस आधार पर आपने पकड़ी है?' दरअसल आरटीओ के आदेश पर यूपीएसआरटीसी गोरखपुर रीजन की अनुबंधित बसों के परमिट की चेकिंग में गोरखपुर डिपो के स्टेशन सुप्रिटेंडेंट कार्यवाहक की बस को परमिट न होने की वजह से खोराबार पुलिस ने पकड़ लिया. और 6 बसों का चालान भी काटा गया.


पूरे दिन परेशान रहे अनुबंधित बस मालिक दरअसल, आरटीओ निर्मल प्रसाद के आदेश पर सैटर्डे को आरटीओ टीम व स्थानीय पुलिस ने डिफरेंट रूट्स पर अनुबंधित बसों की धर-पकड़ की। धर-पकड़ में रोडवेज गोरखपुर डिपो के एसएस समेत 3 अनुबंधित बसों को बंद कर दिया गया और 2 बसों का चालान काटा गया। बसों के थाने में खड़े होने से बस मालिकों में हडकंप मच गया। बस एसोशिएसन ऑनर्स के प्रेसीडेंट विनोद पांडेय ने बताया कि डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर से फोन पर बात करने के पता चला कि उनकी तरफ से आरटीओ को सिर्फ नोटिस जारी करने की परमिशन दी गई थी तो फिर अचानक से बसों को बंद करने की कवायद क्यों शुरू कर दी गई।बकाया राशि जमा करें अभियान ऑटोमैटिक बंद हो जाएगा
आरटीओ के मुताबिक, यूपीएसआरटीसी गोरखपुर रीजन में चलने वाली 231 अनुबंधित बसों के 1993 से 2013 तक किसी भी बस का परमिट नहीं लिया गया और ना ही उसका पेमेंट जमा किया गया। जब प्रत्येक बस से 8700 रुपए लेने का प्रावधान है। इस हिसाब से करीब एक करोड़ रुपए से ज्यादा अनुबंधित बसों का बकाया है। उ.प्र कर्मचारी संघ से संबध परिवहन मजजूर महासंघ एवं भारतीय मजदूर संघ के प्रदेश संगठन मंत्री दयाराम ने बताया कि अनुबंधित बसों के परमिट रोडवेज के आला अधिकारी से ली जाए। क्योंकि नीतिगत गाडिय़ों का चालान करना गलत है।

Posted By: Inextlive