- BSNL के पोस्टपेड कनेक्शन में मिली उजागर हुई गड़बड़ी

-जिसके नाम कनेक्शन होने का दावा, उसने किया इंकार

-डिपार्टमेंट के फूले हाथ-पांव, भेजी नोटिस

GORAKHPUR: बीएसएनएल में फिर एक गड़बड़झाला सामने आया है। एक कंज्यूमर के नाम महज तीन साल में दो लाख रुपए का बिल भेज दिया। मामला भी दस साल पुराना है। जब कंज्यूमर के पास दस लाख का बिल चुकाने की नोटिस पहुंची तो उसके होश फाख्ता हो गए। आनन-फानन में वह बीएसएनएल ऑफिस पहुंचा तो अफसरों ने पल्ला झाड़ लिया। वहीं कंज्यूमर अनिल का कहना है कि उसने कभी ऐसा कोई सिम लिया ही नहीं है।

2003 का मामला

अनिल कुमार सोनकर ब्योरी गोला बाजार के रहने वाले हैं। 2003 में उनके नाम से बीएसएनएल का पोस्डपेड नंबर इशू किया गया। इसमें नाम और पता अनिल का ही था, लेकिन अनिल का कहना है कि उन्होंने सिम कभी इस्तेमाल ही नहीं किया। 2003 से 2006 के बीच यह नंबर एक्टिव रहा। अनिल की मानें तो उन्हें कभी भी बीएसएनएल का कोई बिल नहीं मिला, जबकि 2017 में उन्हें एक नोटिस मिला, जिसमें एक लाख 80 हजार रुपए बकाए होने की बात कही गई है।

तीन महीने में दो लाख कैसे?

जिस पीरियड में यह सिम लिया गया था, वह बीएसएनएल सिम का शुरुआती दौर था। इस दौरान एक-एक सिम के लिए मारामारी होती थी और लोगों को ब्लैक में सिम मिलता था। इस केस में वजह जो भी हो, लेकिन बीएसएनएल ने यूसेज पीरियड 2003 से 2006 के बीच का बताया है। मगर जब दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने इस मामले में पड़ताल की तो पता चला कि यह बिल महज तीन महीने में ही दो लाख के पास पहुंच गया था। नवंबर 2003 में जहां इस मोबाइल नंबर से 500 रुपए की बात हुई थी, वहीं दिसंबर 2003 में इससे 68 हजार के आसपास की बिलिंग हो गई। जनवरी 2004 में फिर एक लाख रुपए से ऊपर का बिल जनरेट हो गया, वहीं फरवरी में भी आठ हजार के आसपास बात हुई और इसके बाद इस नंबर का इस्तेमाल नहीं हुआ।

क्यों नहीं बंद किया सिम?

पोस्टपेड मोबाइल सिम देने के दौरान मोबाइल कंपनीज सिक्योरिटी डिपॉजिट जमा कराती हैं। इसके साथ ही वह उस सिक्योरिटी के हिसाब से क्रेडिट लिमिट तय करती हैं। बिल उस अमाउंट से एक्सेस हो जाने पर ऑटोमेटिक फोन डिसकनेक्ट कर दिया जाता है। मगर इस केस में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। मोबाइल से लगातार तीन महीने तक हजारों रुपए की बात होती रही, लेकिन जिम्मेदारों को इसकी खबर नहीं हुई। उन्होंने न तो कंज्यूमर को इसका बिल ही भेजा और न ही नंबर बंद किया। इसकी वजह से महज तीन मंथ में ही एक लाख 80 हजार रुपए के आसपास बिल जनरेट हो गया।

बॉक्स -

पहले भी लग चुकी है चपत

बीएसएनएल में फ्रॉड कर बात करने की यह पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी 2011 अप्रैल में बीएसएनएल में प्रॉपर आईडी वेरिफिकेशन न होने की वजह से चार ऐसे पोस्टपेड सिम एलॉट कर दिए गए, जिससे कि फ्रॉर्डियर्स ने लाखों रुपए की बातें कर डाली। इसके बाद भी मामला नहीं खुला, करीब दो मंथ के बाद जब सर्किल ऑफिस से वेरिफिकेशन हुआ तो उसमें यह बात सामने आई। तब तक वह कंपनी को लाखों का चूना लगा चुके थे और उसके बाद वह सिम बंद करके फरार हो गए। बीएसएनएल की जांच में सामने आया कि जिन आईडी पर सिम एलॉट किए गए थे, वह फेक आईडी थी। नाम और अड्रेस दोनों ही फर्जी था। वेरिफिकेशन न होने का खमियाजा खुद विभाग के लोगों को भुगतना पड़ा और कॉमर्शियल ऑफिसर समेत तीन लोगों को सस्पेंड कर दिया गया था। कर्मचारियों को तो उन्होंने सस्पेंड कर दिया, लेकिन 70 लाख रुपए की वसूली न कर पाए और इस तरह से विभाग को लाखों की चपत झेलनी पड़ी।

कॉलिंग

मैंने बीएसएनएल का कोई पोस्टपेड सिम नहीं लिया था, इसके बाद भी मेरे पास एक लाख 82 हजार 932 रुपए के बकाए का नोटिस आ गया। मैं लोक अदालत गया, जहां से मुझे पैसा जमा कराने के लिए कहकर लौटा दिया गया। वहीं बीएसएनएल ऑफिस के भी कई बार चक्कर काट चुका हूं, लेकिन अब तक प्रॉब्लम सॉल्व नहीं हो सकी है।

- अनिल कुमार सोनकर, पीडि़त

मामले की शिकायत मिली है। यह मामला 2003 का है, इसलिए यह जांच का विषय है। जांच कराकर जो भी इसके लिए जिम्मेदार होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

- जीपी त्रिपाठी, जीएम, बीएसएनएल

Posted By: Inextlive