कागजों में सड़क सुरक्षा, 18 ब्लैक स्पॉट पर 186 ने गंवाई जान
- एक्सीडेंट्स को रोकने नहीं उठाए गए ठोस कदम, जिम्मेदार ओवर स्पीड को बता रहे हादसे की वजह
GORAKHPUR: रोड सेफ्टी के लिए हुई कागजी कवायदें अब जिंदगी पर भारी पड़ने लगी हैं। गोरखपुर में 18 ब्लैक स्पॉट चिह्नित तो कर लिए गए हैं, लेकिन इन स्थानों पर एक्सीडेंट को रोकने ठोस कदम नहीं उठाए गए। जिम्मेदारों की लापरवाही से 2021 के 6 माह में ही 186 लोगों की एक्सीडेंट्स में डेथ हो गई। इन एक्सीडेंट में कुछ तो वाहनों की ओवर स्पीड का शिकार हो गए। जिले में 18 स्थानों पर हैं ब्लैक स्पॉट कोनी मोड़ तिराहा फोरलेन, पीपीगंज, रामनगर करजहां, जंगल धूसड़ से पिपराइच, चौरीचौरा से भोपा बाजार, बेलो सिधावल, मरचहवा बाबा तिराहा, देवीपुर, रामपुर बुजुर्ग, चवरिया खुर्द, बोकटा, खजांची चौराहा, चौमुखा, भीटी रावत, कसीहार बगहावीर मंदिर, बोकटा, दाना पानी होटल, भीटीरावत, मरचही कुटी, रावतगंज, फुटहवा इनार, निबियहवा ढ़ाला, चौमुखा और नौसढ़।साइन बोर्ड और रिफ्लेक्टर सही से नहीं लगने की वजह से हादसे
एडमिनिस्ट्रेशन डाटा के अनुसार सिटी में जो 18 ब्लैक स्पॉट हैं। वहां साइन बोर्ड और रिफ्लेक्टर ठीक प्रकार से नहीं लगे होने के कारण लगातार हादसे हो रहे हैं।एक्सीडेंट रोकने के लिए बनाते प्लान आरटीओ से जुड़े लोगों का कहना है कि गवर्नमेंट ने कमेटी ऑन रोड सेफ्टी बनाने का निर्देश जारी किया था। इसके तहत एक कमेटी बनाई गई है। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस के मुताबिक संसद सदस्य लोकसभा बांसगांव की अध्यक्षता में छह फरवरी 2021 को कमेटी की बैठक हुई थी। इस दौरान उपस्थित लोगों ने बढ़ती हुई दुर्घटनाओं, घायलों और मृतकों की संख्या पर अत्यधिक चिंता जताते हुए इसे कम करने पर जोर दिया। लेकिन बैठक का एजेंडा कागज में ही रह गया। इससे पूर्व 23 नवंबर 2020 को कमेटी ऑन रोड सेफ्टी की मीटिंग हुई थी।
तीन साल पहले थे 10, अब हुए 18 ब्लैक स्पॉट आरटीओ के रिकॉर्ड में वर्ष 2019 तक सिर्फ 10 ही ब्लैक स्पॉट चिह्नित किए गए थे। वहीं अब 18 ब्लैक स्पॉट चिन्हित किए गए हैं। इन ब्लैक स्पॉट हो गए हैं। वर्ष 2021 में अब तक रोड एक्सीडेंट में 186 की डेथ हो चुकी है। कमेटी ऑन रोड सेफ्टी के काम - जिले में सड़क सुरक्षा गतिविधियों की निगरानी करना। - सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़ों की निगरानी करना। - सड़क दुर्घटनाओं के कारणों की पहचान और उनकी स्टडी। - राष्ट्रीय/राज्य सड़क सुरक्षा परिषद को अपना सुझाव देना।- प्रोटोकॉल के अनुसार ब्लैक स्पॉट की पहचान कराना।
- ब्लैक स्पॉट के सुधार से संबंधित कार्य, समीक्षा और निगरानी। - सड़क सुरक्षा मानक पर कार्ययोजना तैयार करना। - सड़क सुरक्षा को लेकर एजुकेट करना, इंजीनियरिंग का क्रियान्वयन। - स्पीड लिमिट और ट्रैफिक शांत करने वाले उपायों की समीक्षा करना। - नगर और ग्राम पंचायतों में यातायात पार्क सह-प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना करना। - सड़क सुरक्षा को प्रोत्साहित करना और सुरक्षा से संबंधित मुददों पर चर्चा करना। छह माह में हुए एक्सीडेंट वर्ष 2021 - 439- एक्सीडेंट - 186-मौतें - 275- घायल वर्ष 2020 - 323-एक्सीडेंट - 146 मौतें - 215 घायल वर्ष 2019 -330- एक्सीडेंट -270- मौत -344-घायल -------------- सुरक्षा के लिए ये कवायद जरूरी -सड़कों पर साइड बोर्ड लगाना। -संकेतक लगाना। -सफेद पट्टियां लगाना। -कैट आई लगाना। -ब्रेकर समेत अन्य कार्य करना। -------------- वर्जन ब्लैक स्पॉट की जिम्मेदारी हमारी नहीं है। ब्लैक स्पॉट का मतलब होता है जहां ज्यादा हादसे होते हैं। पीडब्ल्यूडी अन्य संबंधित विभाग के पास साइन बोर्ड और रिफ्लेक्टर और ब्रेकर बनाने की जिम्मेदारी है। अनीता सिंह, आरटीओ प्रशासनब्लैक स्पॉट हादसे का प्लेस होता है। अगर सड़क पतली है तो उसे चौड़ा किया जाता है। ब्लैक स्पॉट में साइन बोर्ड, रिफ्लेक्टर आदि लगाए जाते हैं।
राजेश कुमार, एक्सईएन पीडब्ल्यूडी