डेंगू से छुटकारे के लिए लार्वा को करना होगा खत्म डीडीयूजीयू के प्रोफेसर ने फॉगिंग के धुएं से बचने की दी सलाह


गोरखपुर (ब्यूरो)। मच्छरों के प्रकोप से पूरा शहर परेशान हैं। नगर निगम का दावा है कि हर जगह फॉगिंग कराई जा रही है लेकिन इसकी सच्चाई गोरखपुराइट्स भलीभांति जान रहे हैं। परेशान लोग नगर निगम को कोस भी रहे हैं। हालांकि जिस फॉगिंग के लिए पब्लिक परेशान हैं, उसका असर मच्छरों पर नहीं होता है। वह बेकार है, धुएं से सिर्फ थोड़ी देर के लिए मच्छर भाग जाते हैं। धुआं हटते ही फिर मच्छरों का प्रकोप भी बढ़ जाता है। ऐसा हम नहीं बल्कि गोरखपुर यूनिवर्सिटी के जूलॉजी डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ। रविकांत का कहना है। उन्होंने बताया कि शोध में पाया गया है कि फॉगिंग में इस्तेमाल हो रहे केमिकल मैलाथियान के प्रतिरोधी हैं, फॉगिंग से मच्छर मरते नहीं हैं। धुआं मच्छरों को मारता नहीं है बल्कि कुछ देर के लिए भाग जाते हैं।धुएं से खतरनाक बीमारी


बताया कि फॉगिंग पर भरोसा करना गलत है। इसका धुएं से मच्छरों की बजाए खुद को ज्यादा खतरा है। फॉगिंग मशीनों में 95 लीटर डीजल में कीटनाशक और मैलाथियान को मिलाकर इस्तेमाल करते हैं लेकिन उसका अमाउंट भी कम होता है। मच्छरों की बॉडी उस केमिकल के रिपेलेंट अब नहीं है, वहीं दूसरी तरफ़ यह केमिकल इंसानों के लिए बहुत ही खतरनाक है। इसके धुएं से अस्थमा जैसी खतरनाक बीमारियांभी हो सकती हैं।कई इलाकों में फॉगिंग भी नहीं नगर निगम में 52 साइकिल वाली मशीन और 5 बड़ी मशीन है, लेकिन इसके बाद भी सिटी के ज़्यादातर इलाकों में 1 साल से ऊपर हो गया लेकिन फॉगिंग ही नहीं हुई है। कुछ इलाके तो ऐसे भी हैं जहां आज तक फॉगिंग ही नहीं हुई।हर महीने लाखों खर्च निगम हर महीने मच्छर भगाने में लगभग 5 से 6 लाख रुपये खर्च करने का दावा करता है। 52 साइकिल वाली मशीन और 5 बड़ी मशीन है। यही अभी 80 वार्ड में मच्छर भगाने का काम कर रही है। लोगों का कहना है नगर निगम फॉगिंग करने में जिस केमिकल का प्रयोग करता है, यह बेअसर है न मच्छर मरता है न ही भागता है। दवा का मच्छरों पर कोई असर नहीं होता।आम जनता फागिंग देखने के लिए तरस गई है। मच्छर तेजी से बढ़ रहे हैं। याद ही नहीं हमारे मोहल्ले में पिछली बार कब फागिंग हुई थी। निगम के अधिकारी सुनते ही नहीं।-नैना अग्रवाल

नगर निगम क्षेत्र का कोई ऐसा इलाका नहीं बचा है, जहां मच्छरों का प्रकोप न हो। अचानक मच्छर बढ़ गए हैं। हर इलाके में निगम की फागिंग नहीं हो रही है। अधिकारियों के बंगले पर जरूर नगर निगम फागिंग करा रहा है। निगम का अधिकतर इलाका फागिंग से वंचित है। कई वर्ष हो गए फागिंग मशीन देखे हुए।-आलोक शर्मा शहर में सफाई कम, गंदगी ज्यादा है। जिसके वजह से मच्छर की संख्या में काफी बढ़ोत्तरी हुई है। इससे आम लोगों में मच्छरों से बिमारी फैलने का खतरा बढ़ गया है।-रवि कुमारकुछ इलाके तो अभी तक छूटे हुए हैं, मच्छर नहीं मरता है। न तो केमिकल की जांच हो रही है और न ही ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव ही हो रहा है।-चारू सिंह

Posted By: Inextlive