- अलग-अलग वीआईपी के लिए की जाती है अलग-अलग व्यवस्था

- वीआईपी सिस्टम की वजह से परेशान होती है पब्लिक

GORAKHPUR: पीएम नरेंद्र मोदी ने देश से वीआईपी कल्चर और उनकी हनक कम करने की पहल की, इसमें सूबे के मुखिया ने भी कदम से कदम मिलाते हुए यूपी भी यह वीआईपी राज के खात्मे की शुरुआत कर दी। अप्रैल में सेंट्रल कैबिनेट से प्रस्ताव पास होते ही सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी अपनी गाड़ी से लाल बत्ती उतार दी, वहीं सभी जिम्मेदारों को भी बत्ती उतारने के लिए निर्देश दिए। इसमें मंत्रियों और अधिकारियों ने बत्ती उतार भी ली। मगर सरकारी सिस्टम से यह वीआईपी राज अब भी नहीं खत्म हो सका है। आज भी कोई वीआईपी का दौरा होता है, तो न सिर्फ प्रशासनिक अमला, बल्कि पूरी वीआईपी व्यवस्था अनुभाग एक्टिव हो जाता है और प्रोटोकॉल के तहत व्यवस्था करने में जुट जाता है।

ओहदे के हिसाब से प्रोटोकॉल

प्रोटोकॉल की बात करें तो राष्ट्रपति, पीएम, सीएम के साथ ही अलग-अलग वीआईपीज का अलग-अलग प्रोटोकॉल है। इसमें उनके ग्रेड के हिसाब से व्यवस्था की जाती है। स्टेट गेस्ट्स की लिस्ट में टॉप मोस्ट पोजीशन पर प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया का प्रोटोकॉल आता है। इसमें ऑफिशियल और नॉन ऑफिशियल विजिट्स दोनों ही कंडीशन में प्रोटोकॉल मेनटेन किया जाता है। वाइस प्रेसिडेंट, प्राइम मिनिस्टर, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया, गवर्नर, एक्स प्रेसिडेंट, एक्स वाइस प्रेसिडेंट और एक्स प्राइम मिनिस्टर ऑफ इंडिया भी स्टेट गेस्ट की लिस्ट में शामिल हैं।

छूट जाते हैं पसीने

वीआईपी प्रोटोकॉल में यूं तो लो कैटेगरी के वीआईपी के आने में अधिकारियों को कोई दिक्कत नहीं होती है और न ही इससे जनता को जूझना पड़ता है। मगर जब स्टेट गेस्ट का दौरा लगता है तो इसमें अधिकारियों से लेकर जनता तक सभी के पसीने छूट जाते हैं। वीआईपी व्यवस्था में लगे जिम्मेदार की मानें तो प्रेसिडेंट से लेकर स्टेट वीआईपी का प्रोटोकॉल आने पर प्रशासन के आलाधिकारियों को काफी दौड़ लगानी पड़ती है। खासतौर पर जब राष्ट्रपति, पीएम, राज्यपाल, सीएम या चीफ जस्टिस का दौरा लगता है तो इस दौरान उन्हें काफी भागदौड़ करनी पड़ती है। उनकी सारी व्यवस्था कराने के साथ ही उस पर पूरी नजर भी रखनी पड़ती है।

झाम से जनता परेशान

स्टेट वीआईपी का प्रोटोकॉल आने पर जितनी अधिकारियों को प्रॉब्लम होती है, उससे कहीं ज्यादा दिक्कत आम पब्लिक को होती है। जिस रूट से स्टेट वीआईपीज को जाना होता है, वह उनके आने से एक घंटे पहले से ही रूट ब्लॉक कर दिया जाता है। ऐसे में लोगों को वहीं खड़े होकर परेशान होना पड़ता है। जब तक वीआईपी वहां से चले नहीं जाते, लोग वहीं खड़े रहते हैं। इतना ही नहीं उनके जाने के बाद भी प्रॉब्लम खत्म नहीं होती। वीआईपी काफिला गुजरने के बाद उन्हें घंटो जाम के झाम से परेशान होना पड़ता है।

वीआईपी कल्चर खत्म किया गया है तो पूरी तरह से खत्म किया जाए। जो नेता और बाकी लोगों के प्रोटोकॉल हैं, उनको भी हटाना चाहिए। जिससे पब्लिक को परेशानी न हो।

- अरुण कुमार जोशी, प्रोफेशनल

वीआईपी प्रोटोकॉल के दौरान पुलिस जो रास्ता पूरी तरह से ब्लॉक कर देती है। उसके बजाए वीआईपी आने से दस मिनट पहले रास्ता बंद किया जाए और वहां से जाते ही रास्ता खोल दिया जाए।

- जितेंद्र कुमार श्रीवास्तव, प्रोफेशनल

वीआईपी कल्चर खत्म कर सरकार ने काफी अच्छा काम किया है। अब जरूरत है इसे पूरी तरह खत्म करने की। इसके लिए गाडि़यों पर झंडे आदि भी हटवाएं जाएं, वहीं जो नियम तोड़ता है, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए।

- नीरज श्रीवास्तव, प्रोफेशनल

राष्ट्रपति, पीएम, राज्यपाल, सीएम को वीआईपी ट्रीटमेंट मिले तो कोई बात नहीं है, लेकिन यह भी एक दायरे में हो। बाकी सभी के लिए तो वीआईपी कल्चर बिल्कुल खत्म कर देना चाहिए।

- शाहनवाज अहमद, टीचर

Posted By: Inextlive