Gorakhpur : गोमती का किनारा अंबेडकर पार्क का नजारा और ऊंची-ऊंची इमारतों के बीच चमचमाती सड़कों के किनारे कौन अपना आशियाना नहीं बनाना चाहेगा. फिर शिक्षा का ऊंचा स्तर 24 घंटे बिजली और दिल्ली से लेकर सात समंदर पार तक की एयरलाइंस की सुविधा के बीच कौन नहीं रहना चाहेगा. चाहे फिर वह किसी भी जिले का रहने वाला हो. कुछ ऐसा ही हाल है गोरखपुर का. जहां भले ही डेवलपमेंट के लिए स्टेट गवर्नमेंट ने गीडा योजना स्टार्ट की हो मगर गोरखपुराइट्स को अब लखनऊ भा रहा है. सिटी में लगी होर्डिंग्स और लखनऊ के आसपास डेवलप हो रहे अपार्टमेंट और प्लॉट खुद इसकी कहानी बयां कर रहे हैं जहां सबसे अधिक आशियाना गोरखपुराइट्स के बन रहे है.

अब हाइवे पर हो रहा डेवलपमेंट
लखनऊ का सिटी एरिया पूरी तरह बस चुका है। मगर वहां अपना आशियाना बनाने वालों की कमी नहीं है। इससे अब लखनऊ का डेवलपमेंट हाइवे की ओर हो रहा है। पिछले कुछ सालों में देखा जाए तो गोमती नगर, विकास नगर के साथ लखनऊ-फैजाबाद रोड, लखनऊ-बाराबंकी रोड, लखनऊ-सुल्तानपुर रोड के साथ चिनहट की ओर तेजी से डेवलप हो रहा है। इन इलाकों में अपना घर का सपना देखने वाले अधिकांश लोग लखनऊ के नहीं बल्कि पूर्वांचल के है, जिसमें गोरखपुराइट्स सबसे अधिक है।
फ्यूचर बनाने जा रहे लखनऊ
सिटी के अधिकांश लोग अब लखनऊ में अपना आशियाना खोज रहे है। नए डेवलपमेंट एरिया में 60 परसेंट आशियाना गोरखपुराइट्स का है। साथ ही इन एरिया में प्रॉपर्टी का काम करने वाले 30 परसेंट लोग भी सिटी के ही है। लखनऊ की ओर अट्रैक्ट हो रहे लोगों का मानना है कि सिटी में रह कर फ्यूचर ब्राइट नहीं है। क्योंकि सिटी में न तो एजुकेशन लेवल बहुत अच्छा है और न ही मेडिकल सुविधा। जबकि लखनऊ में ये दोनों सुविधा बेस्ट होने के साथ ट्रेवल और लाइट की व्यवस्था काफी अच्छी है।
सिटी में सजी है लखनऊ की होर्डिंग
लखनऊ की ओर गोरखपुराइट्स किस कदर अट्रैक्ट हो रहे है, इसका अंदाजा सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है कि सिटी के विभिन्न चौराहों पर सिटी की योजनाओं से अधिक लखनऊ की योजनाओं की होर्डिंग लगी है। जिसमें फ्लैट, प्लॉट की खरीदारी के साथ ईएमआई में भी खरीद का ऑफर दे रहे हंै। सिटी के पैडलेगंज, असुरन, इंद्रा बाल विहार से लेकर अधिकांश चौराहे पर लखनऊ के बिल्डर्स की होर्डिंग लगी है। लखनऊ के बिल्डरों को गोरखपुर में मार्केट काफी ब्राइट दिख रहा है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कुछ?दिन पहले सिटी में लखनऊ की एक बिल्डर कंपनी ने फेयर लगाया था।
लखनऊ के अब बाहरी इलाकों में रिहायशी इलाके तेजी से बस रहे है। क्योंकि ये एरिया लखनऊ के गोमती नगर से महज 8 से 10 किमी की दूरी पर है। मतलब लखनऊ का पूरा मजा इन एरिया में भी रहेगा। यहां की प्लॉटिंग गोरखपुर की अपेक्षा सस्ती है। वहां लेने वाले अधिकांश लोग गोरखपुर के है, जो फ्यूचर को देखते हुए प्लानिंग कर रहे है।
अनय कुमार, प्रापर्टी डीलर
केस-1
सिटी में प्रॉपर्टी का काम करने वाले अमित कुमार ने लखनऊ में अपना आशियाना बनाने के साथ पूरा परिवार शिफ्ट कर दिया है। जबकि अमित का पूरा बिजनेस गोरखपुर में फैला है। मगर बच्चों के फ्यूचर को देखते हुए अमित ने यह फैसला लिया है। अमित पांच दिन गोरखपुर रहते है और वीकएंड पर फैमिली के पास लखनऊ चले जाते है।
केस-2
सिटी के एक फेमस डॉक्टर ने कुछ माह पहले ही लखनऊ में अपना आशियाना खरीदा है। इसके बाद वे पूरी फैमिली लखनऊ शिफ्ट करने जा रहे है। जबकि डॉक्टर की रेगुलर प्रैक्टिस गोरखपुर में है। मगर फैमिली की सुविधा को देखते हुए वे पांच दिन सिटी में प्रैक्टिस करने के बाद लखनऊ चले जाते है। जहां धीरे-धीरे वे अपनी प्रैक्टिस शुरू करने का मन बना रहे है।

 

report by : kumar.abhishek@inext.co.in

Posted By: Inextlive