मेडिकल स्टोर पर 'डॉक्टर' लगाते हैं पार्षद की मुहर
-महिला पार्षदों के प्रतिनिधि बन नियम की कर रहे ऐसी की तैसी
-मेडिकल स्टोर और वस्त्रालय पर रखी रहती है पार्षद की मुहर anurag.pandey@inext.co.in GORAKHPUR: दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट के 15 जनवरी के अंक में आपने पढ़ा कि महिला पार्षदों के सीयूजी नंबर पर घरवालों का कब्जा है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि मामला सिर्फ इतने तक ही सीमित नहीं है। पार्षद के अधिकारों का भी उनके फैमिली मेंबर्स जमकर दुरुपयोग करते हैं। दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने वार्ड का निवासी बनकर पार्षदों के सीयूजी नंबर पर फोन किया। इस दौरान रिपोर्टर ने उनसे अपनी फोटो अटेस्ट कराने की रिक्वेस्ट की। इस पर पार्षद का फोन रिसीव करने वाले प्रतिनिधि ने कहा, मेडिकल स्टोर पर चले जाइए। वहां डॉक्टर साहब बैठे होंगे। उनके पास मुहर है। मेरा नाम बता दीजिएगा सारा काम हो जाएगा।वार्ड नम्बर 56 के महिला पार्षद आरती देवी के सीयूजी नम्बर पर बात-चीत
रिपोर्टर: पार्षद जी से बात करनी है।
मोहन सिंह: मैं हूं पार्षद प्रतिनिधि। काम बताइए। रिपोर्टर: मुझे फोटो अटेस्ट करानी है। मोहन सिंह: कहां घर है? मकान नंबर बताइए। रिपोर्टर: आपकी कॉलोनी में रहते हैं। मकान नंबर नहीं याद है। मोहन सिंह: आपको अपना मकान नंबर ही नहीं पता है। रिपोर्टर: मैं बाहर पढ़ता हूं इसलिए याद नहीं है।मोहन सिंह: आप शाम को चार बजे अंबे मेडिकल स्टोर सुभाषनगर जाइए। वहां पर डॉक्टर साहब बैठते हैं। उनके पास मुहर है। मेरा नाम बता दीजिएगा, सारा काम हो जाएगा।
यहां भी मिली लापरवाही -इसी तरह रिपोर्टर ने वार्ड नंबर 44 के पार्षद बेबी देवी के सीयूजी नंबर पर कॉल कर फोटो अटेस्ट करने का निवेदन किया। -इस पर कॉल रिसीव करने वाले ने बोला कि मैं ही सब देखता हूं। -आप भगवानपुर चौराहे पर स्थित जायसवाल वस्त्रालय चले जाइए। -वहां बताइएगा कि कासिम भाई पार्षद ने भेजा है। आपका काम हो जाएगा। सीयूजी नंबर पर शो करता है दूसरा नाम नगर निगम ने भले ही महिला पार्षद को जनता की सेवा के लिए सीयूजी नंबर दिया है। लेकिन इन नम्बरों पर महिला का नाम ना होकर उसके हसबैंड का नाम पार्षद के साथ शो करता है। दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट के पास इससे संबंधितक ट्रू-कॉलर के कई स्क्रीन शॉट मौजूद हैं। बस नाम के लिए महिला अधिकारमहिला सशक्तिकरण की बातें अक्सर अलग-अलग मंच पर सुनाई देती हैं। इसके लिए चुनाव में महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित होती हैं। इलेक्शन के दौरान चुनाव लड़ने के लिए महिलाओं को आगे किया जाता है। उम्मीद रहती है कि महिला उम्मीदवार को जीत मिलने के बाद महिलाओं से संबंधित मुद्दों पर काम होगा। लेकिन जैसे ही चुनाव में जीत मिलती है नगर निगम में शपथ लेने के बाद महिला पार्षद गायब हो जाती हैं। उन्हें मिलने वाली फैसिलिटी और अधिकारों का मिसयूज उनके हसबैंड या फिर घर के अन्य मेंबर्स करने लगते हैं।
पार्षदों को जनता की सेवा के लिए चुना गया है। ऐसे में किसी और द्वारा उनका सीयूजी नंबर इस्तेमाल करना अपने आप में काफी गंभीर मामला है। -मधुर पांडेय, वार्ड नंबर 68 अधिकारों के दुरुपयोग का मामला बहुत ही गंभीर है। कई बार पार्षद के पास जरूरी काम से फोन किया गया है। लेकिन उनका नंबर किसी अन्य के पास होता है। -पवन शर्मा, भगवानपुर दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट ने साहसिक काम किया है। चुनाव जीतने के बाद महिला पार्षद गायब हैं। न इनका दर्शन मिलता है और न काम होता है। -एलबी दुबे, वार्ड नंबर 16