- बामशक्कत सजा पाने वाले कैदियों के बनाए सामान ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर मौजूद

- ई-प्रिजन पोर्टल पर दिया है लिंक, ई-कारा ऑप्शन पर जाकर सामान की हो सकती है परचेजिंग

GORAKHPUR: बामशक्कत कैद की सजा पाने वाले कैदी जेल में आखिर इतने सालों तक करते क्या हैं? वह अपनी जिंदगी गुजारते कैसे हैं? यह सवाल अक्सर लोगों के मन को झिंझोड़ता है। हम बताते हैं कि कैदी जेल की सलाखों के पीछे क्या करते हैं। कैदी जेल में अपनी सजा तो काट ही रहे होते हैं, साथ ही आने वाली नई जिंदगी के लिए खुद को तैयार भी कर रहे होते हैं। इसके लिए उन्हें जेल में ही हुनरमंदी का पाठ पढ़ाया जाता है। जिसका रिजल्ट मार्केट में साफ तौर पर सामानों की शक्ल में नजर भी आ रहा है। कैदियों के हाथों से बने सामान को प्रमोट करने के लिए जेल एडमिनिस्ट्रेशन ने वर्चुअल व‌र्ल्ड का सहारा लिया है। वहां कैदियों के आइटम्स का बाजार सजा है और लोग एक क्लिक पर पसंदीदा सामान की खरीदारी कर सकते हैं।

ऐसे करें खरीदारी

कैदियों के हाथों बने सामान की नुमाइश सरकार अब जेल के पोर्टल पर कर रही है। इसमें जेल में बने सामानों को प्रमोट किया जा रहा है। जिससे कि कैदियों के हाथों बना सामान सभी लोगों की पहुंच सके। इन सामानों की खरीदारी करने के लिए जेल के ई-प्रिजन पोर्टल पर जाना होगा। यहां ढेरों ऑप्शन में से ई-काराबाजार ऑप्शन को सेलेक्ट कर हम कैदियों के बाजार में एंट्री पा सकते हैं। जहां उनके हाथों से बने प्रॉडक्ट की कीमत भी मेंशन होगी।

यह सामान हैं मौजूद

- कपड़े

- जूते

- सजावट के सामान

- फर्नीचर

- चादर

- कालीन

इन जेलों में बड़े पैमाने पर काम

गोरखपुर - बंदियों के लिए कुर्ता-पैजामा, टेरीकॉट

फतेहगढ़ में पीएसी के लिए - टेंट

नैनी और आगरा में साबुन, फिनायल, अलमारी और रैक

बरेली में फर्नीचर, कालीन, दरी

लखनऊ में चादर, पॉवरलूम से जुड़े सामान

कई जेलों में कैदियों की फैक्ट्रियां संचालित की जा रही हैं, जहां से सामान बनकर मार्केट में सेल के लिए भेजे जाते हैं। इनको प्रमोट करने के लिए ऑनलाइन पोर्टल का भी सहारा लिया जा रहा है। इसमें काफी अट्रैक्टिव आइटम्स मिल जाते हैं।

- एसके शर्मा, सुप्रिटेंडेंट, डिस्ट्रिक्ट जेल, गोरखपुर

Posted By: Inextlive