-पुलिस थानों में लगे सीसीटीवी कैमरों में अधिकांश बंद

-पुलिस ऑफिस से कनेक्ट होने थे जिले के सभी पुलिस थाने

GORAKHPUR: शहर से लेकर देहात तक हर छोटी-बड़ी वारदात होने पर जहां पुलिस लोगों को अपने मकान और दुकान को सीसीटीवी से लैस करने की नसीहत दे रही है। वहीं, दूसरी ओर हाईकोर्ट से लेकर डीजीपी तक के निर्देशों को ठेंगा दिखाते हुए गोरखपुर पुलिस खुद इसका पालन नहीं कर रही। हाईकोर्ट के निर्देश पर जिले के सभी थानों को सीसीटीवी कैमरों से लैस किया जाना था। लेकिन इस फैसले के महीनों बीत जाने के बाद भी यह योजना परवान नहीं चढ़ सकी।

हालांकि लगभग सभी थानों में कैमरे तो लगवा दिए गए हैं, लेकिन हैरानी की बात है कि इनमें से अधिकांश कैमरे महज दिखावा ही साबित हो रहे हैं। यह लगने के साथ ही काम करना बंद कर दिए हैं। लेकिन गौर करने वाली बात है कि पुलिस खुद अपने कैमरों को तो ठीक कराती नहीं, लेकिन सभी को सीसीटीवी लगाने का जोर जरूर दे रही है।

वहीं, थानों पर कैमरों की लगाने की सबसे बड़ी वजह थी कि इसके जरिए मुख्यालय से ही थानों की निगरानी हो सके। हालांकि फिलहाल पुलिस थानों पर कैमरे तो लगवा दिए गए हैं, लेकिन इसे पुलिस ऑफिस और मुख्यालय से अभी जोड़ा नहीं गया है। हालांकि पुलिस की क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम से जिले के सभी थानों को जोड़ने की कवायद करीब दो साल से चल रही है। ताकि थानों में लगे सीसीटीवी कैमरों के जरिए अफसर सीधे थानों की निगरानी कर सकेंगे। डीजीपी से लेकर जिले के एसएसपी तक के कंप्यूटर को थाने से जोड़ने की का दावा भी अभी पूरी तरह परवान नहीं चढ़ सका है।

दो साल से चल रही प्रक्रिया

जिले में सीसीटीएनएस योजना की शुरुआत दो साल पहले हुई। इसके तहत नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो, प्रदेश पुलिस, जिला, थानों और पुलिस ऑफिस को एक नेटवर्क पर आनलाइन जोड़ा जाना था। हालांकि बीते दिनों जिले के 24 थानों और अधिकारियों के दफ्तरों के बीच नेटवर्किंग शुरू तो की गई थी, लेकिन तकनीकी कारणों से यह पूरा नहीं हो सका। हालांकि शहर के कुछ थानों की नेटवर्किंग हो चुकी है।

26 कैमरे पड़े हैं बंद

सीसीटीएनएस योजना में हर थाने पर दो कैमरे लगाए गए हैं। इसके तहत एक थाना परिसर में गेट को फोकस करते हुए इंस्टाल किया गया है तो दूसरे के दफ्तर में निगरानी के लिए इस्तेमाल किया गया है। इस तरह जिले में कुल 54 कैमरे लगाए गए हैं। लेकिन इनमें पुलिस सूत्रों के मुताबिक, इनमें फिलहाल 26 कैमरे काम नहीं कर रहे हैं। अधिकारियों का मानना है कि दफ्तरों के अंदर लोगों से दु‌र्व्यवहार करने, पीडि़त से रुपए मांगने सहित कई शिकायतों को देखते हुए इसका प्रयोग किया जा रहा है। वहीं, कार्यालय में लगे कैमरे से मुंशी, दीवान सहित अन्य की गतिविधियां रखी जानी हैं। थानों की तरह से सभी सर्किल के सीओ, एएसपी, डीआईजी और आईजी आफिस को सीसीटीवी कैमरों से जोड़ा गया है।

यह है कैमरों से फायदा

वहीं, इन कैमरे के रेग्युलर काम करने से पुलिस अपनी करतूतों को छिपाने के लिए थानों की पुलिस सीसीटीवी कैमरों की फुटेज नहीं मिटा पाएगी। थानों में लगे कैमरों की फुटेज को कोई भी अधिकारी अपने दफ्तर से निकाल सकेंगे। इतना ही नहीं, फुटेज के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की जा सकेगी। थानों में होने वाले किसी भी बवाल, पीडि़तों के साथ दु‌र्व्यवहार, किसी आरोपी के साथ मारपीट सहित कई अन्य आरोपों की जांच में अधिकारियों को सहूलियत मिलेगी। इसके अलावा पुलिस कर्मचारियों के कार्य- व्यवहार को देखा जा सकेगा।

Posted By: Inextlive