आधी आबादी की जीवनशैली बदल रही है. महिलाएं फास्ट फूड की तरफ तेजी से आकर्षित हो रही हैं. इससे मेटाबॉलिक सिंड्रोम के मामले बढ़ रहे हैं. मेनोपॉज की अवस्था में यह सिंड्रोम कई बीमारियों की वजह बन रहा है.


गोरखपुर (ब्यूरो)।यह कहना है इंडियन मेनोपॉज सोसायटी की राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ। शोभना मोहन दास व आयोजन समिति की अध्यक्ष डॉ। सुरहिता करीम का। वे रविवार को इंडियन मेनोपॉज सोसाइटी की दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस में बतौर एक्सपर्ट मौजूद रहीं। रविवार को कॉन्फ्रेंस का समापन हो गया। इसमें देश के आठ राज्यों से स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ, बाल रोग विशेषज्ञ, हड्डी रोग विशेषज्ञ, फिजीशियन, कार्डियोलॉजिस्ट, न्यूरोलॉजिस्ट, न्यूरो सर्जन, यूरोलॉजिस्ट, रेडियोलॉजिस्ट तथा कैंसर रोग विशेषज्ञ भी भाग ले रहे हैं। स्ट्रोजन की कमी से दिल होता है कमजोर


इस दौरान डॉ। शोभना ने बताया कि मेटाबॉलिक सिंड्रोम से ब्लड में थक्के जम जाते है। यह खून के थक्के हार्टअटैक, ब्रेन स्ट्रोक, किडनी फेल्योर और लिवर डैमेज करता है। कार्डियोलॉजिस्ट डॉ। नवनीत जयपुरियार ने बताया कि मीनोपॉज के बाद महिलाओं में दिल की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। मीनोपॉज से पूर्व महिलाओं के शरीर में स्ट्रोजन हार्मोन का स्राव होता है। उनके दिल की धमनियां पुरुषों के मुकाबले ज्यादा मजबूत होती हैं। मीनोपॉज के बाद स्ट्रोजन स्राव खत्म हो गया। ऐसे में महिलाओं को दिल का खास ख्याल रखना चाहिए। उन्हें अपना ब्लड प्रेशर, वजन, नियंत्रित रखना चाहिए। योग और व्यायाम करना चाहिए।महिलाओं को होता है हॉट फ्लैशेस

स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ। गीता गुप्ता ने बताया कि 45 वर्ष की अवस्था के बाद महिलाओं को हॉट फ्लैशेस होते हैं। यह मीनोपॉज से ठीक पहले की अवस्था होती है। इसमें महिला को बेतहाशा गर्मी लगती है। ठंड में भी पसीना आता है। घबराहट, बेचैनी, नींद न पूरा होना जैसी समस्याएं होती हैं। यह समस्या कई बार दो से तीन साल तक खिंच जाती हैं। यह बीमारी शरीर में स्ट्रोजन लेवल के असंतुलन के कारण होती है। आमतौर पर परिजन ऐसे मरीजों को मनोचिकित्सक को दिखाते हैं, जबकि उन्हें स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए हो जाती हैं।

Posted By: Inextlive