अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स पेशेंट््स के इलाज के नाम पर सफेद हाथी साबित हो रहा है. यहां एडमिट पेशेंट्स को प्राथमिक इलाज की चिकित्सा सुविधाएं मयस्सर नहीं हैं. पेशेंट्स को कॉटन रूई बैंडेज पट्टी ग्लूकोज आईवी सेट जैसी इलाज की बेसिक जरूरतों का सामान खुद इंतजाम करना पड़ रहा है.


गोरखपुर (ब्यूरो).एम्स में 300 बेड का अस्पताल संचालित है। इसमें जनरल सर्जरी, ऑर्थोपेडिक, मेडिसिन, गायिनी, बालरोग, नाक कान गला, दंतरोग, नेत्र रोग विभाग के पेशेंट एडमिट हैं। करीब 30 परसेंट बेड पर ही पेशेंट एडमिट हैं। इन पेशेंट्स को प्राथमिक चिकित्सा में उपयोग की जाने वाली सुविधाएं भी नहीं मिल रही है। जनरल सर्जरी में एडमिट पेशेंट को टिटनेस का इंजेक्शन और सीरिंज बाहर से खरीदना पड़ रहा है। बोतल वाली दवाएं, आईवी सेट, टेप, काटन, बैंडेज, ग्लव्स आदि भी कोई सामान एम्स में नही है सब खत्म हो चुके हैं। इसकी शिकायत आईपीडी में तैनात नर्सो से करे तो वह कहती है कि ओपीडी में लगें शिकायत पेटिका में लिखकर डाल दीजिए। अमृत फार्मेसी में नहीं मिलती हैं दवाएं


एम्स में पेशेंट्स को सस्ते रेट पर दवाएं मुहैया कराने के लिए अमृत फार्मेसी का संचालन हो रहा है। यहां सभी दवाईयां मिलनी चाहिए। हकीकत यह है कि यहां पर दवाईयां मिलती ही नहीं है। तीमारदारों को बेटाडीन, सूमो, पैरासिटामाल, ग्लूकोज, सीरिंज व अन्य सामान आदि लोग बाहर से खरीद कर ला रहे हैं, क्योंकि एम्स में यह दवाईयां नहीं हैं। अभी दवाईयों की व्यवस्था ठीक की जा रही है। आईपीडी के डीएमएस डॉ। शशांक शेखर हैं उन्हें इसकी जानकारी है। वह व्यवस्था ठीक कराई जाएगी।

- महेंद्र सिंह, मीडिया प्रभारी, एम्स

Posted By: Inextlive