डग्गामार वाहनों पर अंकुश लगाने के लिए हर महीने परिवहन निगम की ओर से पुलिस प्रशासन को आधा दर्जन पत्र लिखता है लेकिन अभी तक धरातल पर कोई कार्रवाई नहीं नजर आई है. नोटिस भी कागजों में है तो कार्रवाई का कोरम भी बस दो-चार दिनों तक ही सिमटा हुआ है. जैसे ही मामला ठंडा हुआ फिर सड़क किनारे डग्गामारों की लाइन लग जा रही है और यह डग्गामार वाहन धड़ल्ले से सवारियां ढो रहे हैं. अफसर अब तक कार्रवाई की हिम्मत नहीं जुटा पाए हैं.


गोरखपुर (ब्यूरो).गोरखपुर परिवहन निगम डग्गामार वाहनों पर लगाम लगाने के लिए हर महीने डीएम, कमिश्नर और आरटीओ को पत्र लिखता है, लेकिन अभी इन पत्रों को स्थानीय स्तर पर कोई अमल नहीं हुआ है। इसलिए यूनिवर्सिटी चौराहे के पास से डग्गामार वाहन धड़ल्ले से संचालित हो रहे हैं। इतना ही नहीं ये डग्गामार रोडवेज बस स्टेशन से आए दिन रोडवेज की सवारी भी चुरा रहे हैं। यदि उनके खिलाफ कार्रवाई होती है तो वह दादागिरी पर उतारू हो जाते हैं। इनका दुस्साहस इतना अधिक है कि वह अफसरों को भी नहीं छोड़ते हैं। यह डग्गमार यातायात नियमों को ठेंगा दिखाते हुए दौड़ रहे हैं। डग्गामार की वजह से रोडवेज बसों का संचालन भी पूरी तरह से प्रभावित हो रहा है। संचालित होते हैं 543 डग्गामार वाहन


परिवहन निगम के रिकॉर्ड के मुताबिक गोरखपुर में 543 डग्गामार वाहन धड़ल्ले से संचालित हो रहे हैं। इन डग्गामार वाहनों के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है। ये डग्गामार गोरखपुर रोडवेज बस स्टेशन से जबरन सवारियों को बैठाते हैं। पैसेंजर्स अगर विरोध करता है तो उनसे विवाद करने के लिए अमादा हो जाते हैं। फिर भी डग्गामार वाहनों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होती है। एक किमी परिधि से दूर हो प्राइवेट स्टैंड

परिवहन निगम के बस स्टैंड से कम से कम एक किमी की दूरी पर डग्गामार वाहनों को संचालित करने का आदेश है। लेकिन ओदशों का पालन नहीं होता है। नियमों को ताक पर रखकर ये डग्गामार पुलिस चौकी रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन और यूनिवर्सिटी चौराहे से डग्गामार वाहन काफी संख्या में संचालित हो रही है। इसकी वजह से आये दिन रोडवेज कर्मचारियों और प्राइवेट ऑपरेटर्स के बीच हमेशा विवाद होते रहते हैं। इसकी वजह से कभी भी अप्रिय घटना घट सकती है। साथ ही डग्गामार वाहनों के संचालन होने से रोडवेज राजस्व की क्षति हो रही है। हर बार कार्रवाई के लिए लिखा जाता है पत्र डग्गामार वाहनों के खिलाफ कार्रवाई के लिए डीएम, कमिश्नर, एसएसपी, आरटीओ, ट्रैफिक पुलिस और कैंट इंस्पेक्टर को पत्र लिखा जाता है। इसके बावजूद इन पर कार्रवाई नहीं होती है। नियम के मुताबिक रोडवेज स्टेशन से एक किमी दूरी पर डग्गामार वाहन संचालित किए जा सकते हैं, लेकिन यह नियमों को ताक पर रखकर रोडवेज स्टेशन के पास से ही सवारी भरते हैं। इस संबंध में अफसरों को भी अवगत कराया जा चुका है। इनकी वजह से रोडवेज राजस्व की क्षति हो रही है। - पीके तिवारी, आरएम गोरखपुर रीजन

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