शहरवासी रोजाना खा जा रहे तीस टन मछली
- नवीन मंडी महेवा के मछली मार्केट में कारोबार तेज
- लोकल से लेकर आंध्र प्रदेश, राजस्थान, एमपी को मछलियों की डिमांड GORAKHPUR: गोरखपुराइट्स डेली 30 टन मछली खा जा रहे हैं। नवीन मंडी महेवा के मछली मार्केट में रोहू, पंगास, भाकूर, बरारी आदि मछलियों की खूब डिमांड चल रही है। खपत के हिसाब से यहां मछलियों की अलग-अलग वेराइटी की आवक भी काफी तेज चल रही है। सिर्फ शहर ही नहीं, मंडी में आसपास जिलों से भी मछलियों की काफी डिमांड है। विभिन्न वेरायटी मौजूदमहेवा मछली मंडी में लोकल से लेकर अन्य प्रदेश से भी मछलियां मंगाई जाती हैं। गोरखपुर मत्स्य व्यापारी कल्याण संस्थान अध्यक्ष गजेंद्र साहनी बताते हैं कि यहां आंध्र प्रदेश, राजस्थान, एमपी तक से मछलियां मंगाई जाती हैं। वहीं यूपी के झांसी, हरदोई और मिर्जापुर से भी मछलियों की खेप आती है। इस समय यहां मछलियों की डिमांड इतनी अधिक है कि रोजाना मंडी में 30 टन मछली बिक जा रही है। वहीं मंडी में आवक की बात की जाए तो छोटे, बड़े वाहन मिलाकर कुल 20 गाडि़यां डेली आ रही हैं।
नेपाल तक भेजा जाता सूखा झींगागोरखपुर मत्स्य व्यापारी कल्याण संस्थान अध्यक्ष ने बताया कि मंडी में कोल्ड स्टोर न होने से रोज 10 से 15 टन झींगा खराब हो जाता है। जो यहां बिकने योग्य नहीं होता। उन्हें सुखाकर पांच से 10 रुपए प्रति किलो के भाव से नेपाल, बंगाल और असम तक भेजा जाता है।
बॉक्स कोल्ड स्टोर न होने से है दिक्कत गजेंद्र साहनी ने बताया कि मंडी में मछलियों को ताजा रखने के लिए कोल्ड स्टोर नहीं है। फुटकर में 300 से 400 रुपए पेटी बर्फ खरीदकर उसमें मछलियां रखी जाती हैं। हालांकि मंडी प्रशासन की ओर से मंडी स्थापित होने के बाद ही कोल्ड स्टोरेज बनाने की बात की गई थी लेकिन उसकी व्यवस्था नहीं की जा सकी। मंडी में डेली सेल ताजी मछली - 30 टन सूखी मछली -15 टन मंडी में डेली आवक छोटे वाहन - 10 से 15 बड़े वाहन - 4 से 5 इन मछलियों की ज्यादा डिमांड रोहू, पंबास, भाकूर, सिल्वर, बरारी, टेंगा, सौल आदि।