किसी भी इमरजेंसी स्थिति में एयरवे ब्रिदिंग सरर्कुलेशन एबीसी महत्वपूर्ण है लेकिन इसमें सबसे जरूरी एयरवे हैं. इसके जरिए 90 परसेंट मरीजों की जान बचाई जा सकती है.


गोरखपुर (ब्यूरो)।बताया कि वायुमार्ग, श्वास और संचलन एक झरने की तरह काम करते हैं। यदि मरीज को सांस लेने में तकलीफ हो जाती है और ऑक्सीजन फेफड़ों तक नहीं पहुंच पाता। इस दौरान मरीज को हाइपोक्सिया और कार्डियक अरेस्ट की संभावना रहती है। यह बातें बतौर चीफ गेस्ट एसजीपीजीआई के प्रो। डॉ। संदीप साहू ने कही। वह एम्स में ऑर्गनाइज एक दिवसीय सेमिनार में 'एयरवे डिवाइस, रीसेंट एडवांसमेंट इन एयर-वे मैनेजमेंटÓ टॉपिक पर अपनी बातें रख रहे थे। ऑक्सीजन की कमी से मौत


बेहोशी एक ऐसी स्थिति है, जो किसी भी कारण से हो सकती है। फिर चाहे वह ऑपरेशन के दौरान की बेहोशी हो या फिर कोई एक्सीडेंट या कोई अन्य कारण। ऐसी परिस्थिति में व्यक्ति खुद से सांस नहीं ले पाता, जीभ हल्की हो जाती है और श्वसन मार्ग को अवरूद्ध कर देती है। इसकी वजह धीरे-धीरे शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है और मरीज की मौत हो सकती है। ऐसी विकट स्थिति में डॉक्टर और अन्य पैरामेडिकल स्टाफ को क्या करना चाहिए। मैनेजमेंट के बारे में दी जानकारी

बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्रो। डॉ। शाहबाज अहमद, डॉ। विजेता कुमारी, डॉ। महताब आलम ने भी एबीसी पर महत्वपूर्ण जानकारी दी। कार्यक्रम में प्रो। डॉ। मनोज सौरभ और एचओडी डॉ। शिखा सेठ ने अलग-अलग मेडिकल कॉलेजों से आए स्टूडेंट्स को एयर-वे मैनेजमेंट के बारे में बताया। एम्स कार्यकारी डायरेक्टर डॉ। सुरेखा किशोर ने कहा कि भविष्य में भी इस तरह के आयोजन होते रहेंगे। इससे डॉक्टर्स का विकास होगा। इस मौके पर एनेस्थीसिया विभाग के ऑर्गनाइजिंग चेयरमैन डॉ। अंकिता काबी, डॉ। विजेता बाजपेई, डॉ। प्रियंका द्विवेदी, डॉ। रवि शर्मा आदि मौजूद रहे।

Posted By: Inextlive