बस ओवर स्पीड में तो कार्रवाई तय
- परिवहन विभाग करेगा ओवर स्पीड चलने वाले वाहनों की निगरानी
- तीसरी गलती पर होगी निलंबन की कार्रवाई kanpur@inext.co.in KANPUR। अब ओवर स्पीड चलने वाले वाहनों के खिलाफ परिवहन विभाग कड़ी कार्रवाई करेगा। विभाग ने इसके लिए ब्लू प्रिंट बना लिया है। ओवरस्पीड पर चलने वाले वाहनों के लिए तीन चरणों पर कार्रवाई होगी। पहले चरण में नोटिस, दूसरे चरण में जुर्माना व तीसरे चरण में सस्पेंड किए जाएंगे। प्लान किया तैयारपरिवहन विभाग ने ओवर स्पीड पर चलने वाले बस ड्राइवर्स के लिए तीन चरणों में कार्रवाई करने का प्लान बनाया है। अभी तक ओवर स्पीड पर परिवहन विभाग की ओर से कार्रवाई नहीं की जाती थी। अब अगर कोई बस ड्राइवर ओवर स्पीड पर चलते हुए पकड़ा जाता है तो पहले तो उसे नोटिस दी जाएगी। दूसरी बार ओवर स्पीड पर चलते पकड़ा जाता है तो उसे 500 रुपए का जुर्माना देना होगा, लेकिन अगर तीसरी बार भी ओवर स्पीड पर चलते पकड़ा जाता है, तो उसे सस्पेंड किया जाएगा।
प्रशिक्षण शिविर में करना होगा कोर्ससस्पेंड होने के बाद बस ड्राइवर्स को प्रशिक्षण केंद्र में कोर्स करना होगा। तीन दिन के इस कोर्स के बाद ही उन्हें दूसरी बार मौका मिल सकता है। एमडी मुकेश मेश्राम ने ये निर्देश जारी किए हैं। तीन दिन के प्रशिक्षण शिविर में ड्राइवर्स को बस चलाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षण में उन्हें बस चलाने के तकनीकि प्रशिक्षण के साथ-साथ व्हेकिल एक्ट के नियम व कानून भी बताए जाएंगे।
80 किलोमीटर प्रति घंटा है अधिकतम स्पीड परिवहन विभाग के नार्म्स के अनुसार बसों की अधिकतम स्पीड 80 किलोमीटर प्रति घंटे की है। ये स्पीड का मानक हाईवे पर है। सिटी में अधिकतम स्पीड 55 किलोमीटर प्रति घंटा है। इस स्पीड से अधिक चलने वाले वाहनों को ओवर स्पीड माना जाता है। अनियंत्रित तरीके से चलने की भी की जाएगी निगरानी परिवहन विभाग अनियंत्रित तरीके से चलने वाली बसों की भी निगरानी करेगा। इसके लिए विभाग ने पहले ही जीपीएस सिस्टम अटैच कर रखा है। जीपीएस सिस्टम में एक खास किस्म का राडार लगाया जा रहा है, जो वाहनों की स्पीड, अचानक से ब्रेक लगाना या अचानक से स्पीड भरना आदि की जानकारी देगा। हलांकि अभी सभी बसों में ये डिवाइस नहीं लगी है, लेकिन लग्जरी बसों में ये डिवाइस लग चुकी है। धीरे-धीरे इस डिवाइस को सभी बसों में लगाया जाएगा। अक्सर होते हैं एक्सीडेंटबसों में ड्राइवर्स की रफ ड्राइविंग के चलते अक्सर रोड एक्सीडेंट होते हैं। जिनमें सैकड़ों लोगों की जान भी चली जाती है। परिवहन विभाग की हाल ही में आई एक विशेष रिपोर्ट के अनुसार इस साल अब तक करीब 59 एक्सीडेंट हो चुके हैं।
आखिर क्यों नहीं लगाए जा सकते हैं स्पीड कंट्रोलर सबसे बड़ा सवाल तो ये है कि आखिर बसों में स्पीड कंट्रोलर क्यों नहीं लगाए जा सकते हैं। दरअसल स्पीड कंट्रोलर के एक ऐसी डिवाइस होती है, जो वाहन की स्पीड की अधिकतम लिमिट तय करती है। यानी कि निर्धारित स्पीड के आगे फिर वाहन की स्पीड नहीं जा सकती है। आरटीओ ने हाल ही में कई स्कूली बसों में ये डिवाइस लगवाई है, ताकि स्कूली बसें अनियंत्रित होकर न चलें और एक्सीडेंट की संभावना न रहे। 'बसों में ओवर स्पीड की शिकायतों पर शासन ने सख्ती करने के निर्देश दिए हैं। ऐसे चालकों को सस्पेंड करने की कार्रवाई की जाएगी.' - नीरज सक्सेना, आरएम