IITians are undoubtedly sharp minded and have given global fame to India. During the convocation ceremony at the IIT Kanpur most of them were spotted sleeping. Though despite all this the day was happening and full of energy.


आईआईटीयन्स की गिनती दुनिया के मोस्ट फर्टाइल ब्रेन्स में की जाती है। एंट्रेंस की तैयारी हो या एडमिशन की बात। चार साल की कठिन पढ़ाई हो या फिर प्लेसमेंट के लिए भागदौड़। इस आपाधापी में भी ये फर्टाइल ब्रेन किसी न किसी मैजिक फॉर्मूले की तलाश में रहता है। आईआईटी कानपुर के 44वें कनवोकेशन में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला। डिग्री होल्डर आईआईटीयन्स को जेईई के सिंगल एंट्रेंस के फॉर्मूले में कोई मैजिक नजर नहीं आ रहा है। नजर आया विरोध


जेईई के पैटर्न में बदलाव के विरोध में 2012 बैच के पासआउट बच्चे भी फैकल्टी मेम्बर्स की तरह एकमत हैं। सबका कहना है कि जेईई के पैटर्न में बदलाव नहीं होना चाहिए। कनवोकेशन में प्रेसीडेंट गोल्ड मेडल, गवर्नर्स गोल्ड मेडल, रतन स्वरूप मेमोरियल प्राइज समेत कुल 1135 स्टूडेंट्स को मेडल्स और सर्टीफिकेट मिले। डिग्री मिलने के बाद भी ये स्टूडेंट्स फैकल्टी मेम्बर्स के साथ खड़े नजर आए। इनका कहना था कि जेईई के पैटर्न में एप्टीट्यूड टेस्ट ही शामिल किया जाए, बोर्ड परसेंटेज के वेटेज को नहीं। हर बोर्ड ने अपने इंटरनल प्रोजेक्ट स्टार्ट कर दिए हैं। इससे बच्चों के माक्र्स हाई-फाई हो जाते हैं। ऐसी सिचुएशन में बोर्ड माक्र्स का वेटेज शामिल करना पॉसिबल नहीं है। सिर्फ इंजीनियर बनो

डिग्री अवॉर्ड होने के बाद कनवोकेशन के चीफ गेस्ट मेट्रोमैन ई श्रीधरन ने स्टूडेंट्स से कहा कि कुछ बच्चे यहां से डिग्री लेने के बाद आईएएस और एमबीए जैसे नॉन-इंजीनियरिंग प्रोफेशन में स्विच कर जाते हैं। यह बात देश के लिए ठीक नहीं है। आप लोग इंजीनियर बनकर जा रहे हैं। वही बने रहना ठीक होगा। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी अपनी सभ्यता और संस्कृति के अलावा सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी और एकाउंटबिलिटी से दूर हो रही है। उन्होंने कहा कि यंग जेनरेशन को पवित्र ग्रंथ रामायण और गीता की शरण में जाना चाहिए। दीज आर प्रैक्टिकल गाइड्स फॉर लाइफ। गिनाईं उपलब्धियां आईआईटी के डायरेक्टर प्रो। एसजी धांडे ने इस मौके पर सभी स्टूडेंट्स को सुनहरे भविष्य की शुभकामनाएं देते हुए इंस्टीट्यूट की उपलब्धियां गिनाई। उन्होंने बताया कि आईआईटी को एक्सटर्नल फंडिंग सैंक्शन्स अमाउंट 344 करोड़ से बढक़र 522 करोड़ पहुंच गई है। सिमरन, जुगनू, डिजिटल मंडी फॉर इंडियन किसान समेत कई रिसर्च पर काम जारी है। जेनरेशन ऑफ सोलर हाइड्रोजन मल्टी इंस्टीट्यूशनल इनीशिएटिव इसी कड़ी का हिस्सा है। अमेरिका, मेलबर्न, आस्ट्रेलिया, रिओ-डी-जिनेरियो जैसी फॉरेन यूनिवर्सिटीज ने संस्थान के साथ कोलेबोरेशन किया है। इसलिए हैं हम नंबर वन

कनवोकेशन ओकेजन पर खुशी जताते हुए आईआईटी बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के चेयरमैन ने कहा कि आईआईटी कानपुर दुनिया में यूं ही मशहूर नहीं है। इसके पीछे दो प्रमुख वजहें हैं। पहला यहां के बच्चों की आउटस्टैंडिंग परफॉर्मेंस और दूसरा यहां के फैकल्टी मेम्बर्स की एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी क्वालिटी। इन्हीं दो वजहों से आईआईटी कानपुर की वल्र्ड वाइड ब्रांड इमेज है। सौ टेक्नोक्रेट बने आईएएसएक ओर जहां चीफ गेस्ट श्रीधरन ने अपनी स्पीच में बच्चों से नॉन-इंजीनियरिंग प्रोफेशन में स्विच ओवर नहीं किए जाने की बात कह रहे थे। इस बार सिविल सर्विसेज एग्जाम में करीब 100 आईआईटीयन्स ने आईएएस का एग्जाम क्वालीफाई किया। इनमें से पांच स्टूडेंट्स ने टॉप-100 पोजीशन हासिल की है। हॉयर स्टडीज के लिए डिग्री हासिल करने वालों में कई स्टूडेंट्स ऐसे भी रहे जिन्होंने लाखों का सैलरी पैकेज ठुकराकर हॉयर स्टडीज कन्टीन्यू करने का फैसला किया है। प्रेसीडेंट गोल्ड मेडलिस्ट शुभायु चटर्जी इस कड़ी का पहला हिस्सा हैं। इसी कैटेगरी के थर्ड नॉमिनी आशीष गुप्ता का प्लेसमेंट हो चुका है, लेकिन वो पीएचडी करेंगे। मैटीरियल साइंस की पर्णिका अग्रवाल भी अगस्त में एमआईटी बोस्टन के लिए रवाना होंगी।

Posted By: Inextlive