Kanpur: सीएसजेएम यूनीवर्सिटी के पैरलल शहर में एक और ‘यूनीवर्सिटी’ चल रही थी. फर्क इतना था कि यहां पढ़ाई छोडक़र बाकी सब कुछ हो रहा था. बस माल दीजिए और मनमाफिक डिग्री मार्कशीट ले जाइए. सैकड़ों लडक़े इन डिग्रियों के सहारे अच्छे इंस्टीट्यूट में एडमिशन ले चुके है तो कई नौकरी भी कर रहे हैं. इस ‘यूनीवर्सिटी’ में महज पांच हजार रुपए में स्टूडेंट को एमबीबीएस डॉक्टर और बीटेक-एमटेक इंजीनियर बना दिया जाता था. ट्यूजडे को सिटी पुलिस ने इस फर्जी ‘यूनीवर्सिटी’ का भंडोफोड़ कर इसके ‘वीसी’ ‘रजिस्ट्रार’ और ‘प्रोफेसर्स’ को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया. इनके कब्जे से पुलिस ने सैकड़ों फर्जी मार्कशीट डिग्री वोटर कार्ड मोहर कम्प्यूटर हार्ड डिस्क आदि बरामद किया है.


दाम दीजिए, डिग्री लीजिएक्राइम ब्रांच की टीम ने चावल मण्डी से कमलेश गुप्ता उर्फ राजू, नितिन अग्रवाल, श्यामजी गुप्ता, मदन मोहन, आशीष शर्मा, मुकेश झा और सीएसजेएम यूनिवर्सिटी के कर्मी महेंद्र को फर्जी मार्कशीट बनाने के आरोप में गिरफ्तार किया है। इस गिरोह का सरगना कमलेश गुप्ता है। उसने महेंद्र के जरिए यूनीवर्सिटी का पूरा डाटा ही चुरा लिया था। जिसके बाद से उसने फर्जी मार्कशीट और डिग्री बनाने का धंधा शुरू किया था। इस धंधे में प्रदेश की कई यूनिवर्सिटी के कर्मचारी जुड़े हैं। वह उनके जरिए वहां की ब्लैैंक डिग्री और मार्कशीट मंगवा लेता है। जिसके बाद वह स्टूडेंट का नाम, नम्बर और मोहर लगाकर मुंहमांगे दाम पर बेच देता था.  एजेंट के जरिए लेता था काम
एसएसपी यशस्वी यादव के मुताबिक, कमलेश कई साल से फर्जी मार्कशीट और डिग्री बनाने की फैक्ट्री चला रहा था। लेकिन कभी पकड़ा नहीं गया। वह सिर्फ खास एजेंटों के माध्यम से ही काम लेता था। वह पहचाने जाने के डर से कभी किसी के सामने नहीं जाता था। वह मोबाइल के माध्यम से डिटेल नोट करता था। जिसके बाद वह अपने एजेंट्स के जरिए मार्कशीट की डिलीवरी करता था। पांच हजार में एमबीबीएस, बीटेक


पूछताछ और बरामद दस्तावेज के आधार पर ये बात सामने आई है कि कमलेश गुप्ता हर महीने औसतन 300 फर्जी मार्कशीट और डिग्री बनाता था। वह एक डिग्री के तीन हजार रुपए लेता था, जबकि एक हजार रुपए में मार्कशीट बनाता था। इसके साथ ही वह पांच हजार रुपए में बीटेक, एमटेक और एमबीबीएस की डिग्री बना देता था। गुरु-चेले के विवाद से खुला राजएसएसपी के मुताबिक कमलेश गुप्ता ने काम बढऩे पर नितिन अग्रवाल को अपने साथ मिला लिया था। उसने नितिन को काम सिखाया। दोनों ने करीब पांच साल साथ में काम किया। इसके बाद नितिन ने कमलेश के कम्प्यूटर से सारा डाटा चुराकर अलग काम शुरू कर दिया। जिसको लेकर कमलेश उससे रंजिश मानने लगा था। इसी खींचतान में उनके काले धंधे का राज खुल गया। डिग्री बेचने की फैक्ट्री दो जगह से चलाई जा रही थी। चावल मंडी में कमलेश गुप्ता काम करता था, जबकि उसका चेला नितिन दूसरी जगह काम करता था। एसएसपी ने गुडवर्क करने वाली क्राइम ब्रांच की टीम को 25 हजार रुपए ईनाम दिया है। टीम का नेतृत्व क्राइम ब्रांच के प्रभारी संजय मिश्रा कर रहे थे।ये हुआ बरामदएक कम्प्यूटर, एक प्रिंटर, एक स्कैनर, एक लेमिनेशन मशीन, 34 मोहर, पांच मोबाइल, ढेरों फर्जी मार्कशीट व डिग्री, ब्लैंक शीट्स और 60500 रुपए।

"फर्जी मार्कशीट व डिग्री लेने वाले सैकड़ों स्टूडेंट पुलिस के राडार पर हैं। जिसमें कई तो नौकरी कर रहे हैं, जबकि कई स्टूडेंट एमबीबीएस, बीटेक और एमटेक की पढ़ाई कर रहे हैं। जल्र ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा." यशस्वी यादव, एसएसपी

Posted By: Inextlive