जनसंख्या 'विस्फोट' में हरियाली हो रही गायब
पॉपुलेशन अभियान
- आबादी के बोझ तले बढ़ते गए कंक्रीट के जंगल और घटती जा रही है हरियाली - महज 3 परसेंट ही बचा कानपुर में वन क्षेत्र, जबकि हर साल करोड़ों पौधे लगाने का दावा kanpur@inext.co.in KANPUR : खत्म हो रहे जंगल और बढ़ती आबादी पर्यावरण के लिए परेशानी का सबब बनती जा रही है। आए दिन पर्यावरण को हो रहे भारी नुकसान से जीवन खतरे में पड़ता जा रहा है। एक समय था कि शहर में 40 परसेंट वन क्षेत्र हुआ करता था, लेकिन बढ़ते कंक्रीट के जंगलों के बीच कानपुर में वन क्षेत्र महज 3 परसेंट ही बचा है। जिसके चलते हवा में खतरनाक नाइट्रिक ऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाईऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड कणों की बढ़ती मात्रा धीरे-धीरे हमको खत्म कर रही है। इसको सिर्फ हरे-भरे पेड़-पौधों से ही दूर किया जा सकता है। घुट रहा हरियाली का दमशहर में आए दिन पर्यावरण को बचाने के लिए बड़े-बड़े सामाजिक कार्यक्रम किए जाते हैं, लेकिन लगातार इस दिशा में कार्यो को नहीं किया जाता है, जिससे पर्यावरण की दशा और दिशा में कोई खास सुधार नहीं हो पा रहा है। वहीं कैंट एरिया, सीएसजेएम यूनिवर्सिटी, सीएसए कैंपस आदि जगहों पर भरपूर मात्रा में हरियाली नजर आती है। जबकि हर साल फॉरेस्ट डिपार्टमेंट और अन्य विभागों को पौधे लगाने का टारगेट दिया जाता है, लेकिन रखरखाव के अभाव में ज्यादातर पौधे सूख जाते हैं।
पेड़ लगाने के लिए जमीन नहीं वन विभाग के अधिकारियों की माने तो उन्हें हर साल 5 लाख से अधिक पौधे लगाने का टारगेट दिया जाता है। लेकिन शहर में जमीन की उपलब्धता नहीं होने के कारण उन्हें ग्रामीण क्षेत्रों में पौधे रोप कर टारगेट पूरा करना पड़ रहा है। साल 2017 में भी वन विभाग को महज 422 हेक्टेअर जमीन में ही पौधे लगाने की जगह मिली है, जो बिधनू के पीपरगांव में है। हरियाली आंकड़ों के आइने से साल 2016 3,16,000 पौधे-- फॉरेस्ट डिपार्टमेंट ने लगाए 2,39,000 पौधे-- अन्य विभागों के द्वारा लगाए गए साल 2017 5,40,000 पौधे--- फॉरेस्ट डिपार्टमेंट का टारगेट 1,33,000 पौधे--- अन्य विभागों को इस साल का टारगेट साल 2018 13,37,700 पौधे लगाने का वन विभाग को टारगेट ------------------ हरियाली के लिए अलॉट बजट साल 2016 3 करोड़--- का बजट खर्च किया गया साल 2017 90 लाख लगभग---- इस साल का अनुपूरक बजट साल 2018 15 करोड़ बजट शासन को भेजा गया। ------------------