Kanpur: यूके से ‘मिड टर्म कॅरियर ट्रेनिंग’ के बाद लौटे आईजी कानपुर जोन पीयूष आनंद से आई नेक्स्ट की खास बातचीत. आईजी ने कहा पुलिस-पब्लिक पार्टनरशिप से कानपुराइट्स को मिलेगी प्रॉपर पुलिसिंग फियरलेस होगी सोसाइटी

This is Police Public Partnership
पीपीपी यानि पुलिस-पब्लिक पार्टनरशिप ही वो रिक्वॉयरमेंट है जिससे शहर पूरी तरह से फियरलेस हो सकता है। शहर के लोगों और पुलिस में बेहतर समझ बने, इसके लिए नए साल में पूरी कोशिश करेंगे। ये कहना है आईजी पुलिस कानपुर जोन पीयूष आनंद का। हैदराबाद और यूनाइटेड किंगडम में 8 वीक्स की स्पेशल ट्रेनिंग के बाद शहर वापस लौटे पीयूष ने न सिर्फ शहर की प्रॉब्लम्स को सही से एनालाइज किया है। बल्कि, उन प्रॉब्लम्स के लिए कई सॉल्यूशंस भी सुझाए हैं। इन्हीं सॉल्यूशंस में से एक है पुलिस का लोगों के साथ और लोगों का पुलिस के साथ म्युचुअल कोऑपरेशन। नए साल के मौके पर आई नेक्स्ट ने आईजी पीयूष आनंद से एक्सक्लूसिव बातचीत की और ये जानने की कोशिश करी कि नए साल में पुलिस की तरफ से कानपुराइट्स को क्या-क्या खास मिलने वाला है।
‘पुलिस एक सर्विस है’
आईजी पीयूष आनंद मानते हैं कि पुलिस एक ऐसी सर्विस है जिसका मकसद होता है सोसाइटी में शांति बरकरार रखना और ये एंश्योर करना कि लोग अपने फंडामेंटल राइट्स को पूरी तरह से एंज्वॉय कर सकें। इसके लिए ये जरूरी है कि जिनको भी इस सर्विस का पूरा फायदा मिलना है वो भी इसकी बेहतरी के लिए अपना पूरा इंवॉल्वमेंट रखें। अगर कोई क्राइम हो जाता है तो प्रत्यक्षदर्शी उसके खिलाफ सामने आकर आवाज उठाने में डरते हैं। जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए। क्योंकि क्राइम सिर्फ एक व्यक्ति विशेष को नुकसान नहीं पहुंचाता है। आईजी पीयूष आनंद ने कानपुराइट्स से अपील की कि अगर उनके सामने कुछ गलत होता है तो वो सामने आकर अपनी आवाज उठाएं।
अपराधियों को जल्द सजा जरूरी
पीयूष आनंद के मुताबिक यूके में अपनी ट्रेनिंग के दौरान उन्हें एक बात ने बहुत ही प्रभावित किया। वो था क्रिमिनल केसेज का तेजी से निपटारा। पीयूष ने बताया कि ऐसा कई यूरोपियन कंट्रीज में है। वहां पर संगीन से संगीन जुर्म के केसेज का निपटारा छह से दस महीने तक में हो जाता है। इसके कई बेनिफिट्स होते हैं। एक तो विक्टिम के जेहन में अपने साथ हुए जुर्म की याद ताजा रहती है और वो सही बयान देकर अपराधी को सही सजा दिलवाने में मदद करता है। वहीं कुछ ऐसे लोग जो कि बेगुनाह होते हैं, उन्हें भी बेवजह की जेल नहीं काटनी पड़ती है और उनकी जिंदगी बरबाद होने से बच जाती है।
‘सेंस ऑफ सर्विस’ इज इशेंशियल
पुलिस के अंदर सेंस ऑफ सर्विस का होना बेहद ही जरूरी है। ऐसा तब आसानी से हो सकता है जब पुलिसवालों को भी प्रॉपर फैसिलिटीज मिल सकें। आनंद के मुताबिक पुलिस को चाहिए वो अपना काम करे न कि बेवजह के दूसरे कामों में दखल दे। इसके लिए उसे मना करना भी सीखना होगा। पुलिस को ये ध्यान रखना होगा कि वो लोगों में अपने विश्वास को बरकरार रखे।
स्विफ्ट और सही इंवेस्टिगेशन के लिए मिलेंगे लगभग 100 सब इंस्पेक्टर्स
कहते हैं जस्टिस डिलेड इज जस्टिस डिनाइड। और जस्टिस मिलने में देरी होने के बड़े कारणों में से एक कारण है पुलिस जांच का देर से पूरा होना। ईयर 2013 में शहर की ये प्रॉब्लम काफी हद तक कम हो जाएगी। आईजी पीयूष आनंद के मुताबिक इस पर प्रदेश शासन लेवेल से ध्यान दिया जा रहा है। आने वाले एक-दो महीनों में प्रदेश को करीब तेरह हजार सब इंस्पेक्टर्स मिलेंगे। इनमें से करीब नब्बे से सौ सब इंस्पेक्टर्स शहर को दिए जाएंगे। यानि, प्रत्येक थाना स्तर पर शहर को दो से तीन सब इंस्पेक्टर्स एक्स्ट्रा मिलेंगे।

टेक्नॉलाजिकल स्ट्रेंथ होती है यूजफुल

यनाइटेड किंगडम में टेक्नोलॉजी का यूज काफी ज्यादा होता है जो कि न सिर्फ मैनुअल एफट्र्स को कम करता है। बल्कि, इससे क्राइम कंट्रोल में भी काफी मदद मिलती है। इसे एक्सप्लेन करने के लिए श्री आनंद ने अपनी यूके की यात्रा के दौरान ट्रेनिंग के ऑब्जर्वेशन शेयर किए। उन्होंने बताया कि यूके के कई शहरों में ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकग्नीशन सिस्टम है जो कि अपनी तरह का बेहद ही यूजफुल सिस्टम है। इस सिस्टम की खासियत है कि अगर कोई भी व्यक्ति किसी वेहिकल से क्राइम करता है और उसके वेहिकल का नंबर हमें पता है। तो उसका बचना नामुमकिन हो जाता है। उसके वेहिकल का नंबर पता होने पर ये सिस्टम पूरे एरिया में अपने सेंसर्स को एक्टिवेट कर देता है। इससे उस वेहिकल की पल-पल की लोकेशन मिल जाती है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अपने आप में इसकी क्या यूटिलिटी हो सकती है। पीयूष मानते हैं कि अगर देश में भी ऐसे ही सिस्टम्स का इंप्लीमेंटेशन हो जाए तो क्राइम रेट पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है।
पब्लिक इज कंज्यूमर एंड कंज्यूमर इज किंग
पुलिस जिस दिन से सोच ले कि उसका अस्तित्व पब्लिक की वजह से ही है तो इसमें काफी सुधार हो सकता है। ये सोच रिजल्ट के तौर पर न सिर्फ बेहतर पुलिसिंग देगी, बल्कि लोगों के बीच में पुलिस की छवि भी ठीक होगी। काम को लेकर प्रोफेशनल और सकारात्क रवैया रखने वाले आईजी पीयूष आनंद का कमोवेश ऐसा ही मानना है। हालांकि वो ये भी कहते हैं कि इस कंडीशन में पब्लिक को भी एक वेल-कल्चर्ड और समझदार कंज्यूमर के तौर पर पेश आना होगा। इसी से सिस्टम में एक स्थाई चेंज आ सकेगा जो एक अच्छे समाज का निर्माण करेगा।
 फ्राम कानपुर टू हैदराबाद टू यूके
कानपुर जोन के आईजी पीयूष आनंद उन आईपीएस ऑफिसर्स में शामिल हैं जिन्हें मिड कॅरियर ट्रेनिंग प्रोग्राम (एमसीटीपी) के लिए चुना गया था। इसके लिए लगभग 80 आईपीएस ऑफिसर्स की एक टीम बनाई गई। इस टीम को पहले 6 वीक्स की ट्रेनिंग हैदराबाद में और बाकी आगे के दो वीक्स की ट्रेनिंग यूके में दी गई। यूके में ट्रेनिंग के दौरान वो मैनचेस्टर, कैंब्रिज व लीड्स शहरों में रहे जहां कई तरह की स्टडीज की गईं। श्री आनंद ने बताया इस दौरान कई एरियाज से आए ऑफिसर्स के साथ न सिर्फ अपने- अपने एक्सपीरिएंसेस शेयर किए गए। बल्कि, तमाम नए चैलेंजेज के बारे में भी डिस्कस किया। ट्रेनिंग की फाइंडिंग्स को वो न सिर्फ सिटी में बल्कि हर उस जगह इंप्लीमेंट करेंगे जहां उनकी फर्दर पोस्टिंग होगी।


Report by: Shirish Kumar Gupta & Vipin Gupta

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Posted By: Inextlive