Kanpur: दिल्ली के निर्भया रेप केस में दोषी जुवेनाइल पर बालिग की तरह मुकदमा चलाए जाने की मुहिम रंग लाती दिख रही है. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय का प्रस्ताव है कि मर्डर गैंगरेप जैसे जघन्य अपराध के मामलों में शामिल 16 साल या इससे ऊपर के जुवेनाइल क्रिमिनल्स के साथ बालिग अपराधियों की तरह बर्ताव किया जाए. माना जा रहा है कि इस तरह का कानून बनने पर बाल अपराधों में कमी आएगी. शहर को भी इसका फायदा मिलेगा. क्योंकि यहां भी जुवेनाइल क्रिमिनल्स की संख्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है. वो चेन स्नेचिंग और बाइक चोरी से लेकर गैंगरेप व मर्डर जैसी वारदातों को अंजाम दे रहे हैं. जुवेनाइल बोर्ड के आंकड़े बेहद चौकाने वाले हैं.


कभी शौक, कभी जरूरतइंटनेट, टीवी और समाज में हो रही तरह-तरह की घटनाओं की खबरें बच्चों के दिमाग पर बुरा असर डालती हैं। वे शौक और जरूरतों को पूरा करने के लिए अपराध की राह पकड़ लेते हैं। उनको शुरुआत में तो सब ठीक लगता है, लेकिन पुलिस के चंगुल में फंसने के बाद उनको खुद के कदम का अहसास होता है। लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी होती है। जुवेनाइल कोर्ट के तीन साल के रिकॉर्ड के मुताबिक, 18 साल से कम उम्र के लडक़े और लड़कियों में अपराधिक छवि बढ़ रही है। ज्यादातर गरीब परिवारों से


शहर में हर महीने औसतन 20 से 22 किशोर किसी न किसी अपराध में गिरफ्तार किए जाते हैं। इसमें ज्यादातर लूट, चोरी और तस्करी में पकड़े जाते हैं। इन अपराधियों में गरीब फैमिली के बच्चे अधिक होते हैं। वहीं, हत्या, दुष्कर्म, हत्या का प्रयास जैसे संगीन मामलों में भी हर महीने किशोरों की गिरफ्तारी हो रही है। गुडवर्क के नाम फर्जी गिरफ्तारी

जुवेनाइल बोर्ड के सदस्य के मुताबिक हर महीने औसतन 20 से 25 मामले निस्तारित होते हैं। कई मामलों में सामने आया है कि पुलिस गुडवर्क के नाम पर किशोरों को फर्जी फंसा देती है। जिसके बाद वे गरीबी से छुटकारा पाने के लिए क्राइम की रहा पकड़ लेते हैं। कुछ तो पुलिस से बचने के लिए उनके मुखबिर बन जाते हैं। पुलिस के सरंक्षण हो क्राइम करते हैं।25 फीसदी मामले रेप और मर्डर केइस समय जुबनाइल कोर्ट में करीब 1000 केस चल रहे है। जिसमें 250 से ज्यादा केस रेप, मर्डर, डकैती जैसे संगीन मामलों के है। इसमें रेप के केस सबसे ज्यादा हैं। बोर्ड के सदस्य कमलकान्त तिवारी के मुताबिक चार सालों से रेप के केस अचानक बढ़ गए हैं। इसके पीछे सामाजिक बदलाव और मानसिक विकृति है। ज्यादातर केस में बच्चे मानसिक रोगी होते हैं।जेल में सीखते हैं अपराध के गुरशहर में हर महीने औसतन 20 से 22 किशोर अपराधिक मामलों में गिरफ्तार किए जाते है। इसमें कुछ किशोर मजबूरी में कोई अपराध कर देते हैं, तो कुछ पेशेवर होते हैं। इसमें कुछ को पुलिस ने फंसाया होता है। जेल में वे शातिर क्रिमिनल के बीच पहुंच जाते हैं। जहां वे क्रिमिनल की हनक और रसूख देखकर उनसे आसानी से जुड़ जाते हैं। क्रिमिनल उसको अपनी गैैंग में शामिल करने के लिए पहले हमदर्दी दिखाकर रुपए देकर उनकी मदद करते हैं, फिर उनसे रुपए का तगादा कर उनको ब्लैकमेल करते हैं। जुवेनाइल कोर्ट का रिकॉर्डवर्ष         मुकदमे2013       10042012        893

2011        817 "पेरेन्ट्स की अनदेखी पर बच्चे बिगड़ जाते है। अगर बच्चे की परवरिस अच्छी हो, तो वह जानबूझ कर क्राइम नहीं करता है। ज्यादातर बच्चे गरीबी से तंग होकर क्राइम की राह पकड़ लेते हैं। जुवेनाइल कोर्ट में 70 प्रतिशत केस में गरीब परिवार के बच्चे हैं। मिडिल और रईस फैमिली के बच्चे संगीन केस में आते हैं। कुछ बच्चों को पुलिस फर्जी फंसा देती है और वे जेल जाने के बाद अपराध की राह पकड़ लेते है। "कमलकान्त तिवारी, सदस्य जुवेनाइल बोर्डCase historyरक्षाबंधन पर गैंगरेप चौबेपुर के एक गांव में रक्षाबन्धन के दिन नाबालिग किशोर ने दो दोस्तों के साथ मिलकर चचेरी बहन से गैैंगरेप कर दिया। इस केस में पुलिस ने आरोपी भाई को गिरफ्तार कर लिया, जबकि उसके दोस्तों की तलाश की जा रही है। इसमें आरोपी भाई और उसके दोस्तों की उम्र 15 से 17 साल के बीच में है। गर्लफ्रैैंड के लिए बन गया क्रिमिनल
तिलक नगर में रहने वाले एक कारोबारी का बेटा गर्लफ्रैैंड को महंगे गिफ्ट देने के लिए घर से चोरी करने लगा। पेरेन्ट्स ने रंगेहाथ पकडऩे पर भी उसको माफ कर दिया। दोबारा चोरी करने पर पेरेन्ट्स ने उसकी बाइक छीन ली। जिस पर उसने नवीन मार्केट में बाइक चोरी करने की कोशिश की और पकड़ा गया। इस गलती पर उसको जेल जाना पड़ा और उसका केस आज भी चल रहा है।बुरी संगत ने पहुंचाया जेलशान्ति नगर में रहने वाले नगर निगम कर्मी के बेटे की अपनी उम्र से बड़े लडक़ों से दोस्ती थी। परिजनों ने उसको कई बार समझाया, लेकिन वह चोरी छुपे उनसे मिलता रहा। दीवाली के दो दिन पहले वह उन्हीं दोस्तों के साथ बाइक से शॉपिंग करने के लिए नवीन मार्केट जा रहा था। तभी रास्ते में वाहन चेकिंग में उसको रोक लिया गया। गाड़ी के पेपर न मिलने पर पुलिस ने कड़ाई से पूछताछ की, तो पता चला कि वह चोरी की बाइक थी। नगर निगम कर्मी के बेटे ने खुद को बेकसूर बताया, लेकिन पुलिस ने उसको दोस्त के साथ जेल भेज दिया। 16 साल का स्मैक तस्कर
लाटूश रोड में रहने वाला एक किशोर गरीबी से तंग आकर स्मैक की तस्करी करने लगा। शुरुआत करते ही उस पर रुपए की बरसात हो गई। कुछ ही दिनों में वह घर पर जरूरत का हर सामान ले गया, लेकिन पुलिस गिरफ्त में आने के बाद उसको जेल की सलाखों के पीछे जाना पड़ा। पुलिस रिकॉर्ड में सोलह साल की उम्र में उसका नाम स्मैक तस्कर के रूप में जुड़ गया। वह स्मैक पीने भी लगा है।

Posted By: Inextlive