Kanpur: कानपुर जू सबसे घटिया है. इसे फौरन बन्द कर देना चाहिए या फिर कहीं और शिफ्ट करना चाहिए. ये हम नहीं कह रह हैैं बल्कि गवर्नमेंट एश्योरेंस कमेटी की चेयरपर्सन और सांसद मेनका गांधी का कहना है. जो बुधवार को संजय वन में वाइल्ड लाइफ एनिमल कंजर्वेशन पर आयोजित तीन दिवसीय ट्रेनिंग प्रोग्राम में शिरकत करने आई थीं. उन्होंने कहा कि वो बहुत आहत हैं कि हर साल तमाम बेजुबानों की मौत के बाद भी कानपुर जू की बदहाली दूर नहीं की जा रही है. इसीलिए कानपुर जू का नाम लेते ही उनका दर्द फूट पड़ा. हालांकि कानपुराइट्स का कहना है कि चिडिय़ाघर को बन्द करने की बजाए व्यवस्थाएं सुधारी जानी चाहिए. जिससे एक बार देश के सबसे बड़े जू का गौरव लौट सके.


डॉक्टर तो छोडि़ए, फार्मेसिस्ट तक नहीं


कानपुर जू को बनाने में करीब 3 वर्ष लग गए थे। करीब 76 हेक्टेयर में बना देश के सबसे बड़े प्राणि उद्यानों में एक कानपुर जू वर्ष 1974 में पब्लिक के लिए खोला गया। एक समय कानपुर जू में रियर स्पिशीज सहित 1200 से अधिक एनिमल्स थे। लेकिन इतनी अधिक संख्या में देशी व विदेशी एनिमॅल्स होने के बाद भी हाल ये है कि कानपुर में परमानेंट वेटनरेरी डॉक्टर या फार्मेसिस्ट नहीं है। कान्ट्रेक्ट बेस पर डॉक्टर रखकर जरूर काम चलाया जा रहा है। लेकिन वर्ष 2005 से 2011 के बीच और इससे पहले कई ऐसे मौके रहे जब कान्ट्रैक्ट बेस पर कोई वेटेनेरी डॉक्टर भी जू में नहीं रखा गया। यही नहीं जू के वेटेनरी हॉस्पिटल में कोई टें्रड फोर्थ क्लास इम्प्लाई भी नहीं है। टिकट चेकर से ही हॉस्पिटल में हेल्पर के तौर पर काम लिया जा रहा है। इसी तरह जू में कोई एंबुलेंस भी नहीं है। पांच साल में 250 मौत

कानपुर जू में 250 से अधिक जानवरों की मौत हो चुकी है। ये डेटा केवल पिछले 5 वर्षो का है। कानपुराइट्स शायद एक साल पहले जू में 31 ब्लैकबग की मौत को भूल नहीं पाए होंगे। ये मामला संसद तक में गूंजा था। इससे पहले केवल 2008 में 77 एनीमल्स की मौत हुई थी। इसी तरह 2009 व 2010 में 138 जानवरों की मौत हुई थी। बीमार बना रहा गन्दा नालाकानपुर जू के एनीमल्स को बीमार बनाने वाले शारदा नगर, जीटी रोड के नाले को अभी तक बन्द नहीं किया जा सका है। जिसके चिडिय़ाघर की झील के पानी में मिलने की वजह से जू के जानवरों में गंभीर बीमारियां फैल रही है। जानवर लेप्टोसपायपरोसिस, सेल्मोनेला, इकोलाइट बैक्टीरिया, हेमोरहैजिक सैप्टीसीमिया वाइरस की चपेट में आ रहे हैैं। इस नाले को डायवर्ट कराने के लिए सेंट्रल जू अथॉरिटी तक ऑफिसर्स दखल दे चुके हैं। लेकिन गन्दे नाले को डायवर्ट करने का मामला फाइलों में ही चल रहा है। ये जरूर है कि शासन तक गूंज पहुंचने के बाद नाले का गन्दा पानी झील में न जाए इसकी फिलहाल टेम्परेरी व्यवस्था जरूर की गई है।प्यासे रहते हैं एनिमल्स

पहले एनिमल्स के पानी में अठखेलियां करने के लिए यहां बनी झील में पानी गंगा से आता था। लेकिन जलसंस्थान और जू एडमिनिस्ट्रेशन के बीच खींचतान के कारण 3 साल से झील में गंगा का पानी भी नहीं आ रहा है। जिस झील के पानी में जानवर अठखेलियां करते है वह पानी बरसात और झील में गिरने वाले गन्दे नाले का ही होता है। सुधारी जा सकती है व्यवस्थाएंगवर्नमेंट एश्योरेंस कमेटी की चेयरपर्सन और सांसद मेनका गांधी ने कहा कि कानपुर जू की व्यवस्थाएं सुधारी जा सकती हैं। इम्प्लाइज, ऑफिसर को ट्रेनिंग दी जाए। कुछ समय पहले ब्लैक बग्स के मरने की वजह टे्रंक्युलाइजर है। जो उनकी शिफ्टिंग से पहले दिया जाता है। स्ट्रीट डॉग्स के नाम पर लीपापोती की जा रही है। इसलिए ट्रेनिंग जरूरी है। दिल्ली से काफी पैसा दिया जा रहा है। बशर्ते जू के लिए जो पैसा दिया जा रहा है, सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए। मगर जू में बहुत सारे ऐसे काम हो रहे हैं जो नहीं होने चाहिए। ट्रेन चलाने से कुछ नहीं होने वाला है।  विजिटर्स की घटती संख्या2012-13-  5.3 लाख2011-12-  6.0 लाख2010-11-  6.5 लाख2009-10-  7.0 लाखजानवरों की मौत2008- 772009- 70 2010- 68शॉकिंगजनवरी, 2013-  31 ब्लैक बक्स की मौतवर्ष 2012-  घडिय़ाल की मौत की वजह इनफेक्शननवंबर,2011-  बाघिन त्रुशा के दो बच्चों की मौत2011-   14 चीतल की मौत2007 में- व्हाइट टाइगर सनी की मौत  बब्बर शेर नागेश और गौरी की मौतहथिनी पाखिरी की मौत

Posted By: Inextlive