Know the tricks to manage your time
अक्सर स्टूडेंट्स टाइम टेबल तो बना लेते हैं पर उसे फॉलो नहीं कर पाते। इसके पीछे सिर्फ एक कारण है टाइम को प्रॉपर्ली मैनेज ना कर पाना। इसके पीछे भी कई वजहें हों सकती हैं, इन्हें जानने के लिए किजिए अपने आप से कुछ सवाल। हो सकता है उसके बाद आपको सॉल्यूशन खुद ही मिल जाए।Have you defined your priorities?
हर एक स्टूडेंट का एक डिफरेंट अटेंशन स्पैन और कंफर्ट जोन होता है। अटेंशन स्पैन यानी कितनी देर तर लगातार वह कंसंट्रेट होकर पढ़ सकता है। ये टाइम स्टूडेंट्स के अकॉर्डिंग वैरी करता है जोकि 15 मिनट से लेकर 50 मिनट तक वैरी कर सकता है। क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट का कहना है, ‘कुछ स्टूडेंट्स रात में देर तक पढ़ सकते हैं और कुछ सुबह के वक्त जल्दी उठकर ज्यादा अच्छे से पढ़ाई कर सकते हैं इसलिए आपको जो भी टाइम कंफर्टेबल लगता है उसमें पढ़ें नाकि टाइम टेबल के अकॉर्डिंग खुद को फोर्स करें.’ अक्सर ऐसा होता है कि स्टूडेंट्स पूरे दिन बुक्स लेकर बैठे रहते हैं पर उनके दिमाग में कुछ नहीं जाता। इससे बेहतर है अपने अटेंशन स्पैन और अपने कंफर्ट लेवेल को समझें कि दिन के किस टाइम पर आपका कंसंट्रेशन सबसे अच्छा है उस टाइम पर अपने टाइम को इंवेस्ट करें। टाइम टेबल को अपने कंफर्ट जोन के अकॉर्डिंग बनाएं।
मान लीजिए आप मैथ्स पढ़ रहे हैं उसमें एल्जेब्रा के बाद ज्योमेट्री लगाते हैं तो आपके दिमाग में सारे कांसेप्ट्स सही से बैठेंगे क्योंकि दोनों में डिफरेंट ब्रेन सिस्टम्स का यूज हो रहा है। अब हरप्पन सिविलाइजेशन के साथ इंडस वैली सिविलाइजेशन पढ़ेंगे तो नेचुरली आपके दिमाग में चीजें ओवरलैप होंगी क्योंकि दोनों टॉपिक एक जैसे हैं। प्रैक्टिकल सब्जेक्ट के साथ हमेशा थ्योरी सब्जेक्ट उठाएं.’