हवा में उडऩे वाले जंग के इस नए हथियार का नाम है माइक्रोड्रोन. वैसे साइज में तो यह सिर्फ एक कीड़े के जितना ही होगा लेकिन इसकी हेल्प से बड़े से बड़ा ऑपरेशन भी पूरा किया जा सकेगा. इस पर फिलहाल रिसर्च जारी है.

ओहियो में राइट पैटरसन एयरफोर्स बेस से दो किलोमीटर दूर राइट ब्रदर्स ने दुनिया को पहला एरोप्लेन दिया था। अब यहां पर दुनिया को जंग का अगला नया हथियार देने पर काम किया जा रहा है। हवा में उडऩे वाले जंग के इस नए हथियार का नाम है माइक्रोड्रोन। वैसे साइज में तो यह सिर्फ एक कीड़े के जितना ही होगा, लेकिन इसकी हेल्प से बड़े से बड़ा ऑपरेशन भी पूरा किया जा सकेगा। इस पर फिलहाल रिसर्च जारी है।
Lab में चल रहा काम

पेंटागन के पास इस समय सात हजार एरियल ड्रोन हैं। अब उसकी तैयारी माइक्रोड्रोन की है। खास बात यह है कि इसमें मिसाइल्स तक लांच करने की भी कैपेसिटी होगी। राइट पैटरसन एयरफोर्स बेस पर इस ड्रोन के डेवलपमेंट पर एयरोस्पेस इंजीनियर दिन रात काम कर रहे हैं। यहां पर एक लैब जिसे ‘माइक्राएवयरी’ नाम दिया गया है, में ड्रोन की डिजाइन पर काम चालू है। इन ड्रोन को हॉक्स की तरह डिजाइन किया जा रहा है। एरोस्पेस इंजीनियर डा। ग्रेग पार्कर के मुताबिक शुरुआत में यह प्रोजेक्ट थोड़ा मुश्किल लगा था लेकिन अब हम जल्द ही इसे पूरा करने की ओर बढ़ रहे हैं।

Technology का कमाल
इस ड्रोन को देखने के बाद बिल्कुल ऐसा लगेगा कि जैसे कोई हेलीकॉप्टर उड़ रहा हो। इस माइक्रोड्रोन के हर मूव को कैप्चर करने के लिए एवेयरीहाउस में 60 कैमरे लगे हुए हैं। इससे पहले फरवरी में रिसचर्स ने एक हमिंगबर्ड ड्रोन लांच किया था, लेकिन अब वो पुरानी बात हो चुकी है। आजकल डा। ग्रेग पार्कर और उनकी टीम हेलीकॉप्टर के जरिए ड्रोन में यूज होने वाली टेक्नोलॉजी को टेस्ट कर रही। इस माइक्रोड्रोन की सबसे बड़ी खासियत इसके विंग्स होंगे और जिन्हें डिजाइन करने के लिए इंजीनियर्स कीड़ों के विंग्स से इंस्पीरिशेन ले रहे हैं।

Specially for Al-Qaeda
माइक्रोड्रोन की खासियत है ट्रैकिंग सेंसर एलगॉरिदम जो कि हाई वैल्यू टारगेट्स को कम से कम समय में ट्रैक कर पाएगा। पहले के ड्रोन जहां केवल ट्रैंक्स पर फायर कर पाते थे अब यह जमीन के भीतर छिपे टारगेट्स को भी ट्रैक करेगा। इसके जरिए कैजुअलटीज भी कम हो सकेंगी। इसे खासतौर पर अल कायदा के सीनियर लीडर्स को खत्म करने के लिए ही डिजाइन किया गया है।
आसान होगा एबटाबाद जैसा operation 
डा। पार्कर के मुताबिक यह बाकी सभी ड्रोन से अलग होगा। हम ये टेस्ट कर रहे हैं कि यह कितने वजन तक के कंप्यूटर को अपने साथ लेकर वॉरफील्ड्स या दुश्मनों के अड़्डे पर जा सकता है.  माइक्रोड्रोन के आने के बाद से यूएस फोर्सेज के लिए एबटाबाद जैसा ऑपरेशन करना और भी आसान हो जाएगा। डा। पार्कर का कहना है कि इस ड्रोन के जरिए नजर रखना पहले से पांच गुना आसान होगा। दुश्मन के अड्डे पर जाना और फिर वहां की पिक्चर्स इस तरह से इसके कैमरे में कैद होंगी कि खुद दुश्मन को भी इसकी कानों कान खबर नहीं होगी।

Posted By: Inextlive