मुंबई में एक फ़िल्मी हीरो या शेयर दलाल मिलना अधिक आसान है लेकिन एक पंडित का मिलना बहुत कठिन.


मुंबई में गणेश चतुर्थी के साथ ही त्योहारों का मौसम शुरू हो रहा है लेकिन एक समस्या है, पूजा पाठ के लिए पंडितों की सख़्त कमी है।
सार्वजनिक गणेश उत्सव समन्वय समिति के अध्यक्ष नरेश दहिभावकर कहते हैं, ‘’शहर में गणेश उत्सव के दौरान 25 हज़ार पंडितों की ज़रुरत है लेकिन पंडितों की कुल संख्या केवल 3500 है। वो कहते हैं, "दस बरस पहले आप देखें तो सिर्फ़ 4000 गणपति थे, अब सार्वजनिक पूजा 12000 जगहों पर होती है। जो घरों में पूजा होती है। वो अभी 20 लाख के आस पास हैं। इतनी जगह पूजा के लिए पंडित सिर्फ 3500.
कोई एक दिन में कितने गणपति पूज लेगा। जो पूजा होती है वो ठीक से नहीं होती है। पाँच मिनट, सात मिनट में पूजा कर दी जाती है। पंडितों के पास टाइम नहीं होता." पंडितों की इस कमी को पूरा करने के लिए इस संगठन ने युवा लड़के और लड़कियों को पंडित बनाने का बेड़ा उठा रखा है.

चुनौतियां
दहिभावकर कहते हैं, "हमने स्कूलों में संस्कृत पढने वाले सात सौ लड़के और लड़कियों को पंडित बनाने की ट्रेनिंग देनी शुरू कर दी है। एक महीने बाद वो पूजा पाठ कराने के योग्य हो हो जाएंगे." दहिभावकर के निमंत्रण पर हम उनके ट्रेनिंग केंद्र पहुंचे, जो दादर के एक भीड़ भाड़ वाले इलाके में एक स्कूल के अन्दर था। कक्षा के अंदर 30 के करीब लड़के और लडकियां ज़ोर-ज़ोर से श्लोक और मंत्र याद कर रहे थे। पंद्रह वर्ष की नेहा कहती है, "पहले तो में पुजारिन बनूँगी पूरी तरह से, पढ़ लूंगी, और जिनके भी घर में ऐसी प्रॉब्लम है उनके घर में जा कर के पूजा पाठ करवाऊंगी." एक 14 वर्षीय लड़के का कहना था, "लॉर्ड गणेश मुझे बहुत पसंद हैं, पुजारी बहुत कम हैं तो छोटे बच्चों का तैयार होना चाहिए, इसलिए मैं पुजारी बनना चाहता हूँ." लेकिन क्या इन कम उम्र के 'पुरोहितों' को लोग स्वीकार करेंगे? दूसरे, क्या लड़कियों को पंडितों का दर्जा दिया जाएगा?

प्रशिक्षण
पंडित विश्वनाथ जंगम इन बच्चों को अकेले ही प्रशिक्षण दे रहे हैं। वो कहते हैं, "हमने लड़के और लड़कियों को प्रशिक्षण बराबर दिया है। लड़कियों को यह भी समझा दिया है कि उन्हें अड़चने आ सकती हैं."गणेश पांडे मुंबई के 3500 पंडितों में से एक हैं। वो इस क़दम का स्वागत करते हैं, "आजकल जो हमारे आचार्य लोग है, उन्होंने ने छोटी बड़ी पुस्तकें प्रकाशित की हैं उनमें से देख देख कर सब को पढना चाहिए, सीखना चाहिए, सिखाना चाहिए। यह अच्छी बात है." लेकिन इन 700 बच्चों के पंडित बन्ने से किया यह गंभीर कमी पूरी हो सकेगी?
दहीभावकर कहते हैं, ‘’अगर ये लड़के लोग आएंगे, और पुजारी बनकर जायेंगे, तो उसके बाद दूसरे लड़के भी आएंगे, और हर घर में एक एक लड़का पुजारी बनेगा और ये जो दिक्कत आ रही है पुजारियों की वो नहीं आएगी".

Posted By: Inextlive