.तो क्या बंद ही करा दोगे जीएसवीएम
- बुधवार को 6 डॉक्टर्स के तबादले के बाद गुरूवार को फिर 5 फैकल्टी मेंबर्स कन्नौज मेडिकल कॉलेज ट्रांसफर किए गए
- ट्रांसफर होने वाले ज्यादातर डॉक्टर क्लीनीशियन भी, पीजी और एमबीबीएस स्टूडेंट्स की पढ़ाई चौपट, सबसे ज्यादा असर सबसे बड़े मेडिसिन डिपार्टमेंट परKANPUR: जीएसवीएम से दो दिन में शासन ने आनन फानन में क्क् फैकल्टी मेंबर्स का ट्रांसफर कर दिया। यह ट्रांसफर अंबेडकर नगर और कन्नौज स्थित राजकीय मेडिकल कॉलेजों की मान्यता बचाने के लिए किए गए हैं, लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि दूसरे मेडिकल कॉलेज खोलने में मशगूल सरकार जीएसवीएम को बंद कराकर ही रहेगी। क्योंकि फैकल्टी की कमी की वजह से पीजी की सीटें यहां पिछले साल ही कम कर दी गईं थीं। इसके बावजूद बीते साल से अब तक दर्जन भर से ज्यादा फैकल्टी मेंबर्स को ट्रांसफर कर दिया गया है, जिससे मेडिकल स्टूडेंट्स की पढ़ाई चौपट हो गई है। यही सबसे बड़ी वजह भी है कि पहली बार जीएसवीएम में मेडिसिन डिपार्टमेंट की परीक्षा में 70 एमबीबीएस फाइनल ईयर के स्टूडेंट्स फेल हो गए।
कन्नौज मेडिकल कॉलेज में हुआ ट्रांसफर क्-डॉ। बीपी प्रियदर्शी, मेडिसिन डिपार्टमेंट ख्-डॉ। अमजारूल , मेडिसिन डिपार्टमेंट फ्-डॉ। इकबाल अहमद, मेडिसिन डिपार्टमेंट ब्-डॉ। अनीता ओमहरे, पैथालॉजी डिपार्टमेंट भ्-डॉ। जीसी उपाध्याय, माइक्रो बॉयोलॉजी डिपार्टमेंटकार से आज एक साथ भेजा जाएगा कन्नौज
गुरूवार को जिन पांच फैकल्टी मेंबर्स का कन्नौज मेडिकल कॉलेज ट्रांसफर हुआ है। उन्हें शुक्रवार सुबह इनोवा कार से एक साथ कन्नौज भेजा जाएगा। दो दिन के भीतर कन्नौज और अंबेडकर नगर मेडिकल कॉलेज में एमसीआई का इंस्पेक्शन होना है। इस बावत गुरूवार को आईएएस अनीता सिंह और डीजीएमई डॉ। वीएन त्रिपाठी कन्नौज मेडिकल कॉलेज पहुंच गए थे। गुरूवार सुबह इन भ् फैकल्टी मेंबर्स के ट्रांसफर के आदेश आए, जिसके बाद उन्हें फौरन ही रिलीव भी कर ि1दया गया। जब बीच रास्ते में ही कार से उतर कर डॉक्टर साहब वापस आ गए जीएसवीएम से मेडिसिन डिपार्टमेंट के एक असिसटेंट प्रोफेसर का कुछ दिनों पहले कन्नौज मेडिकल कॉलेज तबादला कर दिया गया था। उन्हें तत्काल रिलीव करके कन्नौज में ज्वाइन करने के आदेश थे। इस पर उन्हें कार में विशेष तौर पर बैठा कर कन्नौज भेजा गया, लेकिन कुछ ही देर बाद ही बीच रास्ते में बहाने से कार से उतरे और वापस चले आए। थोड़े दिन बाद उन्होंने अपना ट्रांसफर निरस्त करा लिया और फिर से जीएसवीएम आ गए। मेडिकल कॉलेज में डिपार्टमेंट्स की वर्तमान स्थितिडिपार्टमेंट फैकल्टी
मेडिसिन डिपार्टमेंट - क्7 गाइनी डिपार्टमेंट- भ् नेत्ररोग विभाग- फ् पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट - भ् आर्थोपेडिक डिपार्टमेंट - 7 सर्जरी डिपार्टमेंट - ख्फ् टीबी एवं चेस्ट डिपार्टमेंट - क् मानसिक रोग विभाग- क् स्किन डिपार्टमेंट- क् रेडियोडायग्नोसिस- ख् ईएनटी डिपार्टमेंट- ख् कार्डियो थोरेसिक सर्जरी-ख् कार्डियोलॉजी- फ् इन डिपार्टमेंट्स में एचओडी ही नहीं मेडिसिन डिपार्टमेंट- प्रिंसिपल डॉ। नवनीत कुमार ने फैकल्टी क्राइसेस के बाद खुद ही इस डिपार्टमेंट का चार्ज लेने का फैसला किया है न्यूरो मेडिसिन- कोई एचओडी नहीं न्यूरो सर्जरी - कोई एचओडी नहीं रेडियोडायग्नोसिस - कोई एचओडी नहीं स्किन डिपार्टमेंट - कोई एचआेडी नहीं क्या इसी वजह से फेल हुए 70 स्टूडेंट्स?मेडिकल कॉलेज में कुछ दिन पहले एमबीबीएस फाइनल ईयर का रिजल्ट आया तो मेडिसिन के पेपर में 70 स्टूडेंट्स फेल हो गए। इसमें से कई दूसरे मेडिकल कॉलेज के भी स्टूडेंट्स थे, लेकिन मेडिसिन डिपार्टमेंट जोकि क्लीनिकल और पढ़ाई दोनों ही मामलों में सबसे बड़ा डिपार्टमेंट है। जब वहां की एक मात्र प्रोफेसर को रातोंरात ट्रांसफर कर दिया गया। उसके बाद बुधवार को एचओडी डॉ। संजय वर्मा को ट्रांसफर कर दिया जाना और गुरूवार को फ् और फैकल्टी मेंबर्स का ट्रंासफर कर दिया जाना, ऐसे में पढ़ाई तो प्रभावित होना तय है। फैकल्टी की ही वजह से इस डिपार्टमेंट में पीजी सीटें पहले से ही कम हो गई हैं।
अब प्रिंसिपल भी पढ़ाएंगे इसे जीएसवीएम में फैकल्टी की क्राइसेस ही कहेंगे कि प्रिंसिपल डॉ। नवनीत कुमार को खुद एमबीबीएस और पीजी स्टूडेंट्स को पढ़ाना पड़ेगा। मेडिसिन डिपार्टमेंट में कोई प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर नहीं बचने के बाद फिलहाल वही इस डिपार्टमेंट के एचओडी का प्रभार संभाल रहे हैं। वहीं ट्रांसफर की वजह से पढ़ाई का स्तर प्रभावित नहीं हो इसके लिए वह अब खुद भी मेडिकल स्टूडेंट्स को पढ़ाएंगे। इसकी जानकारी खुद प्रो। डॉ। नवनीत कुमार ने दी। डॉक्टर्स की कमी से मरीजों की बढ़ेगी प्रॉब्लमदो दिन में क्क् मेडिकल फैकल्टी के ट्रांसफर होने का असर सिर्फ मेडिकल कॉलेज की पढाई पर ही नहीं बल्कि वहां आने वाले मरीजों पर भी पड़ेगा, क्योंकि सबसे ज्यादा क्लीनीशियन फैकल्टी का ही ट्रांसफर हुआ है। जिनकी ओपीडी भी होती है। सबसे ज्यादा असर मेडिसिन, स्किन, चेस्ट व टीबी और आई डिपार्टमेंट की ओपीडी पर पड़ेगा। क्योंकि इन डिपार्टमेंट्स की ओपीडी में ही रोज सबसे ज्यादा पेशेंट्स आते हैं। साथ ही स्पेशिएलिटी ओपीडी भी प्रभावित होगी। हाल तो अब यह है कि न्यूरो सर्जरी, न्यूरोलॉजी की स्पेशिएलिटी ओपीडी में कई दिन मेडिसिन व पीडियाट्रिक सर्जन भी पेशेंट्स को देखते हैं।
फिर बंद ही करा दाे जीएसवीएम शासन एक के बाद एक छोटे शहरों में मेडिकल कॉलेज तो खोलता जा रहा है, लेकिन उसमें पढ़ाने के लिए मेडिकल फैकल्टी उसे नहीं मिल रही है। यही कारण है कि कुछ दिनों पहले शासन ने मेडिकल शिक्षकों के रिटायरमेंट की उम्र भ् साल बढ़ा कर म्भ् साल कर दी थी। वहीं नए मेडिकल शिक्षक इन राजकीय मेडिकल कॉलेजों में आना नहीं चाहते। इसीलिए बड़े मेडिकल कॉलेजों से फैकल्टी का अंधाधुंध ट्रांसफर किया जा रहा है। हालत यह है कि सूबे से सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज को चलाने के लिए न तो शासन पर्याप्त बजट मुहैया करा रहा है और ट्रांसफर की वजह से मेडिकल फैकल्टी भी एमसीआई के मानकों की आधी ही बची है।