हादसों का एक्सप्रेस वे बना आगरा एक्सप्रेस वे
- करोड़ों के खेल के चलते नहीं लग रही आगरा एक्सप्रेस वे पर डग्गामार बसों पर लगाम
- 9 शहरों के प्रवर्तन दस्ते मिल कर भी नहीं रोक पा रहे एक्सप्रेस वे पर डग्गामार की एंट्री LUCKNOW: आगरा एक्सप्रेस वे पर पिछले साल 2019 में जहां 100 से अधिक एक्सीडेंट हुए, वहीं इस साल भी हर माह एक बड़ा हादसा यहां हो रहा है। अधिकतर हादसे डग्गामार बसों से हो रहे हैं, फिर भी यहां इनका संचालन बंद नहीं हो पा रहा है। डेली होने वाली मोटी कमाई के चलते न तो पुलिस इन डग्गामार वाहनों को रोकती है और ना ही परिवाहन विभाग के अधिकारी कोई बड़ा कदम उठाते हैं। विभागीय अधिकारी तो बस यही कहते हैं कि डग्गामारी रोकने के लिए योजनाएं तो हैं लेकिन मैन पॉवर की कमी है। करोड़ों का कारोबारइस समय प्रदेश में डग्गामार बसों का कारोबार रोजाना 10 करोड़ से ऊपर का है। एक बस ही डेली 1 लाख रुपए से अधिक की इनकम करती है। राजधानी से विभिन्न रूट पर जाने वाली डग्गामार बसों की कमाई ही प्रति दिन 20 हजार से 90 हजार रुपए है।
नहीं तैयार किया एक्शन प्लानजनवरी में कन्नौज में बस हादसा हुआ था, इसके बाद भी विभागीय अधिकारी डग्गामार बसों के खिलाफ ठोस एक्शन प्लान नहीं तैयार कर सके। बस कुछ दिन ऐसी बसों के खिलाफ अभियान चला और फिर मिली-भगत से इन बसों का संचालन शुरू हो गया।
एमडी का आदेश भी बेकार राजधानी में डग्गामार बसों का सबसे बड़ा अड्डा पॉलीटेक्निक चौराहा है। यहां पर इन बसों को हटाने के लिए आठ विभाग एकजुट हुए। परिवहन निगम के एमडी ने इसके लिए सभी विभागों को मिलकर प्रयास करने के निर्देश दिए थे, लेकिन सब बेकार। भरो चालान और चलो डग्गामार बसों के अधिकारी कहते हैं कि प्रवर्तन दस्ते जो चालान करते हैं, हम उसे भर देते हैं, लेकिन बस खड़ी नहीं करते। इसमें हमारा नुकसान हो जाता है। ऐसे में बस चलती रहती है। डग्गामार बसों के संचालकों का मानना है कि यदि संचालन नहीं होगा तो पब्लिक को सुविधा नहीं मिलेगी। बॉक्स ऑनलाइन भी चल रहा खेलबहुत सी ऐसी बसें ऑनलाइन चल रही हैं, इसके बाद भी इन्हें नहीं रोका जा रहा है। राजधानी ही नहीं पूरे प्रदेश में इन बसों ने अपने प्वाइंट बना रखे हैं, जहां से ये यात्रियों को लेते और उतारते हैं। अपर परिवहन आयुक्त एके पांडेय के अनुसार कई लोग ऑनलाइन ऐसी बसों की टिकटें उपलब्ध कराते हैं.आधा दर्जन कंपनियों के खिलाफ एफआईआर के साथ इनकी जांच के आदेश दिए गए हैं।
बॉक्स नहीं मिलता पुलिस का सपोर्ट परिवहन विभाग के अधिकारियों के अनुसार वे अभियान चलाने से भी डरते हैं, क्योंकि उनके पास पर्याप्त स्टाफ नहीं है। पुलिस से हेल्प मांगने पर सपोर्ट नहीं मिलता है। किसी बस को रोको तो डग्गामार बस संचालक लड़ाई पर उतारू हो जाते हैं। बाक्स 9 आरटीओ ऑफिस फिर भी नकेल नहीं - लखनऊ - उन्नाव - हरदोई - इटावा - औरैया - कन्नौज - मैनपुरी - फिरोजाबाद नोट- इन आरटीओ ऑफिस के प्रवर्तन दस्ते मिलकर भी नहीं रोक पा रहे डग्गामारी। बॉक्स इनका नहीं हो रहा पालन - तीन घंटे से पहले कोई एक्सप्रेस वे पार करता है तो उसका चालान करने का नियम है, लेकिन चालान नहीं किए जाते। - एक्सप्रेस वे पर जगह-जगह सीसीटीवी लगाने की बात की गई थी लेकिन आज तक सीसीटीवी नहीं लगे। - ओवरस्पीड वाहनों का चालान करने के लिए कैमरे लगाए गए हैं, लेकिन यह भी एक तरह से बेकार ही हैं। कोटडग्गामार बसों के खिलाफ नियमित अभियान चलता है। चालान होने पर वह धनराशि का भुगतान कर देते हैं। उसके बाद फिर वह रोड पर दौड़ने लगते और हम फिर उनका चालान करते हैं। इसके लिए हमें नियमों में बदलाव की जरूरत है।
वीके सिंह, अपर परिवहन आयुक्त प्रवर्तन परिवहन विभाग प्लानिंग यह की जा रही है कि आगरा एक्सप्रेस वे के एंट्री और एग्जिट प्वाइंट दोनों ही जगहों पर प्रवर्तन टीमें तैनात की जा सके। हमने इसकी व्यवस्था की है। हमारे पास मैन पॉवर की कमी है। एक ही जगह पर एक आदमी को 24 घंटे के लिए तैनात नहीं कर सकते। धीरज साहू, परिवहन आयुक्त परिवहन विभाग, उत्तर प्रदेश हादसे - 2014 में रोडवेज की बस में आग लगने से 23 यात्रियों की मौत, 27 यात्री घायल। - दिसंबर 2019 में उन्नाव में दो बार प्राइवेट बसें पलटी, 20 से अधिक यात्री घायल। - 31 अक्टूबर 2019 को जानकीपुरम में डग्गामार बस ने रोड किनारे सो रहे लोगों को कुचल दिया। दो बच्चों की मौत। - पिछले साल दिल्ली जा रही रोडवेज बस यमुना एक्सप्रेस वे के पास पुल से नीचे गिरी, 35 लोगों की मौत। - कन्नौज के पास ट्रक से टकराकर डग्गामार बस में लगी आग, 20 लोग जिंदा जले। बॉक्स इन रूट पर सर्वाधिक डग्गामारीरूट बसों की संख्या
लखनऊ से दिल्ली 150 से अधिक गोरखपुर-लखनऊ-दिल्ली 200 लखनऊ-आगरा-मथुरा 300 लखनऊ-कानपुर 100 लखनऊ-गोरखपुर 175 लखनऊ से सीतापुर, बाराबंकी, मौरावां, रायबरेली, अयोध्या, गोंडा 580 नोट- 20 हजार से 90 हजार रुपये डेली कमाई हर रूट पर बाक्स ऐसे भरते हैं बस ऑनलाइन बुकिंग के अलावा डग्गामार बस संचालन विभिन्न एजेंटों के जरिए लोगों को जल्द मंजिल तक पहुंचाने के नाम पर बस अड्डों के आसपास से भी फंसाते हैं। जिसके बदले उन्हें 20 फीसद तक कमीशन दिया जाता है। इसी तरह पूरे प्रदेश में इन्होंने अपना नेटवर्क बना रखा है। बाक्स हादसे 2019 में गंभीर दुर्घटनाएं- 132 मारे गए लोग- 251