59 हजार कुत्तों की दहशत
- नगर निगम के मुताबिक लखनऊ सिटी में 59 हजार डॉग
- हर दिन 150 से ज्यादा आते हैं डॉग बाइट के केस - हर मंथ होती है आवारा कुत्ते की नसबंदी mayankanshu.srivastava@inext.co.inLUCKNOW: राजधानी में हर महीने करीब एक हजार से ज्यादा लोग डॉग बाइट के शिकार होते हैं। यह हम नहीं बल्कि सरकारी अस्पताल के आंकड़े बयां कर रहे हैं। डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल समेत अन्य सरकारी अस्पताल में हर रोज डॉग बाइट के म्0 से 70 केस आते हैं। वहीं, नगर निगम का कहना है कि रोड पर घूमने वाले 'बेसहारा' (आवारा डॉग) को पकड़ने के लिए उनके पास कोई बजट नहीं हैं। हालांकि, कोर्ट के आदेश के बाद नगर निगम के साथ मिलकर दो एनजीओ आवारा डॉग की नसबंदी का प्रोग्राम चला रही हैं। नगर निगम का दावा है कि जल्द ही उनका भी एक जानवरों का अस्पताल शुरू होगा। जिसमें, नसबंदी और वैक्सीनेशन का प्रोग्राम बड़े पैमाने पर चलाया जाएगा। आने वाले समय में लखनऊ के लोगों को डॉग बाइट के खतरे से उबारा जा सकेगा।
कब कितने केस आए डॉग बाइट के ख् मार्च - म्0 केस ख्8 फरवरी - 7ख् केस ख्7 फरवरी - 78 केस ख्म् फरवरी - 78 केसख्भ् फरवरी - 77 केस
नगर निगम का दावा है कि आवारा डॉग की हर रोज नसंबदी होती है। दो स्वयं सेवी संस्था इसके लिए काम कर रही है। आरआर के पास एनीमल आश्रम और नादरगंज में एक अन्य संस्था में आवारा डॉग की नसबंदी होती है। नगर निगम का दावा है कि हर माह एनीमल आश्रम में तीस जबकि दूसरे संस्था में दो से तीन सौ तक डॉग की नसबंदी और वैक्सीनेशन होता है। फिर कहां से आ रहे केस? नगर निगम का दावा है कि हर रोज आवारा डॉग पकड़े जाते हैं और उनकी नसबंदी कराई जाती है। डिपार्टमेंट के आंकड़ों पर सरकारी अस्पताल में आने वाले केसेज खुद ब खुद सवाल खड़े कर रहे हैं। अगर इतने बड़े स्तर पर नसबंदी प्रोग्राम चलाया जा रहा है तो हर वीक एक हजार से ज्यादा डॉग बाइट के केस कैसे आ रहे हैं? नगर निगम को होगा अपना अस्पताल डिपार्टमेंट का दावा है कि जल्द ही नगर निगम का अपना नसबंदी अस्पताल होगा। जोन-फ् में नगर निगम का अस्पताल बनाने की तैयारी शुरू कर दी गई है। ख्0क्भ्-क्म् तक यह अस्पताल चालू हो जाएगा। इसके लिए कार्यकारणी में प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई है और बजट भी पास हो गया है। नगर निगम का अस्पताल शुरू होने से बड़ी संख्या में आवारा डॉग की नसबंदी का प्रोग्राम चलाया जा सकेगा। अफसरों का दावा है कि आने वाले कुछ साल में पूरी तरह से डॉग की बढ़ती संख्या पर न केवल कंट्रोल पाया जा सकेगा बल्कि वैक्सीनेशन से डॉग बाइट से होने वाले खतरे को भी निपटाया जा सकेगा। केस बढ़े, मौत का आंकड़ा घटा सिटी में डॉग बाइट के केस तो लगातार बढ़ रहे हैं, लेकिन एक खबर यह भी है कि डॉग बाइट से हाइडोफोबिया का शिकार होने वाले लोगों की संख्या बहुत हद तक घट रही है। अब हाइडोफोबिया के चलते मौत न के बराबर हो रही है। डॉक्टरों का कहना है कि इसका पूरी तरह से इलाज अभी नहीं निकल सका है लेकिन इस पर रिसर्च चल रहा है। वैक्सीनेशन के चलते हाइडोफोबिया के केस में लगातार गिरावट आई है। इसे रैबीज भी कहते हैं। डॉग से हैं परेशान तो यहां करें कॉल सिटी में आवारा डॉग से परेशान होने पर अब नगर निगम के अलावा उन एनजीओ को भी कॉल कर सकते हैं, जो नगर निगम के बिनाह पर नसबंदी प्रोग्राम चला रही है। एनजीओ ने इसके लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है। हेल्पलाइन नंबर 8009भ्ख्क्क्क्क्, 8009फ्9ख्ख्ख्ख् और 99क्99क्ब्ब्ब्ब् नंबर पर पब्लिक शिकायत कर सकती है। संस्था द्वारा न केवल डॉग को पकड़ कर उनकी नसबंदी कराई जाएगी बल्कि डॉग का वैक्सीनेशन भी किया जाएगा ताकि लोगों को खतरों से बचाया जा सके। सिटी में आवारा डॉग के खतरे से निपटने के लिए नगर निगम के साथ मिलकर दो एनजीओ नसबंदी और वैक्सीनेशन का प्रोग्राम चला रही है। एक साल के भीतर नगर निगम का जानवरों का अस्पताल भी शुरू हो जाएगा। जिसमें, बड़े पैमाने पर प्रोग्राम चलाकर कुछ समय में स्थिति को कंट्रोल कर लिया जाएगा। - डॉ। एके राव पशु चिकित्सक अधिकारी, नगर निगमख्ब् फरवरी - 9भ् केस
ख्फ् फरवरी - क्क्9 केस ख्क् फरवरी - भ्7 केस ख्0 फरवरी - म्0 केस क्9 फरवरी - म्भ् केस ( डॉग बाइट का रिकॉर्ड बलरामपुर हॉस्पिटल के एंटी रैबीज डिपार्टमेंट के हैं.) कब कितने केस आए डॉग बाइट के ख् मार्च - म्क् केस ख्8 फरवरी - भ्7 केस ख्7 फरवरी - फ्7 केस ख्म् फरवरी - फ्7 केस ख्भ् फरवरी - ब्9 केस ख्ब् फरवरी - म्ब् केस ख्फ् फरवरी - म्भ् केस ख्क् फरवरी - ब्फ् केस ख्0 फरवरी - फ्9 केस क्9 फरवरी - ब्8 केस (यह रिकॉर्ड सिविल हॉस्पिटल के एंटी रैबीज डिपार्टमेंट के हैं.) हर दिन आते हैं सैकड़ों केसडिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल बलरामपुर के अलावा सिविल हॉस्पिटल, रानी लक्ष्मी बाई हॉस्पिटल, डॉ। राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल समेत अन्य सरकारी हॉस्पिटल में हर दिन डॉग बाइट के सैकड़ों केस आते हैं। अकेले डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में परडे लगभग 70 केस आते हैं। इन सभी हॉस्पिटल में डॉग बाइट के केसेज पर नजर दौड़ाई जाए तो हर मंथ एक हजार से ज्यादा लोग आवारा डॉग का शिकार हो रहे हैं। अगर इस आंकड़े को एक साल में जोड़कर देखा जाए तो हर साल क्ख् हजार से ज्यादा लोग डॉग बाइट का शिकार होते हैं। यहीं नहीं इसके अलावा बंदर और बिल्ली के कटाने से भी लोग वैक्सीनेशन कराते हैं।
प्राइवेट में भी जाते हैं केस डॉग बाइट के यह सरकारी आंकड़े हैं जबकि डॉक्टरों का कहना है कि कई मामले ऐसे भी हैं जो मार्केट से इंजेक्शन लगवाते हैं। सरकारी इंजेक्शन का कोर्स ख्8 दिन का होता है। मतलब जिस दिन बाइट के बाद इंजेक्शन लगता है उसे शून्य माना जाता है और फिर उसके फ्, 7 और ख्8 दिन बाद इंजेक्शन का कोर्स चलता है। सिटी में भ्9 हजार हैं डॉग नगर निगम के आंकड़े के अनुसार सिटी में भ्9 हजार डॉग हैं। यह सर्वे डिपार्टमेंट ने ख्0क्ब् में कराया था। डिपार्टमेंट के पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ। राव का कहना है कि कोर्ट के आदेश के बाद से डिपार्टमेंट डॉग को पकड़कर उनकी नसबंदी और वैक्सीनेशन का प्रोग्राम चला रहा है। क्भ् अगस्त ख्0क्ब् से यह स्कीम चलाई जा रही है। नगर निगम के लिए दो स्वयं सेवी संस्था यह काम कर रही है। इसके लिए डिपार्टमेंट ने उन्हें जगह और संसाधन मुहैया कराया है।नगर निगम के पास केवल दो टीम
आवारा डॉग को पकड़ने के लिए नगर निगम के पास केवल दो टीम हैं। दो टीम में कुल म् लोग हैं, जो शिकायत और रूटीन में आवारा डॉग पकड़ते हैं। इसके लिए डिपार्टमेंट ने उन्हें दो छोटी गाड़ी उपलब्ध कराई है। नगर निगम के पशु चिकित्सा प्रभारी डॉ। राव का कहना है कि आवारा डॉग को पकड़ने के लिए इन गाडि़यों को पांच से दस लीटर डीजल दिया जाता हैं। हालांकि, डिपार्टमेंट के पास अलग से कैटल कैचिंग के लिए कोई बजट नहीं है। आवारा मवेशियों से होती है कमाई नगर निगम का कैटल कैचिंग दस्ता रोड पर घूमने वाले आवारा मवेशियों को तो पकड़ता है। क्योंकि, उससे निगम को हर साल 8 से क्0 लाख रुपये का फायदा होता है। मवेशियों को पकड़कर दस्ता काजी हाउस भेज देता है और वहां जानवर के मालिक से जुर्माना वसूल कर उन्हें छोड़ दिया जाता है लेकिन दस्ता आवारा डॉग को नहीं पकड़ता है। हर रोज होती है नसबंदी