- पुलिस अफसरों को फटकारा, पूरी सुरक्षा मुहैया कराने को कहा

कोर्ट का निर्देश

मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित करें, तीन महीने के भीतर प्रदेश की सभी यूनिवर्सिटी की पुख्ता सुरक्षा का रोडमैप तैयार करें। मुख्य सचिव को भी निर्देश-प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा, प्रमुख सचिव गृह और डीजीपी को इस कमेटी में शामिल कर संस्तुति दें। भविष्य में ऐसी घटना की पुनरावृत्ति न हो।

LUCKNOW :

लखनऊ यूनिवर्सिटी में शिक्षकों के साथ मारपीट की घटना को लेकर शुक्रवार को हाईकोर्ट में तलब किए गये डीजीपी ओपी सिंह और एसएसपी लखनऊ दीपक कुमार को जमकर फटकार लगी। कोर्ट ने एसएसपी लखनऊ को मामले में की गई कार्रवाई का ब्यौरा हलफनामे के जरिए कोर्ट में दाखिल करने का आदेश दिया है। साथ ही, मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित करने को कहा है जो तीन महीने के भीतर प्रदेश की सभी यूनिवर्सिटी की पुख्ता सुरक्षा का रोडमैप तैयार करके देगी। हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को भी निर्देश दिए है कि वह प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा, प्रमुख सचिव गृह और डीजीपी को इस कमेटी में शामिल करके अपनी संस्तुति दें ताकि भविष्य में इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति न हो सके। फिलहाल मामले की अगली सुनवाई 16 जुलाई को होगी।

क्यों नहीं दी यूनिवर्सिटी को सुरक्षा

हाईकोर्ट के सीनियर जस्टिस विक्रमनाथ और जस्टिस राजेश सिंह चौहान की डिवीजन बेंच ने शुक्रवार को लखनऊ यूनिवर्सिटी में शिक्षकों के साथ मारपीट के प्रकरण में डीजीपी और एसएसपी लखनऊ को तलब किया था। इस दौरान लखनऊ यूनिवर्सिटी के वीसी प्रो। एसपी सिंह, प्रॉक्टर समेत कई शिक्षक भी वहां मौजूद थे। कोर्ट ने निष्कासित छात्रों द्वारा की गयी गुंडगर्दी पर त्वारित कार्यवाही ने करने पर लखनऊ पुलिस को कड़ी फटकार लगायी। मामले की सुनवाई के दौरान एलयू के प्रॉक्टर विनोद सिंह ने बताया कि 29 जून को निष्कासित छात्रों के एडमिशन के मसले पर बातचीत करने 50-60 छात्र आए थे जिनमें से कुछ के पास हथियार भी थे। उस समय भी मारपीट की नौबत आ गई थी। इसकी जानकारी पुलिस को दी गई थी। एसएसपी को पत्र भेजकर हालात से अवगत कराया गया था। घटना वाले दिन विश्वविद्यालय से डीजीपी को भी फोन किया गया था, उनकी ओर से जरूर पूरा रिस्पांस मिला था। कोर्ट द्वारा पूछे जाने पर प्रॉक्टर ने बताया कि जिन छात्रों के खिलाफ आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं उन्हें निष्कासित करने का फैसला विश्वविद्यालय प्रशासन ने लिया था।

अचानक हुई थी घटना

वहीं राज्य सरकार की ओर से मुख्य स्थाई अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया घटना अचानक हुई थी। परिसर में पुलिस का बंदोबस्त था लेकिन अचानक हुए उपद्रव का अंदेशा नहीं था। इस पर कोर्ट ने पूछा कि ऐसे में एलआईयू आदि लोकल इंटेलिजेंस क्या कर रहा था। वहीं एसएसपी ने भी कोर्ट के समक्ष सफाई देते हुए कहा कि तीन आरोपी छात्रों की गिरफ्तारी की जा चुकी है। घटना में कुल 25 छात्रों की भूमिका सामने आई है। पुलिस टीमें बनाकर उनकी भी गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं। एसएसपी ने प्रोफेसर रूपरेखा वर्मा का जिक्र करते हुए कहा कि कुछ शिक्षकों द्वारा भी धरना कर रहे छात्रों का समर्थन किया जा रहा था। वहीं डीजीपी ने कोर्ट को मामले में सख्त कार्रवाई का भरोसा दिलाया। एलयू के वकील सवित्र वर्धन सिंह ने बताया कि कोर्ट ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी भी गठित करने का आदेश दिया है जो विश्वविद्यालयों-महाविद्यालयों और शासन के बीच से समन्वय स्थापित करते हुए ऐसी घटनाओं को रोकने का रोडमैप बनाकर देगी।

Posted By: Inextlive