Lucknow: प्रदेश में हुए मनरेगा की जांच के आदेश सीबीआई को दिये जाने के बाद सीबीआई के सामने बड़ी प्रॉब्लम खड़ी हो गयी है. वजह है जांच का दायरा. मनरेगा की जांच जो सीबीआई को दी गयी है उसमें सात जिले के 4800 ग्राम पंचायतें शामिल हैं ही साथ ही कोर्ट ने सीबीआई को यह भी आदेश दिया है कि जरुरत पडऩे पर प्रदेश के सभी जिलों को जांच के यरे में शामिल कर लिया जाए. अगर प्रदेश के सभी जिलों को जांच के दायरे में शामिल किया गया तो सीबीआई के सामने बड़ी मुश्किल खड़ी हो जाएगी क्योंकि प्रदेश में 79 हजार ग्राम पंचायतें हैं.

खोलनी पड़ेगी लाखों फाइलें

सोर्सेज की मानें तो अगर सीबीआई हर ग्राम पंचायतों की एक-एक फाइल भी खोलती है, तो भी लाखों फाइलें सीबीआई को खोलना पड़ेगा। कोर्ट ने जो आदेश दिया है, उसके अनुसार 2008 से 2010 के बीच मनरेगा की जांच करायी जाएगी। एक-एक ग्राम सभा में कम से कम 50 से 75 काम मनरेगा के अंतर्गत हर वर्ष कराये गये हैं। ऐसे में एक एक काम की फाइल बनी तो फाइलों की संख्या करोड़ों में पहुंच जाएगी। ना सिर्फ सीबीआई के लिए जांच मुश्किल होगी बल्कि अगर फाइल को एक जगह रखना पड़ा तो सिर्फ फाइलें रखने के लिए पूरी बिल्डिंग की जरुरत पड़ेगी।

मैन पॉवर की है कमी

सीबीआई को शुरुआती जांच में सात जिलों की 4800 ग्राम सभाओं के लिए मैन पॉवर की कमी भी पड़ेगी। सीबीआई के पास मौजूदा समय में जांच करने के लिए कुल पंद्रह इंस्पेक्टर, चार सब इंस्पेक्टर और चार डिप्टी एसपी शामिल हैं। इन अधिकारियों पर पहले से ही औसतन दो-दो केसेस हैं। इसमें फूड स्कैम, एनआरएचएम स्कैम और कानपुर के कई बैंकों में हुए स्कैम शामिल हैं।

एक हफ्ते में दर्ज हो सकती है एफआईआर

सूत्रों की मानें तो सीबीआई मनरेगा की जांच शुरू करने में अभी एक सप्ताह का समय और लगा सकती है। इसके पीछे की वजह जांच का दायरा है। अगर सीबीआई सभी 75 जिलों की जांच एक साथ शुरू करती है तो सीबीआई को 75 केस भी रजिस्टर कराने होंगे। ऐसे में जांच कितने दिन तक चलेगी? यह कहना अभी से मुश्किल होगा. 

Posted By: Inextlive