- 36 घंटे के भीतर हुई एक के बाद एक तीन घटनाएं

- इलेक्शन डिक्लीयर होने के बाद से अब तक 40 दिन में चार हजार से अधिक अवैध असलहे बरामद

yasir.raza@inext.co.in

LUCKNOW: राजधानी में दो दिन के अंदर तीन घटनाएं। एक की मौत, दूसरा प्रॉपर्टी डीलर पर जानलेवा हमला और तीसरा दस लाख की लूट। फ्म् घंटे के भीतर हुई एक के बाद एक इन तीन घटनाओं ने राजधानी में सनसनी फैला दी है। पुलिस अब तक एक भी घटना का खुलासा करने में नाकाम रही है। आम तौर पर चुनाव के दौरान इस तरह की घटनाओं पर ब्रेक लग जाता है लेकिन राजधानी में अपराधी बेखौफ हो रहे हैं। तीनों ही जगह पर अवैध असलहों का इस्तेमाल किया गया है। यह तब है जब पुलिस अवैध असलहों के साथ-साथ लाइंसेंसी असलहों को भी जमा करा रही है।

अवैध असलहों पर कैसे लगे रोक?

डीजीपी ऑफिस के आंकड़ों की मानें तो प्रदेश भर में सिर्फ इलेक्शन डिक्लीयर होने के बाद से अब तक ब्0 दिन में चार हजार से अधिक अवैध असलहे बरामद किये जा चुके हैं। बावजूद इसके भारी संख्या में अवैध असलहे अभी भी मार्केट में मौजूद हैं। इसमें बड़ी संख्या मुगेंर की बनी पिस्टल की है। जिसकी कीमत दस हजार से क्7 हजार रुपये तक है।

.फ्क्भ् और क्ख् बोर के तमंचे बनाना है आसान

.फ्क्भ् बोर के तमंचों का प्रोडक्शन करना सबसे आसान माना जाता है। नाम न छापे जाने की शर्त पर एक युवक ने बताया कि ऐसे तमंचों को बनाने में अधिक समय भी नहीं लगता। लागत भी चार सौ से साढ़े पांच सौ रुपये के बीच होती है। वहीं, इसे दो हजार से ढाई हजार में आसानी से बेच दिया जाता है। वहीं, .फ्ख् बोर के असलहों में लोगों की पहली पसंद मुंगेर के ही असलहे हैं।

मुंगेर के असलहों की डिमांड अधिक

इलेक्शन शुरू होने से पहले एसटीएफ ने दो लड़कों को अरेस्ट किया था, जिन्होंने मुंगेर के असलहों की लखनऊ में सप्लाई करने की बात कुबूल की थी। एसटीएफ के हत्थे चढ़े विनोद कुमार उर्फ कल्लन और नौशाद के पास से पुलिस ने .फ्ख् बोर की चार पिस्टल बरामद की थी। पूछताछ के दौरान विनोद कुमार ने बताया था वह मुंगेर में सद्दाम नामक व्यक्ति से असलहे मंगवाता था तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जनपदों में सप्लाई करता था।

हाथ आते हैं सिर्फ कैरियर

एसटीएफ हो या सिविल पुलिस दोनों ही के हाथ सिर्फ कैरियर ही लगते हैं। पुलिस मास्टरमाइंड तक नहीं पहुंच पाती। पुलिस के एक अधिकारी की मानें तो मुंगेर के असलहों की डिमांड अपराधियों में अभी भी है। असलहों को ट्रेन या बस के थ्रू सप्लाई किया जाता है। इलेक्शन के दौरान चौकसी की वजह से अवैध असलहों के दाम भी बढ़ जाते हैं।

मुंगेरी असलहे हैं पहली डिमांड

पुलिस के एक सीनियर अधिकारी की मानें तो मुंगेरी असलहों की डिमाण्ड की पहली वजह कीमत है। मुंगेर में दस हजार रुपए में मिलने वाली .फ्ख् बोर की पिस्टल की कीमत लखनऊ में क्भ् से क्7 हजार रुपए तक में उपलब्ध हो जाती है। इसके साथ मजबूत बनावट डिमाण्ड की दूसरी वजह है। मुंगेर की रिवाल्वर हूबहू आर्डिनेंस फैक्ट्री की नकल होती है। उन पर मेड इन यूएसए का लेबल होता है। हालांकि कुछ दिन पहले बिहार के इस इलाके में पुलिसिया कार्रवाई की गयी थी तो यह संख्या कम हो गयी थी लेकिन समय के साथ-साथ यह धंधा फिर परवान चढ़ने लगा है।

डबल नाल पिस्टल के भी हैं कारीगर

कुछ महीने पहले लखनऊ के अलीगंज थाने में पुलिस ने एक युवक को अरेस्ट किया था जो डबल नाल का तमंचा बनाता था। पकड़े गये युवक ने बताया था कि इसका बड़ा कारोबार इटावा में होता है। इटावा के अलावा कानपुर और लखनऊ के कुछ इलाकों में भी इस तरह के तमंचों का प्रोडक्शन होता है।

Posted By: Inextlive