Lucknow: चंद रुपयों के लालच में रिहायशी इलाकों में लोगों की जान जोखिम में डालकर बड़े सिलेण्डरों से छोटे सिलेण्डरों में गैस रीफिल की जा रही है. ऐसा करने वालों पर ना तो पुलिस की निगाह है और ना ही फूड एण्ड सप्लाई डिपार्टमेंट की. अवैध तरीके से रीफिलिंग तबाही का बड़ा कारण बन सकती है लेकिन अधिकारियों का कहना है कि कोई शिकायत मिलेगी तो जरूर कार्रवाई की जाएगी. लेकिन अहम सवाल यह है कि इन जिम्मेदार विभागों को शिकायत का इंतजार है या फिर किसी बड़े हादसे का.

रुपये 100 प्रति किलो

गवर्नमेंट ने सब्सिडी वाली और बिना सब्सिडी वाली गैस की कीमत तय कर दी है। कंज्यूमर्स को सब्सिडी वाली गैस 30 रुपये 10 पैसे प्रति किलो और बिना सब्सिडी वाली गैस 62 रुपये 39 पैसे प्रति किलो मिलती है। कॉमर्शियल गैस का रेट 83 रुपये 10 पैसे किलो है। लेकिन डोमेस्टिक सिलेंडरों से पांच किलो के छोटे सिलेण्डरों में गैस भरने के लिए 100 रुपये से 125 रुपये प्रति किलो तक वसूले जाते हैं।

नहीं देते छोटे सिलेण्डरों का कनेक्शन

पांच किलो के छोटे सिलेण्डरों का कनेक्शन एजेंसियां नहीं देती। हालांकि अधिकारियों का दावा है कि सभी एजेंसियों पर छोटे सिलेण्डरों की अवेलेबिलिटी है। लेकिन इन एजेंसियों के पास छोटे गैस सिलेण्डरों के कनेक्शन ना के बराबर हैं।

घरेलू सिलेण्डर का भी नहीं मिल रहा कनेक्शन

ऐसा नहीं है कि सिर्फ छोटे सिलेण्डरों के कनेक्शन उपलब्ध नहीं हैं। बल्कि डोमेस्टिक कनेक्शन भी एजेंसियां नहीं दे रही हैं। कंज्यूमर्स को अलग-अलग रीजन बताकर वापस कर दिया जाता है। यहां तक कि एजेंसियां फॉर्म तक सबमिट नहीं करतीं।

पांच लाख से ज्यादा कस्टमर्स

लखनऊ में अभी तीनों मेन कंपनियों इण्डेन गैस, भारत गैस और एचपी गैस की कुल साठ एजेंसियां हैं। इनके कुल पांच लाख से ज्यादा कंज्यूमर्स हैं। वहीं कॉमर्शियल गैस कनेक्शन भी हजारों में हैं.

घट गयी सिलेण्डर की खपत

पिछले साल के रिकार्ड के मुताबिक, गैस कनेक्शंस में तीन परसेंट की ग्रोथ थी। लेकिन इस वक्त ना सिर्फ लखनऊ में बल्कि पूरे देश में 10 परसेंट ग्रोथ डाउन हो गयी है। इसके पीछे मेन कारण केवाईसी फार्म भरवाया जाना और सब्सिडी वाले सिलेंडरों की संख्या तय कर देना माना जा रहा है.

सिलेण्डरों की है शॉटेज

गैस कंपनियों को जर्जर सिलेण्डरों की काफी शिकायत मिल रही थी। शिकायत के बाद कंपनियों ने पुराने हो चुके सिलेण्डरों को रीफिल करना बंद कर दिया। इससे विभिन्न कंपनियों के 50 हजार से ज्यादा सिलेण्डर मार्केट से कम हो गये। सेंट्रल गवर्नमेंट की स्कीम के तहत कुछ नयी एजेंसियां खोल दी गयी, जहां सिलेंडरों की सप्लाई शुरू कर दी गयी। इसका सीधा असर नये कनेक्शन पर पड़ा और एजेंसियों ने नये कनेक्शन पर फिलहाल रोक लगा दी।

घरेलू सिलेंडरों का कॉमर्शियल यूज

गवर्नमेंट ने सिलेंडर्स की कैटेगरी तय कर रखी है। बावजूद इसके कॉमर्शियल कामों में डोमेस्टिक सिलेण्डर्स का यूज किया जा रहा है। होटल से लेकर चाय की दुकान तक पर इसका इस्तेमाल धड़ल्ले से हो रहा है। रोड के किनारे बन रहे टैंक की वेल्डिंग करने के लिए भी डोमेस्टिक सिलेण्डर का यूज किया जा रहा है।

गाडिय़ों में भी यूज होता है घरेलू सिलेण्डर

डोमेस्टिक सिलेण्डरों का यूज गाडिय़ों में भी हो रहा है। इसके पीछे मेन वजह एलपीजी गैस रीफिलिंग स्टेशन की शहर से दूरी है। शहर में सिर्फ दो एलपीजी रीफिलिंग स्टेशन हैं। एक आलमबाग में और दूसरा सीतापुर रोड पर इंजीनियरिंग कॉलेज के पास। ऐसे में वहां तक पहुंचने के लिए अक्सर गैस खत्म हो जाती है जिससे बचने के लिए डोमेस्टिक सिलेंडरों से गाडिय़ों में रीफिल करना पड़ता है.

20 से 25 हजार कनेक्शन बंद

गवर्नमेंट ने सभी गैस कंपनियों को केवाईसी फार्म भरने के लिए कहा था। इसकी लास्ट डेट 30 मई तय की गयी थी। सूत्रों की मानें तो लगभग 25 हजार कनेक्शन ऐसे थे जिन्होंने अब तक केवाईसी फार्म फिल नहीं किया था।

बुकिंग में कोई रिस्ट्रिक्शन नहीं

सब्सिडी वाले सिलेंडरों की लिमिट तय होने के बाद बुकिंग के लिए 21 दिन का जो रिस्ट्रिक्शन रखा गया था उसे खत्म कर दिया गया है। हालांकि दो सिलेण्डरों के बीच का यह रिस्ट्रिक्शन गैस एजेंसियों ने अपने हिसाब से फिक्स किया था।

यह खतरनाक है

डोमेस्टिक सिलेण्डरों का कॉमर्शियल यूज खतरनाक हो सकता है। वजह यह है कि जो कॉमर्शियल सिलेंडर होता है उससे से गैस अधिक मात्रा में निकलती है और उसके लिए दूसरे रेगुलेटर का यूज किया जाता है। लेकिन डोमेस्टिक सिलेण्डर में कॉमर्शियल रेगुलेटर लगाने पर गैस ज्यादा स्पीड में निकलती है जिससे सिलेण्डर फ्रीज होने लगता है और वह खतरा पैदा कर सकता है।

यह हैं रेटस

सिलेंडर कैटेगरी न्यू रेट ओल्ड रेट

14.2 केजी सब्सिडाइज 427.50 रुपये 425.00 रुपये

14.2 केजी नॉन सब्सिडाइज 886.00 रुपये 850.00 रुपये

19 केजी कॉमर्शियल 1579.00 रुपये 1517.50 रुपये

क्या कहते हैं अधिकारी

छोटे सिलेण्डरों के कनेक्शन हर गैस एजेंसी पर उपलब्ध हैं। लेकिन ऐसे कनेक्शनों की संख्या नाम मात्र हैं। छोटे सिलेण्डरों के कनेक्शन की डिमांड काफी कम है। जहां तक इललीगल ओपेन रीफिलिंग की बात है तो इसके लिए समय समय पर ऑपरेशन चलाया जाता है।

- डीपी सिंह, प्रेसीडेंट, आल इण्डिया एलपीजी डिस्ट्रिब्यूशन फैडरेशन, यूपी.

छोटे सिलेंडरों की अवैध रीफिलिंग की शिकायत अगर मिलेगी तो कार्रवाई की जाएगी। अभी मेरे पास ऐसी कोई शिकायत नहीं है.

- ओपी राय

एडीएम, सिविल सप्लाई

Posted By: Inextlive