Lucknow Medical News: केजीएमयू के न्यूरोलॉजी विभाग के हेड डॉ. आरके गर्ग ने बताया कि डेंगू के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। जब भी डेंगू एपेडेमिक होता है उस दौरान न्यूरोलॉजिकल कॉम्प्लीकेशन भी बढ़ जाते हैं। जिसमें पैरालिसिस इंसेफेलाइटिस जीबी सिंड्रोम मायलाइटिस डेंगू मायोसाइटिस आदि की समस्या बढ़ जाती है।


लखनऊ (ब्यूरो)। मौसम में ठंड बढ़ने के बावजूद डेंगू का डंक कमजोर पड़ने का नाम नहीं ले रहा है। राजधानी में रोजाना बड़ी संख्या में डेंगू के मरीज सामने आ रहे हैं। वहीं, डेंगू क असर इसबार दिमाग पर ज्यादा देखने को मिल रहा है। डॉक्टर्स के अनुसार, जब भी डेंगू एपेडेमिक होता है, उस दौरान न्यूरोलॉजिकल कॉम्पलिकेशन जैसे पैरालिसिस, इंसेफेलाइटिस आदि ज्यादा देखने को मिलता है। जिसकी वजह से मल्टी आर्गन फेल्योर हो सकता है। इसबार इन मामलों में करीब 25-30 फीसदी अधिक मामले देखे जा रहे हैं, जिनका इलाज केजीएमयू और पीजीआई में चल रहा है।बढ़ जाती है संख्या


केजीएमयू के न्यूरोलॉजी विभाग के हेड डॉ। आरके गर्ग ने बताया कि डेंगू के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। जब भी डेंगू एपेडेमिक होता है, उस दौरान न्यूरोलॉजिकल कॉम्प्लीकेशन भी बढ़ जाते हैं। जिसमें पैरालिसिस, इंसेफेलाइटिस, जीबी सिंड्रोम, मायलाइटिस, डेंगू मायोसाइटिस आदि की समस्या बढ़ जाती है, जबकि इंसेफेलाइटिस और हाइपोकैलेमिक पैरेलिसिस जैसी बीमारी कॉमन हो जाती हैं। इस समय हर हफ्ते 1-2 मरीज इस समस्या के भर्ती हो रहे हैं। हाइपोकैलेमिक पैरेलिसिस समस्या पोटेशियम की मात्रा बॉडी में 3.5 लेवल से कम होने पर होती है। इसमें आदमी होश में तो रहता है लेकिन उसका खड़े होना और चलना मुश्किल हो जाता है। अगर समय रहते इसकी पहचान हो जाये तो केला व फलों का जूस देने से पोटेशियम रिप्लेस करा दिया जाये तो कुछ ही घंटों में मरीज सही भी हो जाता है।स्ट्रेन 2 के कारण समस्या गंभीरडॉ। आरके गर्ग आगे बताते है कि डेंगू की वजह से इंसेफेलाइटिस एक गंभीर अवस्था है। इसमें प्लेटनेट्स कम हो जाते हैं। डेंगू के चार स्ट्रेन होते हैं इसमें स्ट्रेन-2 होने पर न्यूरोलॉजिकल काम्प्लीकेशन ज्यादा देखने को मिलते हैं। वहीं, जीबी सिंड्रोम इसलिए हो रहा है क्योंकि इंफेक्शन होने से एंटीबॉडी बनती है। उसे कायदे से वायरस को खत्म करना चाहिए, लेकिन वह वायरस के साथ न्यूरोन को नष्ट करने लगते हैं। क्योंकि उसके प्रोटिन में समानता नजर आती है। जो ऑटो इम्युनिटी कहलाती है, जिसकी वजह से यह समस्या होती है।लगातार आ रहे मरीज

संजय गांधी पीजीआई के एमएस और न्यूरोलॉजी विभाग के डॉ। विमल पालीवल ने बताया कि डेंगू के मरीजों में इंसेफेलोपैथी यानि बेहोशी और ब्रेन में बदलाव देखने को मिल रहा है। वायरल होने की वजह से इंसेफेलाइटिस हो जाता है। इस इम्युनोलॉजिकल रिस्पांस कोपोस्ट वायरल एडीईएम कहते हैं। इस समस्या के 2 मरीज भर्ती है। इसके अलावा, जीबी सिंड्रोम भी देखने को मिल रहा है। हालांकि, इलाज के बाद वे मरीज ठीक हो गये।पोस्ट डेंगू होती है समस्याडॉ। पालीवाल के मुताबिक, डेंगू मरीजों में न्यूरोलॉजिकल समस्या देखने को मिलती है। न्यूरो संबंधित समस्या, डेंगू के बुखार खत्म होने के बाद होती है। अमूमन एक हफ्ते के बाद जब बुखार कम होना शुरू होता है, उस दौरान यह समस्या होने लगती है। ऐसे में डेंगू के मरीजों को बेहद एहतियात रखनी चाहि, ताकि इस तरह की न्यूरोलॉजिकल समस्याओं से बचा जा सके।डेंगू का स्ट्रेन-2 होने पर न्यूरोलॉजिकल समस्याएं ज्यादा देखने को मिलती हैं। डेंगू के मरीजों को विशेष एहतियात बरतनी चाहिए।-डॉ। आरके गर्ग, हेड, न्यूरोलॉजी, केजीएमयूडेंगू के बाद न्यूरोलॉजिकल समस्याएं जैसे पैरालिसिस, इंसेफेलाइटिस व जीबी सिंड्रोम हो सकता है। समय रहते डेंगू के इलाज से इनसे बचा जा सकता है।-डॉ। विमल पालीवाल, एमएस, पीजीआई

Posted By: Inextlive