Lucknow News: आखिर इस तरह के मोबाइल गेम्स पर इंडिया में अंकुश क्यों नहीं लग पा रहा जबकि सिंगापुर सऊदी अरब जर्मनी समेत ऐसे कई देश हैं जहां पर बच्चों के लिए ऐसे मोबाइल गेम्स को बैन कर दिया गया है जिनमें गैंबलिंग या फिर वेपंस खरीदने के ऑप्शन दिए जाते हैं।


लखनऊ (ब्यूरो)। बंथरा थाना क्षेत्र में 10वीं के छात्र शिवा कश्यप ने मोबाइल गेम में 10 हजार रुपये गंवाने के बाद खुद पर पेट्रोल छिड़ककर आग लगा ली और बुधवार को उसकी मौत हो गई। मोबाइल गेम की वजह से जान देने का यह कोई पहला मामला नहीं है, बल्कि इससे पहले भी कई ऐसे मामले आ चुके हैं, जिनकी वजह से कई बच्चों और उनके पैरेंट्स की जिंदगी बर्बाद हो चुकी है। ऐसे में, सवाल यह खड़ा होता है कि आखिर इस तरह के मोबाइल गेम्स पर इंडिया में अंकुश क्यों नहीं लग पा रहा, जबकि सिंगापुर, सऊदी अरब, जर्मनी समेत ऐसे कई देश हैं, जहां पर बच्चों के लिए ऐसे मोबाइल गेम्स को बैन कर दिया गया है, जिनमें गैंबलिंग या फिर वेपंस खरीदने के ऑप्शन दिए जाते हैं। पढ़ें दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने खास रिपोर्टहमेशा ही खेलता था गेम


बंथरा में रहने वाले बृजेश कश्यप सिक्योरिटी गार्ड हैं, उनका बेटा शिवा 10वीं क्लास का छात्र था। उसने पिता से पढ़ाई करने के नाम पर स्मार्टफोन खरीदवाया था। इसी मोबाइल से शिवा अक्सर ऑनलाइन गेम खेलता था। परिजनों के मुताबिक, शिवा ने अपने परिचितों से करीब 10 हजार रुपये से ज्यादा उधार ले रखा था। इन पैसों को उसने मोबाइल गेम में गंवा दिया था। कुछ दिन पहले शिवा ने इसी उधार को चुकाने के लिए अपने चचेरे-ममेरे भाइयों से मदद भी मांगी थी, लेकिन रुपयों का इंतजाम नहीं हो सका था, जिससे परेशान होकर शिवा ने पेट्रोल छिड़ककर आग लगाकर जान दे दी।गैंबलिंग की लग रही लतएक रिपोर्ट के अनुसार, 20 परसेंट गेम्स को छोड़ दिया जाए तो बाकी के 80 परसेंट गेम्स में टास्क दिए जाते हैं, जिन्हें पूरा करने के लिए अलग-अलग लेवल को क्रॉस करना होता है। ऐसे में, जब बच्चों के सामने ये टास्क आते हैं तो उन्हें पूरा करने के लिए वे अपने ही पैरेंट्स या फिर रिश्तेदारों के घर से पैसों की चोरी करते हैं या दूसरों से उधारी मांगते हैं। इसके अलावा कई गेम्स ऐसे भी हैं, जिनमें बच्चे गैंबलिंग यानी जुआ भी खेलते हैं। इसके लत में फंसे बच्चों का मानसिक संतुलन बिगड़ने, पैरेंट्स का पैसा बर्बाद करने समेत कई बार सुसाइड कर लेने जैसी कई घटनाएं भी सामने आई हैं। इसकी वजह से इनके करियर पर बुरा असर पड़ रहा है।बच्चों को करते हैं टारगेट

साइबर एक्सपर्ट राहुल मिश्रा के मुताबिक, हर किसी के मोबाइल पर कोई न कोई गेम जरूर देखने को मिलता है, लेकिन यही गेम कई बार इतने खतरनाक होते हैं कि बच्चे इसके लती बन जाते हैं और गेम में लेवल पार करने के लिए चोरी छिपे पैसा ट्रांसफर कर देते हैं। इसकी वजह से बच्चे अपराध की दुनिया में तो कदम रख ही रहे हैं साथ ही खुद को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं। ज्यादातर बच्चों को सोशल मीडिया के जरिए अक्सर टारगेट किया जाता है, गेम ऐप को इस तरह से डिजाइन किया जाता है कि जुआ खेलने वाले लंबे समय तक खेलते रहें और वो खेल के दौरान इससे पूरी तरह चिपके रहे।विनर बनने का लालच बना रहा क्रिमिनल

साइबर एक्सपर्ट ने बताया कि समय में ऐसे बहुत सारे गेम हैं, जिनमें टास्क पूरा करने या फिर विनर बनने के लिए अगले स्टेप में जाया जा सकता है। जिसे पूरा करने के 100 रुपये से 1000 रुपये तक पेमेंट करनी पड़ती है। तभी इन गेम्स के नेक्स्ट लेवल तक जाने का रास्ता खुलता है, यह सिलसिला यही नहीं थमता, बल्कि इसके बाद भी अगले लेवल तक जाने के लिए मोटी रकम चुकानी पड़ती है, ऐसे में जब बच्चों को पैसा चुकाना पड़ता है, तो वह अपने पैरेंट्स या फिर अन्य किसी से चोरी छिपे पैसे लेते हैं। गेम में विनर बनने के लालच बच्चों को क्राइम की दुनिया में धकेल रहा है।कोई सख्त नियम नहींदुनिया के कई देश ऐसे गेम्स की लत से निपटने के लिए अलर्ट मोड पर हैं। ब्राजील में बहुत ज्यादा हिंसा वाले गेम बंद किए, ऑस्ट्रेलिया में भी हिंसक, आपत्तिजनक व विवादित कंटेंट वाले ऑनलाइन गेम्स की अनुमति नहीं है। वहीं, इंडिया में अबतक इसे लेकर कोई सख्त नियम नहीं हैं। हालांकि, भारत पबजी जैसे कई चाइनीज ऑनलाइन गेम्स पर दो साल पहले ही पाबंदी लगा चुका है, लेकिन अब भी ये गेम उपलब्ध हैं।यहां ऑनलाइन गेम्स बैनएक रिपोर्ट के अनुसार, चीन, वेनेजुएला, ब्राजील, जापान जैसे 15 देश ऑनलाइन गेम्स पर बैन लगा चुके हैं। बैन का आधार आपत्तिजनक और हिंसक कंटेंट बताया गया है। वेनेजुएला ने करीब 13 साल पहले ही वीडियो गेम्स बनाने, बेचने और इस्तेमाल करने पर रोक लगा चुका है। इसी तरह साउथ कोरिया, न्यूजीलैंड, यूएई, ईरान, सिंगापुर, सऊदी अरब, जर्मनी, ब्रिटेन, मलेशिया, जापान और पाकिस्तान भी कई पाबंदियां लगा चुके हैं। चीन में 18 साल से कम उम्र वालों को सुबह 8 से रात 9 बजे के बीच शुक्रवार, शनिवार, रविवार और सार्वजनिक छुट्टी के दिन अधिकतम 3 घंटे तक ही ऑनलाइन गेम खेलने की परमीशन है।
आखिर ये गेम्स कब बैन होंगे?1-सट्टेबाजी करने वाले गेम2-बड़े और बच्चों को लत लगाने वाले गेम3-देश की सुरक्षा व नुकसान पहुंचाने वाले गेमऐसे दिखाएं समझदारी-ऑनलाइन गैंबलिंग और बेटिंग प्लेटफॉर्म से बचें।-गेम अगर आपसे पैसा मांगे तो तुरंत बाहर हो जाएं।-गेम अगर कोई लालच दे तो समझिये फेक है।-गेम का लेवल खरीदना है तो पैरेंट्स को जरूर बताएं।-ऐसे गेम का यूज न करें, जिसे कभी न सुना हो।-अंजान लिंक पर क्लिक कर गेम डाउनलोड न करें।-ऑनलाइन गेम खेलते समय अकाउंट का एक्सेस न दें।पहले भी आए केस1-जून 2022 को लखनऊ पीजीआई के यमुनानगर कॉलोनी निवासी पबजी गेम के आदी नाबालिग बेटे ने मां की गोली मारकर हत्या कर दी थी।2-कैंट निवासी सेना के जवान के डेबिट कार्ड से कई बार में आठ लाख रुपये निकल गए। सैनिक ने लद्दाख से लखनऊ आकर साइबर सेल में शिकायत की।बड़ों के निगरानी में यूज करें मोबाइलएमएस कैंसर संस्थान के वरिष्ठ मनोरोग विशेषज्ञ डॉ। देवाशीष शुक्ल बताते हैं कि बच्चे अगर गेम खेलते हैं तो उनका मानसिक विकास होता है, लेकिन इसे अगर दिनभर खेला जाए तो बच्चों की सेहत पर काफी असर पड़ता है। ये जरूरी है कि जो गाइडलाइन स्कूलों में बच्चों के लिए दी जाती है उनका स्क्रीन टाइम लिमटेड किया जाए। फोन का भी लिमटेड ही एक्सेस दिया जाए। पहले भी बहुत सारे ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिसमें ऑनलाइन गेम चैलेंज पूरा करने के लिए बच्चों ने घर छोड़ दिया, ये ध्यान देना जरूरी है कि बच्चे जब भी मोबाइल यूज करें, तो वह किसी न किसी बड़े की निगरानी में ही रहे।ऐसे पहचानें लक्षण-किसी भी बात को लेकर चिड़चिड़ाना।-स्कूल जाने का बहाना करना।-अक्सर मोबाइल में बिजी रहना।-अपने दोस्तों से दूरी बना लेना।-रोजाना बिहेवियर में बदलता नजर आए।-अकेला रहने का आदी हो गया हो।-स्वभाव में बदलाव आता दिख रहा हो।

Posted By: Inextlive