Lucknow News: फायर डिपार्टमेंट का दावा है कि अगले हफ्ते से तंग गालियों में चल रहे होटलों पर कार्रवाई की जाएगी। अगर कोई बिना एनओसी के होटल संचालित करते पकड़ा गया तो उस पर सख्ती की जाएगी।


लखनऊ (ब्यूरो)। हाल ही में चारबाग के एपी सेन स्थित बालाजी गै्रंड रेस्टोरेंट होटल में आग लग गई थी। मामले में फायर ब्रिगेड की तरफ से सोमवार को कोई एक्शन नहीं हुआ है। मेन रोड पर होटल होने की वजह से शायद बड़ा हादसा टल गया, लेकिन चारबाग, नाका समेत अन्य एरिया के तंग गालियों में इसी तरह के सैकड़ों होटल अवैध चल रहे हैं। ऐसे में, अगर इन होटलों में सेफ्टी मानकों की सुध नहीं ली गई, तो किसी दिन कोई बड़ा हादसा हो सकता है। हालांकि, फायर डिपार्टमेंट का दावा है कि अगले हफ्ते से तंग गालियों में चल रहे होटलों पर कार्रवाई की जाएगी। अगर कोई बिना एनओसी के होटल संचालित करते पकड़ा गया तो उस पर सख्ती की जाएगी।संकरी गालियों में चल रहा कारोबार


दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने सोमवार को चारबाग रेलवे स्टेशन से बस स्टैंड, पान दरीबा, सुदर्शन टॉकीज लेन, गुरुनानक मार्केट, गुरुद्वारा रोड, सब्जी मंडी, आर्यनगर लुकमानगंज, विजयनगर, ऐशबाग रोड पर डीएवी कॉलेज के आसपास और नाका हिंडोला में पड़ताल की तो पाया कि इन जगहों पर तकरीबन 300 से अधिक होटल संचालित हो रहे हैं। इनमें से कुछ होटल को छोड़ दिया जाए तो ज्यादातर ऐसे हैं जिनमें फोर व्हीलर के जाने तक की जगह नहीं है। ऐसे में, कल को आग लगने की घटना होती है, तो फायर डिपार्टमेंट के लिए आग पर काबू पाना मुश्किल हो सकता है।सिर्फ नोटिस तक ही सीमितएक आंकड़े के मुताबिक, शहर के अलग-अलग हिस्सों में 500 से भी ज्यादा होटल संचालित हो रहा है। इनमें ऐसे कई होटल हैं, जहां पर जाने के लिए रास्ता बिल्कुल संकरी हैं। आग लगने पर चौथी-पांचवीं मंजिल से तत्काल नीचे आना संभव नहीं है, तंग गलियों के चलते फायर ब्रिगेड की गाड़ियांं भीतर नहीं जा सकती है। बचाव कार्य के लिए होटलों के आसपास खाली स्थान भी नहीं है। इनमें पीजी भी शामिल हैं। इतने बड़े पैमाने पर मानक के विपरीत संचालित हो रहे होटलों को फायर डिपार्टमेंट की टीम सिर्फ नोटिस देने तक ही सीमित रह जाती है।अभियान के बाद होटलों पर गिरेगी गाज

चीफ फायर ऑफिसर मंगेश कुमार ने बताया कि आग की घटनाओं पर अंकुश लगाने व एहतियात बरतने के लिए दमकल विभाग 14 से 19 अप्रैल तक आगजनी से बचाव पर जागरूकता सप्ताह मना रहा है। इसके तहत अस्पताल, सार्वजनिक स्थान, शिक्षण संस्थानों में जागरूकता कार्यक्रम चला रहा है। ऐसे में कार्यक्रम के खत्म होने के बाद फायर ब्रिगेड उन सभी होटलों का सर्च करेगी जो मानक के विपरीत संचालित हो रहे हैं। पकड़े जाने पर उनके खिलाफ सख्ती से कार्यवाही की जाएगी।ये भी जानिएफायर प्रिवेंशन एंड फायर सेफ्टी एक्ट 2005 लागू है। अग्नि सुरक्षा उपायों की अनदेखी व नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ भारी जुर्माने से लेकर जेल भेजे जाने का भी प्राविधान है। वहीं, बहुमंजिला इमारतों में निजी सुरक्षा गार्डों की तरह फायर ऑफिसर व फायरमैन की भी व्यवस्था सुनिश्चित होनी चाहिए। जिससे कहीं आग लगने की दशा में वहां लगे अग्निशमन सुरक्षा उपकरणों को समय रहते सही ढंग से प्रयोग किया जा सके।आवासीय नक्शे में कॉमर्शियल निर्माण, नोटिसों में सिमटता एक्शन

अक्सर होटलों या कॉमर्शियल प्रतिष्ठानों में आग लगने की घटनाएं होती रहती हैं। इसके बाद जिम्मेदार विभागों की ओर से जांच कमेटी बनाई जाती है और उसके बाद नोटिस भेजने का काम शुरू होता है। कुल मिलाकर सारा एक्शन नोटिसों में ही सिमट कर रह जाता है और इंतजार रहता है फिर किसी नए अग्निकांड का। राजधानी में ज्यादातर होटल या कॉमर्शियल प्रतिष्ठान आवासीय नक्शा पास कराते हैैं फिर नियमों को ताक पर रखकर जिंदगियों को खतरे में डालते हैं। एलडीए की ओर से सीलिंग की कार्रवाई तो की जाती है लेकिन इसके बावजूद नियम विरुद्ध निर्माण जारी रहते हैैं। इसी तरह दमकल विभाग की ओर से भी एक्शन लेने की जगह संबंधित प्रतिष्ठान या होटल को नोटिस देकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया जाता है।होटलों में कई बार लगी है आग19 जून 2018चारबाग स्थित दो होटलों एसएसजे इंटरनेशनल और होटल विराज में आग, छह की मौतकार्यवाही-16 इंजीनियर (कई रिटायर्ड) को चार्जशीट दी गई थीवर्ष 2022हजरतगंज स्थित होटल लेवाना में लगी, चार की मौतकार्यवाही-पांच विभागों के 15 अफसर-अभियंता निलंबित।वर्ष 2022होटल रंगोली के बेसमेंट में बने रेस्टोरेंट में आग, एक की मौत।वर्ष 2024हजरतगंज स्थित गोमती होटल में लगी आग।हादसे के बाद बनती है कमेटीचारबाग का मामला हो या हजरतगंज का, होटलों में आग लगने के बाद जांच कमेटी बनाई जाती है। लेवाना मामले में एक दर्जन से अधिक अधिकारियों के खिलाफ निलंबन संबंधी कार्रवाई की गई थी, एसएसजे और होटल विराज मामले में भी आधा दर्जन अधिकारियों पर गाज गिरी थी और दोनों ही होटल ध्वस्त कर दिए गए थे। बाद में एसएसजे बनकर तैयार हो गया था, जिसे एलडीए ने फिर से सील किया था।फील्ड सर्वे नहीं होता
जिस रफ्तार से राजधानी में आवासीय नक्शे में कॉमर्शियल प्रतिष्ठानों का निर्माण हो रहा है, उससे साफ है कि एलडीए की ओर से फील्ड सर्वे नहीं कराया जाता है। अगर फील्ड सर्वे प्रॉपर तरीके से करा लिया जाए तो आधे से अधिक कॉमर्शियल प्रतिष्ठान बनने से पहले ही सील हो सकते हैैं। हालांकि पिछले दो महीनों में जरूर 100 से अधिक अवैध कॉमर्शियल प्रतिष्ठानों को सील किया है।चारबाग व आसपास ज्यादा है खेलराजधानी के घनी आबादी वाले क्षेत्रों में आवासीय में कॉमर्शियल निर्माण का ज्यादा खेल होता है। चारबाग और नाका में जहां ज्यादातर आवासीय नक्शे में होटल या अन्य कॉमर्शियल प्रतिष्ठान बने हैैं, पुराने लखनऊ में भी ऐसे मामले आते रहते हैं।ये है नियमअगर किसी निर्माणकर्ता की ओर से आवासीय नक्शा पास कराया गया है तो किसी भी हालत में उसमें कॉमर्शियल निर्माण नहीं कराया जा सकता है। जबकि लोग आवासीय नक्शे तैयार मकान को होटल का रूप दे देते हैैं और नियमों को ताक पर रखकर लोगों की जिंदगियों को खतरे में डाल देते हैं। फायर एनओसी भी बेहद जरूरी है।नए सिरे से सभी कॉमर्शियल प्रतिष्ठानों के नक्शे की जांच कराई जाएगी। नक्शों के जांच से यह पता चल जाएगा कि कितने ऐसे कॉमर्शियल निर्माण हैैं, जो आवासीय नक्शे पर तैयार हो रहे हैं। इनके खिलाफ एक्शन लिया जाएगा।डॉ। इंद्रमणि त्रिपाठी, वीसी, एलडीए

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