फादर्स डे पर कुछ बच्चों और उनके डैड ने आई नेक्स्ट के साथ शेयर किए अपने life experiences


Lucknow: हाल ही में आई फिल्म फरारी की सवारी में एक पिता अपने बेटे की ख्वाहिशों को पूरा करने के लिए क्या नहीं करता। उसके हर सपने को अपना सपना बनाकर आखिर उसे मुकाम पर पहुंचा ही देता है। यह तो फिल्म की कहानी है, लेकिन रियल लाइफ में भी फादर्स अपने बच्चों की जिन्दगी में अब ऐसा ही रोल प्ले कर रहे हैं जो कभी मां का रूप ले लेता है तो कभी मेंटर बनकर बच्चों के हमराह हो जाते हैं। फादर्स डे पर हमने कुछ ऐसे ही फादर्स की जिन्दगी को जाना जिन्होंने अपने बच्चों के लिए क्या-क्या नहीं किया।
बच्चे ही सरमाया हैं
इंदिरा नगर में रहने वाले डॉ। वर्मा की दो बेटियां हैं। बचपन से बड़ी बेटी विधि डॉक्टर बनना चाहती थी, लेकिन छोटी बेटी यशी को कॉमर्स में करियर बनाना था। मां ने अगर बचपन में बच्चों को सम्भाला तो समझदार होते ही बच्चों के मेंटर बन गये डॉ। वर्मा।
बेटियों के कॉलेज जाकर उनकी काउंसिलिंग में बैठना हो या फिर किसी कॉम्पटीशन में हिस्सा लेना हो डॉ। वर्मा हर वक्त उनके साथ रहे और आज यही वजह है कि विधि एमबीबीएस कर रही है और छोटी बेटी यशी ने 92 परसेंटेज के साथ इंटर पास किया और बीकॉम में एडमीशन लिया है। डॉ। वर्मा कहते हैं कि मैंने अपने काम के साथ पूरा वक्त अपने बच्चों को दिया है क्योंकि वहीं जिन्दगी का सरमाया हैं।
वहीं मेरे मेंटर हैं
एक साफ्टवेयर कम्पनी में जॉब करने वाले कफील कहते हैं कि मेरी नजर में मेरे फादर ही मेरे हीरो हैं। आज में जहां हूं वहां तक पहुंचने मेें मेरे पापा ने ही साथ दिया। मुझे बंग्लोर से एमबीए करना था, लेकिन घर में कोई तैयार नहीं था उस वक्त पापा ने मेरा साथ दिया। स्कूल में एडमीशन कराने के लिए लम्बी-लम्बी लाइनों में खड़े होकर उन्होंने मेरे लिए फार्म लिये। एग्जाम टाइम में जब सब सोते थे वो मेरे साथ रहते और पढ़ाई में मेरी हेल्प करते। मैं तो उन्हें ही अपना मेंटर मानता हूं।
हौसला बढ़ाने के लिए गीतकार बन गये
किसी ऑडीशन में बेटे को लेकर लम्बी लाइन में लगना हो या फिर बेटे की परफार्मेंस के लिए तैयारी करनी हो एक कॉलेज में एडमिस्ट्रिेशन देख रहे रवीश श्रीवास्तव एक पल भी नहीं सोचते। यही नहीं बेटे के सिंगिंग टैलेंट को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने गीत लिखना शुरू कर दिये.
रवीश की इसी समर्पण का नतीजा यह है कि उनके बेटे उत्कर्ष श्रीवास्तव ने अपना रॉक बैण्ड बनाया और वह उसके लीड सिंगर और गिटारिस्ट हैं। रवीश कहते हैं बेटा जब छोटा था तभी उसने स्टेज पर गाना शुरू कर दिया था और मैंने भी फैसला कर लिया था कि बेटे के इस शौक को मैं जरुर आगे बढ़ाऊंगा। मै हर कदम पर उसके साथ रहा और अब मैं गीत लिखता हूं और वह गाता है। अब तो उसके एलबम भी आ चुके हैं।

Posted By: Inextlive