डीजी फायर अविनाश चंद्रा ने पूरे राज्य में चल रहे अस्पतालों और नर्सिंग होम्स में मॉक ड्रिल कर फायर सेफ्टी की जांच करते हुए एनओसी जांचने के निर्देश दिए थे। जिस अस्पताल में फायर एनओसी न हो उन्हें सील करने को भी कहा गया।


लखनऊ (ब्यूरो)। शहर में 583 प्राइवेट नर्सिंग होम व अस्पतालों की सुरक्षा 'भगवान भरोसेÓ है। यह हम नहीं बल्कि फायर डिपार्टमेंट कह रहा है। इन नर्सिंग होम में न तो फायर एनओसी है और न फायर के मानक पूरे किए जा रहे हैं। पहले भी कई बार नर्सिंग होम व अस्पतालों में आग लगने की घटना हो चुकी है, जिसमें मरीज व तीमारदारों की जान आफत में पड़ चुके है। बिना फायर एनओसी के चल रहे नर्सिंग होम व अस्पतालों का खुलासा तब हुआ जब डीजी फायर ने 11 से 14 मार्च तक अभियान चलाकर जांच कराई। अब डीजी फायर का आदेश है कि बिना फायर एनओसी वाले इन संस्थानों को सील किया जाए।फायर सेफ्टी चेकिंग का चलाया था अभियान


डीजी फायर अविनाश चंद्रा ने पूरे राज्य में चल रहे अस्पतालों और नर्सिंग होम्स में मॉक ड्रिल कर फायर सेफ्टी की जांच करते हुए एनओसी जांचने के निर्देश दिए थे। जिस अस्पताल में फायर एनओसी न हो उन्हें सील करने को भी कहा गया। 11 मार्च से लेकर 14 मार्च तक चले इस अभियान के दौरान कितने अस्पतालों को सील किया गया उसकी लिस्ट भी मांगी गई थी। फायर अधिकारियों ने अभियान चला कर अस्पतालों की चेकिंग की और वहां मौजूद सेफ्टी का निरीक्षण किया।

जांच में मिलीं खामियां, सील नहीं कियातीन दिन हुई मॉक ड्रिल और जांचे गए अस्पतालों की एक लिस्ट 15 मार्च को डीजी फायर को सौंप दी गई, लेकिन इसमें एक भी अस्पताल को सील किए जाने की जानकारी मौजूद नहीं थीं। राजधानी समेत सभी जिलों में अधिकतर नर्सिंग होम और अस्पताल बिना फायर एनओसी लिए ही संचालित हो रहे हैं। वहीं, राजधानी में 727 निजी व सरकारी अस्पताल और नर्सिंग होम्स है। 11 से 14 मार्च तक राजधानी के महज 68 अस्पतालों में ही मॉक ड्रिल व फायर सेफ्टी की जांच की गई। इसमें किसी भी अस्पताल को न ही सील किया गया और न ही इन्हें किसी प्रकार को नोटिस दी गई।केवल 144 के पास फायर एनओसीवर्ष 2018 से अब तक राजधानी के 430 नर्सिंग होम्स और अस्पतालों ने फायर एनओसी के लिए आवेदन किया है, जिसमें महज 144 को एनओसी दी गई है और जबकि 99 के आवेदन खारिज कर दिया गए। वहीं 430 ऐसे हैं जिनके कुछ पेंडिंग में है और कुछ को प्री एनओसी दी गई है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर जिन 99 अस्पतालों की एनओसी खारिज की गई है, उन पर इस अभियान के दौरान कार्रवाई क्यों नहीं की गई।

मेडिकल विभाग की भी अनदेखीचीफ फायर अफसर के अनुसार, अस्पतालों और नर्सिंग होम को लाइसेंस मुख्य चिकित्सा अधिकारी देते हैं, ऐसे में उन्हें देखना होगा कि जिन अस्पतालों में फायर एनओसी न हो उन्हें लाइसेंस दिया ही न जाए। इसको लेकर सीएमओ को भी पत्र भेजा जाएगा। वहीं, एसीएमओ अखंड प्रताप सिंह बताते हैं कि शासन का साफ निर्देश है कि जो भी अस्पताल और नर्सिंग होम्स है, वहां फायर सेफ्टी होना आवश्यक है। जो एनओसी लेने की श्रेणी में आते है उन्हें फायर एनओसी भी लेना ही होगा तभी लाइसेंस दिया जाता है।चीफ फायर अफसर मंगेश कुमार ने बताया कि 11 से 14 मार्च तक चले इस अभियान के दौरान हमने 68 अस्पतालों का निरक्षण किया है। इनकी रिपोर्ट का इंतजार है, जिनमें कमियां होंगी उन्हें नोटिस देकर 15 दिनों में जवाब मांगा जाएगा।-मंगेश कुमार, चीफ फायर अफसर

Posted By: Inextlive