बारिश के बाद बढ़ेगा डेंगू का खतरा, रहें सतर्क
-पहनें फुल बांह के कपड़े
-आस पास जमा न होने दें पानी, पनप सकते हैं डेंगू फैलाने वाले मच्छरLUCKNOW: पिछले साल केवल राजधानी में ही डेंगू के कहर ने 250 से अधिक जानें ले लीं। हालांकि स्वास्थ्य विभाग सरकारी आकड़ों में डेंगू से सिर्फ 18 मौतें ही मानता है। इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग और नगर विकास, नगर निगम ने अभी तक पिछले साल डेंगू के कहर से हुई मौतों के बाद भी सबक नहीं लिया है। जिम्मेदार विभाग को डेंगू और अन्य मच्छरों के बढ़ने के लिए अनुकूल परिस्थितियों को बारिश के मौसम से पहले ही दुरुस्त कर लेना चाहिए था, लेकिन यह नहीं हुआ। ऐसे में सही डीजी हेल्थ और सीएमओ स्वयं, उनकी टीम मैदान में उतरकर विभिन्न संस्थानों और घरों में जाकर जांच के साथ नोटिस जारी कर रहे हैं। वहीं नगर निगम अब तक नहीं चेता, जिसकी वजह से शहर में जलभराव और गंदगी का अंबार है। डॉक्टर्स का मानना है कि बारिश थमते ही डेंगू मलेरिया जैसी बीमारियों का प्रकोप बहुत तेजी से बढ़ सकता है।
बारिश के बाद बढ़ेगा खतरास्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार बारिश थमेगी पर मच्छरों का प्रकोप बढेगा। मच्छरों के साथ ही डेंगू मलेरिया के मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोत्तरी होगी इसलिए हमें सतर्क रहना होगा। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने लोगों से अपने घरों और आस पास, साफ सफाई के साथ ही जलभराव न होने देने की अपील। इससे हम मच्छरों के खतरे से बच सकते हैं।
पिछले वर्ष डेंगू का कहर पिछले वर्ष राजधानी में 250 से अधिक मौतें हुई और स्वास्थ्य विभाग सिर्फ 18 के आकड़े पर ही अटका रहा। इनमें 100 मरीजों का वेरीफिकेशन नहीं किया गया और प्राइवेट अस्पतालों ने कोई जानकारी नहीं दी। इस वर्ष भी यही हाल है। स्वास्थ्य विभाग के आकड़ों की मानें तो प्रदेश में लगातार डेंगू से पीडि़त मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है। वर्ष 2010 में 960 मरीज थे और 2016 में 15,033 डेंगू के मरीज सामने आए, स्थिति लगातार बिगड़ रही है। सरकार ने किया नोटीफाइडपिछले वर्ष ही डेंगू के लगातार बढ़ रहे खतरे के कारण सरकार ने डेंगू और अन्य वेक्टर जनित बीमारियों को नोटीफाई किया है। जिसके तहत सभी अस्पतालों (प्राइवेट व सरकारी) को डेंगू, मलेरिया, चिकुनगुनिया और अन्य बीमारियों के मरीजों की जानकारी स्वास्थ्य विभाग को देना अनिवार्य है, लेकिन इसमें प्राइवेट ही नहीं सरकारी विभाग भी लापरवाही कर रहे हैं। वह स्वास्थ्य विभाग को मरीजों की जानकारी नहीं दे रहे हैं। शायद इसी कारण तीन दिन पहले सीएमओ लखनऊ ने केजीएमयू, लोहिया इंस्टीट्यूट प्रशासन को नोटिस जारी की है और मरीजों की जानकारी देने के निर्देश दिए हैं। प्राइवेट अस्पतालों में भी अभी तक किसी ने जानकारी नहीं दी है जबकि बहुत से मरीज प्राइवेट पैथोलॉजी सेंटर्स में सामने आ चुके हैं। इस नोटीफिकेशन के तहत ही मच्छरजनित परिस्सि्थतियां उत्पन्न करने वाले प्रतिष्ठानों, संस्थानों, घरों और ऑफिसेज में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कर्मचारी निरीक्षण करने जाएंगे। मच्छर का लार्वा मिलने पर इस रेगुलेशन के अनुसार दंड का प्राविधान है।
दिसंबर तक पहने फुल बांह के कपड़ डीजी हेल्थ डॉ। पद्माकर सिंह ने बताया कि जुलाई से दिसंबर तक पूरी बांह के कपड़े पहन कर ही स्कूल जाएं। सभी सरकारी और निजी स्कूलों को इसके निर्देश दिए जाएंगे। साथ ही मच्छरदानी का प्रयोग करें और साफ सफाई रखें। इससे हम मच्छरों की बीमारियों से बचाव कर सकते हैं। हर रविवार मच्छर पर वारस्वास्थ्य विभाग मच्छरों से बचाव और उनको पनपने से रोकने के लिए 'हर रविवार मच्छर पर वार' जागरूकता अभियान चला रहा है। इसमें लोगों को अपने आस पास अनावश्यक एकत्र पानी को हटाना है, पानी के गड्ढों को भर देना है। घर के कूलर, फ्रिज के पीछे की पानी की ट्रे, गमलों के नीचे रखे पानी की प्लेट एवं अन्य बर्तनों को विशेष रूप से रगड़ कर साफ कर सुखा देना है।
नि:शुल्क जांच और इलाज सीएमओ डॉ। जीएस बाजपेई के अनुसार राजधानी के बलरामपुर, सिविल, लोहिया अस्पताल, केजीएमयू और एसजीपीजीआई में डेंगू के लिए नि:शुल्क इलाज उपलब्ध है। केजीएमयू, एसजीपीजीआई, लोहिया इंस्टीट्यूट के माइक्रोबायोलॉजी विभाग और स्वास्थ्य भवन की अपेक्स लैब में इसकी नि:शुल्क जांच की सुविधा है। जिसके सैंपल इन संस्थानों के अलावा बलरामपुर, लोहिया , सिविल, लोकबंधु, रानी लक्ष्मीबाई, भाऊराव देवरस में भी दिए जा सकते हैं। कोई भी व्यक्ति डॉक्टर की सलाह पर जांच करा सकता है। अस्पतालों में 10 बेड आरक्षित सीएमओ डॉ। जीएस बाजपेई ने बताया कि सभी अस्पतालों में 10 बेड का आईसोलेशन वार्ड आरक्षित करने के निर्देश दे दिए गए हैं। सभी वार्ड में खिड़की दरवाजों में जाली लगाने को कहा गया है। इन वार्डो में मच्छरों का प्रकोप न हो इसके लिए दरवाजे भी जाली युक्त लगाने को कहा है क्योंकि पीडि़त मरीज को काटने के बाद मच्छर किसी और को काटेगा तो उसे भी डेंगू का खतरा हो सकता है। सभी मरीजों को भर्ती होने की जरूरत नहींकेजीएमयू के डॉ। डी हिमांशु के अनुसार डेंगू के ज्यादातर मरीज घर पर ही ठीक हो जाते हैं सिर्फ एक परसेंट मरीजों को ही भर्ती कराने की जरूरत पड़ती है। कई बार फीवर होने पर मरीज स्वयं डेंगू टेस्ट कराने की बात कहते हैं जबकि यह ठीक नहीं है। डेंगू से पीडि़त मरीजों को मेडिकल सलाह लेकर आराम करना चाहिए और तरल आहार लेना चाहिए। यदि मरीज को हार्ट या अन्य बीमारी है तो एस्प्रिन या आईब्यूफेन दवाएं नहीं लेना चाहिए। इससे ब्लीडिंग का खतरा हो सकता है। इस बुखार में सिर्फ पैरासीटामॉल की ही दी जा सकती है।
जल एकत्रित न होने दें डॉक्टर्स के अनुसार डेंगू एडीज एजिप्टाई मच्छर के काटने से होता है। यह मच्छर दिन में काटता है और साफ पानी में होता है। इसलिए घर में या बार एक स्थान पर पानी एकत्रित न होने दें। कूलर, गमले, छत पर अधिक दिनों तक पानी जमा न होने पाए और कूलर का पानी बदलता रहे। छत पर पानी की टंकी का ढक्कन ठीक तरह से बंद रहे और कहीं से पानी का रिसाव न होने दें। दोबारा होने पर खतरा अधिक डॉक्टर्स के अनुसार मरीज को अगर हाई या लो बीपी हो, बाजुओं पर 20 से ज्यादा निशान हो, मुंह से कुछ खा न पा रहो, हाथ पैर ठंडे हो रहे, सांस फूल रही हो या किसी अंग से ब्लीडिंग हो रही हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। एसजीपीजीआई के डॉक्टर्स के मुताबिक अगर दोबारा डेंगू हुआ है तो शॉक सिंड्रोम का खतरा बना रहता है। इसलिए दोबारा डेंगू होता है तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। डॉक्टर्स के अनुसार अनुचित प्लेटलेट चढ़ाने से नुकसान हो सकता है और मरीज को दूसरी बीमारियों का खतरा रहता है। बॉक्स बॉक्स बॉक्स् डेंगू के लक्षण डेंगू बुखार में तेज बुखार के साथ नाक बहना, खांसी, आखों के पीछे दर्द, जोड़ों का दर्द और स्किन में रैसेज होते हैं। कुछ मरीजों में लाल और सफेद निशान के साथ पेट खराब व जी मिचलाना भी हो सकता है। बचाव के उपाय -दरवाजों व खिड़कियों पर जाली लगवाएं -सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें -पूरी आस्तीन के कपड़े पहनें इनका रखें ध्यान पानी की टंकियों के ढक्कन बंद रखें गमलों के नीचे रखे बर्तनों में पानी एकत्र न होने दें घर में कहीं पानी जमा न होने दें पुराने टायर, बर्तनों अन्य सामान में पानी हो तो उसे निकाल दें टोल फ्री--18001805145 सीएमओ लखनऊ कंट्रोल रुम -0522-2622080, 7398237324 कब कितने मरीज 2010-960 2013-1414 2015-3101 2016-15033 2017-84