पॉलीटेक्निक संस्थानों में संचालित पीजी डिप्लोमा इन वेब डिजाइनिंग मार्केटिंग एंड सेल्स मैनेजमेंट जैसे ट्रेडों में पिछले पांच सालों में एक तिहाई सीटें खाली रही हैं। वहीं मौजूदा पाठ्यक्रमों में नई शिक्षा नीति के तहत क्या प्रयोग है इस पर भी स्थिति स्पष्ट नहीं है।


लखनऊ (ब्यूरो)। पॉलीटेक्निक संस्थानों में कई ऐसे कोर्स चलाए जा रहे हैं, जिनमें साल दर साल स्टूडेंट्स की संख्या कम होती जा रही है। कुछ ऐसा ही हाल इस बार भी होने जा रहा है, इसके बाद भी प्राविधिक शिक्षा परिषद की ओर से इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जानकारों का कहना है कि इन विषयों का कोर्स अपडेट किया जाता तो यह समस्या सामने न आती।1.5 लाख सीटें रह गई थीं खालीगौरतलब है कि पिछले साल पॉलीटेक्निक संस्थानों में करीब 1.5 लाख सीटें खाली रह गई थीं, जिसमें करीब 28 हजार सीटें सरकारी पॉलीटेक्निक संस्थानों की थीं। वहीं सीटें न भर पाने का खामियाजा निजी पॉलीटेक्निक संस्थानों को बड़े पैमाने पर उठाना पड़ा था।वर्तमान के अनुरूप नहीं


संस्थानों के प्रिंसिपल्स के अनुसार समय के साथ इन कोर्सों को अपडेट किया गया होता आज ये स्थिति नहीं होती है। प्रिंसिपल्स के मुताबिक ऐसा भी नहीं है कि इन कोर्सों के छात्रों को रोजगार नहीं मिल सकता है, लेकिन मौजूदा जो सिलेबस है वह वर्तमान में उद्योग की अपेक्षा अपडेट नहीं है।इन कोर्सों में सीटें रहती हैं खाली- रिटेल मैनेजमेंट- मार्केटिंग सेल्स- हार्डवेयर नेटवर्किंग- टिशू कल्चर- डिप्लोमा इन होटल मैनेजमेंट- फैशन डिजाइन- प्रिंटिंग टेक्नोलॉजी

इस बार की स्थिति- कुल आए आवेदन- 218286- एग्जाम देने आए छात्र- 147673डिप्लोमा कोर्स अपडेट करने की जरूरतपॉलीटेक्निक डिप्लोमा से युवाओं का मोह भंग होता जा रहा है। बता दें कि पॉलीटेक्निक संस्थानों में दाखिले के लिए इस बार 218286 आवेदन आए पर 70613 आवेदकों ने परीक्षा ही छोड़ दी। कुल 241810 सीटों के लिए 147673 अभ्यर्थी ही परीक्षा देने पहुंचे। ऐसे में जब प्रवेश परीक्षा ही छात्र नहीं देना चाह रहे छात्र तो भला पॉलीटेक्निक संस्थानों में छात्रों की संख्या कैसे बढ़ेगी।नई शिक्षा नीति पर भी स्थिति स्पष्ट नहींपॉलीटेक्निक संस्थानों में संचालित पीजी डिप्लोमा इन वेब डिजाइनिंग, मार्केटिंग एंड सेल्स मैनेजमेंट जैसे ट्रेडों में पिछले पांच सालों में एक तिहाई सीटें खाली रही हैं। वहीं मौजूदा पाठ्यक्रमों में नई शिक्षा नीति के तहत क्या प्रयोग है इस पर भी स्थिति स्पष्ट नहीं है। समय रहते अगर मौजूदा उद्योग और कार्यों को लेकर सिलेबस अपडेट न हुए तो आने वाले दिनों में पॉलीटेक्निक संस्थानों से छात्रों का मोह और भंग होगा।मौजूदा समय में संस्थानों में प्रवेश के लिए काउंसिलिंग प्रक्रिया चल रही है, इस बार प्रवेश प्रक्रिया पूरी हो जाये, इसके बाद जिन कम आवेदन वाले पाठ्यक्रमों पर विचार किया जाएगा।

-एफआर खान, सचिव, प्राविधिक शिक्षा परिषद

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