- बैंकों को चूना लगाकर बने करोड़ों के कारोबारी

- एसटीएफ ने जानकीपुरम एरिया से दबोचा, ऑडी कार जब्त

- ठगी की रकम से तैयार किया 19 टैकर्स का बेड़ा

- ऐश की लाइफस्टाइल देख पुलिसकर्मी भी हुए हैरान

LUCKNOW :

पति कक्षा दो पास और पत्नी कक्षा पांचइस मामूली पढ़ाई-लिखाई या यूं कहें कि अनपढ़ दंपति सूरज मिश्रा और शालिनी उर्फ शालू से कोई बड़ा काम करने की उम्मीद बेमानी लगती है। पर, जानकीपुरम निवासी इस दंपति ने ऐसा काम किया कि आप भी जानकर दंग रह जाएंगे। जालसाज दंपति ने बैंककर्मियों से मिलीभगत कर पहले से गिरवी रखी जमीनों को फिर से गिरवी रख करोड़ों का लोन ले लिया और लापता हो गए। बैंकों से हड़पी रकम से दंपति ने न सिर्फ एलपीजी टैंकर्स का बेड़ा तैयार कर लिया बल्कि, ऐशोआराम के हर साधन भी खरीद डाले। बैंक की शिकायत पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज कीं। पर, उनका सुराग न लग सका। आखिरकार पुलिस ने पति-पत्नी पर 12-12 हजार रुपये का इनाम घोषित कर दिया। दर्ज एफआईआर को डेवलप करते हुए एसटीएफ की टीम ने गुरुवार को जालसाज दंपति को दबोच लिया। टीम ने उनके कब्जे से एक ऑडी कार, एक स्कॉर्पियो, एक प्रेस कार्ड, दो पैन कार्ड, पांच वोटर आईडी, दो आधार कार्ड बरामद किये हैं। अब एसटीएफ दंपति से मिलीभगत करने वाले बैंककर्मियों की तलाश में जुट गई है।

इलेक्ट्रॉनिक सामान का बिजनेस

डीआईजी/एसएसपी एसटीएफ मनोज तिवारी के मुताबिक, मूलत: बस्ती निवासी जालसाज सूरज मिश्र के पिता की कोलकाता में कपड़े की छोटी सी दुकान थी। पारिवारिक परिस्थितियों की वजह से वह केवल कक्षा दो तक ही पढ़ सका और वहीं एक सब्जी की दुकान पर काम करने लगा। वर्ष 2001 में वह लखनऊ आया और दिल्ली से इलेक्ट्रॉनिक सामान लाकर नाका मार्केट में सप्लाई करने लगा।

लव मैरेज के बाद सूझी जालसाजी

इसी दौरान उसकी दोस्ती कुछ ट्रक व्यवसाइयों से हो गई और उसने दो सेकेंड हैंड ट्रक खरीद लिये और उन्हें चलवाने लगा। कुछ समय बाद ही सूरज की मुलाकात कानपुर निवासी शालू से हो गई। उनके बीच अफेयर हो गया और उन्होंने शादी कर ली। इसी के बाद सूरज ने बैंकों को चूना लगाने की योजना पर काम शुरू किया। उसने जानकीपुरम सेक्टर-6 में मकान खरीदा। मकान की आधी-आधी रजिस्ट्री सूरज ने अपने व शालू उर्फ शालिनी के नाम पर करा ली।

फर्जीवाड़ा कर लिया लोन

पहले उसने अपने हिस्से की रजिस्ट्री पर सिंडीकेट बैंक से 39 लाख रुपये का लोन ले लिया। कुछ दिनों बाद ही उसने अपनी रजिस्ट्री के गुम होने का अखबार में इश्तहार निकलवाया और शालिनी की रजिस्ट्री व खुद की रजिस्ट्री के गुम होने के इश्तहार को हजरतगंज स्थित विजया बैंक में लगाकर उस पर एक करोड़ का लोन ले लिया। उसकी इस करतूत में बैंक के तत्कालीन मैनेजर ने कमीशन लेकर उसकी मदद की।

चल निकला लोन का धंधा

1.39 करोड़ के लोन से उसका दिल न भरा तो उसने कुछ अन्य बैंकों से रकम हड़पने की प्लानिंग की। डीआईजी तिवारी ने बताया कि विजया बैंक के तत्कालीन ब्रांच मैनेजर की सलाह पर सूरज ने एक करोड़ की ताजी सब्जी और काला नमक के स्टॉक के फर्जी कागज बनवाये। इस फर्जी स्टॉक का सर्वे बैंक के एजीएम सुशांत नाग ने किया और लोन के लिये हरी झंडी दे दी। जिसके बाद बैंक ने उसके नाम पांच ट्रक खरीदने के लिये 1.10 करोड़ रुपये का लोन पास कर दिया।

बैंक में जमा की टेम्पो की आरसी

बैंक ने यह रकम सूरज के लोन अकाउंट में भेजी। सूरज ने इसे बीकेटी स्थित अशोक लीलैंड ट्रक की एजेंसी के अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया। पर, उसने एजेंसी के अकाउंटेंट से मिलीभगत कर पूरी रकम वापस अपने सेविंग अकाउंट में वापस मंगा ली। वहीं, बैंक में उसने टेम्पो व स्कूटर की आरसी को ट्रक की बताकर बैंक को सूचित कर दिया कि उसने ट्रक खरीद लिये।

लोन हुआ एनपीए घोषित

तमाम लोन लेने के बाद सूरज और शालिनी ने अपना मकान बदल लिया और अलग-अलग जगह किराये का मकान लेकर रहने लगे। बैंक की किश्तें जमा न होने पर बैंककर्मियों ने उनकी तलाश शुरू की लेकिन, दस्तावेजों में दर्ज पते पर वे नहीं मिले। काफी तलाश के बाद भी जब उनका पता नहीं चला तो बैंक ने 2.49 करोड़ के लोन को एनपीए (नॉन परफॉर्मिग एसेट) घोषित कर दिया और पति-पत्नी के खिलाफ हजरतगंज कोतवाली में एक व विकासनगर थाने में दो एफआईआर दर्ज करा दीं।

घर बदले लेकिन, फितरत नहीं

2.49 करोड़ रुपये के लोन लेने के बाद सूरज व शालिनी ने कई घर बदले लेकिन, फितरत नहीं बदली। सूरज ने हजरतगंज स्थित विजया बैंक से 48 लाख रुपये की ऑडी कार फाइनेंस कराई। पर, बैंककर्मियों की मिलीभगत से उसने कार की आरसी में बैंक का हाइपोथिकेशन दर्ज नहीं होने दिया। कुछ समय बाद उसने कार को पत्नी शालिनी के नाम ट्रांसफर कर दिया और कोटक महिंद्रा बैंक से उसने कार पर 15 लाख रुपये का लोन पास करा लिया।

संचालित कर रहा 19 टैंकर्स का बेड़ा

डीआईजी मनोज तिवारी ने बताया कि तमाम बैंकों से हड़पी रकम से सूरज और शालिनी ने न सिर्फ अपनी ऐशोआराम की तमाम चीजें खरीदीं बल्कि, एलपीजी ढोने वाले 19 टैंकर्स का बेड़ा तैयार कर लिया। यह सभी टैंकर इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन से अटैच हैं, जिनसे जालसाज दंपति को हर महीने लाखों रुपये की कमाई हो रही है।

कसीनो में भी बना ली गुडविल

ठगी की रकम से सूरज ने प्रॉपर्टी बनाने के साथ ही जमकर ऐश भी की। ऑडी कार से चलना और रहने के लिये महंगे फ्लैट्स किराये पर लेने के साथ ही वह जुआ खेलने नेपाल के कसीनो जाता था। वहां अक्सर पहुंचकर मोटी रकम का जुआ खेलने वाले सूरज की कसिनो में गुडविल बन गई। नतीजतन, रकम खत्म हो जाने पर उसे कसीनो से जुआ खेलने के लिये लोन भी मिल जाता था। जिसे वह भारत लौटकर चुका देता था।

रसूख दिखाने को बनवा रखा था प्रेसकार्ड

जालसाजी कर करोड़ों की रकम हड़पने वाले सूरज मिश्रा ने पुलिस व बैंककर्मियों को अपना रसूख दिखाने के लिये पत्रिका 'एंटी करप्शन-न्यूज एंड व्यूज' का राष्ट्रीय संरक्षक बन बैठा। एसटीएफ की गिरफ्त में आने के बाद सूरज ने बताया कि पत्रिका के एडिटर वीके दीक्षित ने उसे राष्ट्रीय संरक्षक बनाया था। इसके एवज में दीक्षित ने उससे मोटी रकम ऐंठी थी।

साली से मिला सुराग, दबोचे गए

एएसपी डॉ। अरविंद चतुर्वेदी ने बताया कि फरार दंपति की पुलिस तलाश कर रही थी लेकिन, उनका सुराग नहीं लग पा रहा था। इसी बीच उन्हें पता चला कि सूरज की साली इंदिरानगर में परिजनों के साथ रहती है। टीम ने उसकी निगरानी शुरू की तो पता चला कि आरोपी सूरज व शालिनी जानकीपुरम एरिया में एक आलीशान मकान किराये पर लेकर रह रहे हैं। जिसके बाद टीम ने जानकीपुरम स्थित घर पर छापेमारी कर उन दोनों को दबोच लिया।

Posted By: Inextlive