बहुत से लोगों में बीपी और शुगर की समस्या तो नहीं होती है लेकिन वे बार्डर लाइन पर बने रहते हैं। इन लोगों में इस समस्या की आशंका बनी रहती है। बहुत से लोगों को इसका पता ही नहीं होता है या लापरवाही में अंजान बने रहते हैं। कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बीच ऐसे लोगों को अधिक सतर्क रहने की जरूरत है। दूसरी लहर के दौरान कई ऐसे केस सामने आए थे जिनके ट्रीटमेंट के दौरान बीपी और शुगर के स्तर में उतार-चढ़ाव देखने को मिला था।


लखनऊ (ब्यूरो)। केजीएमयू के एमएस डॉ। डी हिमांशु ने बताया कि लोगों में नार्मल बीपी ऊपर का 120 और नीचे का 90 रहता है। अगर यह लेवल 130-140 हो जाता है या फिर 80-89 के बीच हो जाता है, तो इस कंडीशन को हायपरटेंशन की शुुरुआती सीमा कहा जाता है। ऐसे में दवा तो नहीं दी जाती है लेकिन लाइफस्टाइल बदलने की सलाह दी जाती है। कारण यह है कि बार्डर लाइन से हाई बीपी 150 होने में देर नहीं लगती है।शुगर वाले रखें ध्यान


डॉ। हिमांशु ने बताया कि लोगों को शुगर लेवल भी चेक कराते रहना चाहिए। फास्टिंग के साथ 126 लेवल नार्मल माना जाता है। जबकि पोस्ट फास्टिंग में 200 लेवल नार्मल होता है। अगर किसी का फास्टिंग में 100-126 के बीच में लेवल आता है तो उस स्थिति को प्री-डायबिटिक कंडीशन कहा जाता है। ऐसे में खानपान पर ध्यान देने की सलाह दी जाती है।

छिपाएं नहीं समस्या

डॉक्टर्स का मानना है कि बहुत से लोग बीपी, शुगर या अन्य दिक्कतें आने पर उसे परिजनों को भी नहीं बताते हैं। अचानक बीमारी बढऩे पर ऐसे लोगों के तुरंत अस्पताल में भर्ती कराना पड़ता है। बीमारी स्पष्ट न बता पाने पर डॉक्टरों को भी तुरंत इलाज करने में दिक्कत आती है। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान बीपी और शुगर को छिपाने वाले कुछ केस सामने आए थे।इन बातों का रखें ध्यान- दिक्कत होने पर परिजनों को बताएं- रोज एक्सरसाइज करें- दवा नहीं खा रहे तो डॉक्टर से परामर्श करें- बीपी व शुगर लेवल चेक करते रहें- अपना वजन कम करें- स्मोकिंग और अल्कोहल से दूर रहें

अगर कोई बीपी या शुगर के बार्डर लेवल पर होता है तो उनकी लाइफस्टाइल में बदलाव का सुझाव दिया जाता है। लोगों को अपना चेकअप समय-समय पर करवाते रहना चाहिए।डॉ डी हिमांशु

Posted By: Inextlive