- पांच माह से बंद कारोबार में सब कुछ बिक गया, कर्ज से चल रहा था घर

- सात माह बाद थी बहन की शादी, बहन की ज्वैलरी तक बिक गई

- युवक ने दे दी जान, पहले भी सूदखोरी के चलते पटरी दुकानदार दे चुके जान

LUCKNOW: लॉकडाउन से न केवल छोटे कारोबारी का व्यापार चौपट हो गया बल्कि उसकी जिंदगी अंधेरे में चली गई। पांच माह की बंदी के चलते कई पटरी दुकानदारों ने आर्थिक तंगी के चलते अपनी जान दे दी। अमीनाबाद का पटरी दुकानदार हो या फिर निशातगंज का फल कारोबारी सूखदोरी व आर्थिक तंगी के चलते अपनी जान देने को मजबूर हो गए। रेडीमेड की दुकान लगाने वाला जीतू हो या फिर फल की ठेला लगाने वाला प्रिंस। महज 26 साल की उम्र में दो नवजवानों ने हालात से हार कर आत्महत्या कर ली।

परिवार के इकलौते कमाने वाले थे दोनों

निशातगंज स्थित पांचवी गली के फल विक्रेता प्रिंस (20) ने अगस्त में जहर खाकर जान दे दी। उसके परिजनों ने आरोप लगाया था कि इलाके की एक महिला ने ब्याज पर पैसा दिया था। पैसा वापस करने के लिए महिला लगातार ब्लैकमेल कर रही थी। कारोबार ठप होने के चलते प्रिंस ब्याज पर लिया पैसा वापस नहीं कर पा रहा था। इससे परेशान होकर उसने जान दे दी। प्रिंस परिवार में इकलौता कमाने वाला था। वहीं अमीनाबाद का जीतू भी परिवार में इकलौता कमाने वाला था।

बहन की शादी के जेवर तक बिक गए

जीतू अमीनाबाद मार्केट में लेडीज रेडीमेट कपड़े की दुकान लगाया था। उसकी दुकान करीब चालीस साल पुरानी है। इससे पहले उसके पिता व भाई दुकान लगाते थे। पिता की मौत और भाई के घर छोड़ने के बाद पूरी जिम्मेदारी जीतू पर आ गई थी। जीतू की पत्‍‌नी रोशनी व पांच साल का बेटा है। इसके अलावा उसके ऊपर मां ऊषा व बहन जूली की जिम्मेदारी थी। लॉकडाउन से पहले उसने बहन जूली की शादी तय की थी और सात महीने बाद ही बहन की डोली घर से विदा होनी थी। अपनी पूरी कमाई से उसने बहन की शादी के लिए ज्वैलरी बनवाई थी। लॉकडाउन में बंदी के चलते उसकी जमा पूंजी खत्म हो गई और सूद का ब्याज अदा करते करते उसकी बहन की शादी की ज्वैलरी तक बिक गई।

लॉकडाउन खुला, लेकिन नहीं लग सकी दुकान

लॉकडाउन के बाद अनलॉक होने पर बाजार लगने की मंजूरी मिली, लेकिन तब तक जीतू के परिवार की हालत इस कदर बिगड़ चुकी थी कि न तो उसकी दुकान लग सकी और न ही उसके पास पैसा बचा। बहन जूली का आरोप है कि पटरी दुकानदार होने के चलते कई बार दुकानदारों ने दुकान लगाने से उसका विरोध कर दिया, जिससे वह परेशान रहने लगा। दो दिन पहले जीतू ने आत्महत्या कर ली। प्रिंस के आत्महत्या का मामला हो या फिर जीतू के जान देने की बात हो। दोनों युवकों की मौत के बाद से पटरी दुकानदार आक्रोशित हैं।

बाक्स।

सूदखोरों का फैला जाल

छोटे दुकानदार हो या पटरी कारोबारी इन सबका व्यापार सूद के पैसों पर चलता है। हर दिन कच्चा माल की खरीदारी के लिए दस से पंद्रह प्रतिशत ब्याज पर पैसा लेते हैं और दूसरे दिन ब्याज चुकता करते हैं। बिना लाइसेंस के कई दबंग प्रवृत्ति के लोग छोटे दुकानदारों को ब्याज पर पैसा देते हैं और कई गुना ब्याज वसूलते हैं। कई बार पैसे न देने पर उनके साथ मारपीट तक करते हैं। मानसिक प्रताड़ना से आहत होकर छोटे कारोबारी अपनी जान देने को मजबूर हैं।

नहीं फंसते कानून के शिकंजे में

सूदखोरों का कारोबार पूरी तरह से गैर कानूनी होने के साथ साथ बिना लिखा पढ़ी के चलता है। गारंटी के तौर पर वह केवल किसी साथी दुकानदार की गवाही लेते हैं। छोटी रकम पर भी मोटे ब्याज के साथ पैसा बांटते हैं। लिखा पढ़ी न होने के चलते वह कई बार कानून के शिकंजे से भी बच निकलते हैं। छोटा व्यापार करने वाले बिना इन दबंग सूखदोरों से पैसा लिए कारोबार नहीं कर पाते हैं।

Posted By: Inextlive