- ऑब्स एंडी को कम प्रिफर कर रही टॉपर ग‌र्ल्स एमबीबीएस डॉक्टर

- अब सर्जरी, मेडिसिन व पीडिया को दे रही वरीयता

LUCKNOW (4 April): मेडिकल फील्ड में अभी तक गर्ल कैंडीडेट ऑब्स एंड गाइनी को ही प्रिफर करती थीं, लेकिन अब वे मेडिसिन, सर्जरी और पीडियाट्रिक्स जैसी टफ ब्रांचेस को प्रिफर कर रही हैं। हर मोर्चे पर ब्वॉयज कैंडीडेट्स को टक्कर दे रही हैं।

टॉप सीट्स पर ग‌र्ल्स का कब्जा

इस बार यूपीपीजीएमईई में टॉप की रैंक्स में सबसे ज्यादा ग‌र्ल्स छाई रहीं। टॉपर होने के साथ ही विभिन्न फील्ड्स में वह आगे बढ़ रही हैं। केजीएमयू के डॉक्टर्स की माने तो अभी तक ग‌र्ल्स डॉक्टर्स पीजी के लिए ऑब्स्ट्रेटिक्स एंड गाइनीकालॉजी (स्त्री रोग विभाग) को ही चुनती थीं। कुछ डॉक्टर ही अन्य विभागों को अपने करियर के रूप में प्रिफर करती थी, लेकिन अब ट्रेंड बदल रहा है।

Boys होंगे बेचैन

ख्0क्ब् के रिजल्ट में एमडी एमएस के एंट्रेस के रिजल्ट में टॉप क्0 में से भ् सीटों पर ग‌र्ल्स का कब्जा रहा। वहीं, एमडीएस में टॉप क्0 में 8 सीटों पर ग‌र्ल्स छाई रहीं। टॉप सीटों पर ग‌र्ल्स के आने से ब्वायज के चिंता बढ़ेगी। काउंसलिंग करा रहे एक प्रोफेसर की माने तो ज्यादातर टॉपर ग‌र्ल्स ने इस बार ऑब्स एंड गाइनी की बजाय मेडिसिन और पीडियाट्रिक्स व सर्जरी की सीटें उठाई, जिसके कारण उनके नीचे की रैंक की ग‌र्ल्स को ऑब्स एंड गाइनी मिल गई। उधर, पहले ग‌र्ल्स इन्हें प्रिफर न कर ऑब्स एंड गाइनी लेती थी। जिसके बाद नीचे रैंक की ग‌र्ल्स टफ ब्रांचेज को छोड़ देती थी। ये सीटें ब्वॉयज कैंडीडेट्स के खाते में चली जाती थीं और ब्00 रैंक वाले ब्वॉयज को भी अच्छी सीटें मिल जाती थीं, लेकिन इस बार ब्वॉयज रह गए।

गया वह जमाना

केजीएमयू के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के प्रो। विजय कुमार ने बताया कि पिछले एक दो साल से ट्रेंड बदल रहा है। ग‌र्ल्स हर फील्ड में जा रही हैं। टॉपर सर्जरी और मेडिसिन में जाना चाहती हैं वे मेहनत करने से नहीं घबरातीं। टॉपर हैं तो उन्हें आसानी से सीट भी मिल जाती है। सर्जरी के बाद वे प्लास्टिक, यूरो, न्यूरो सर्जरी में भी जा रही हैं। हमारे यहां प्लास्टिक सर्जरी में ही फ् स्टूडेंट एमसीएच कर रही हैं।

नहीं चाहिए नॉन मेडिकल ब्रांचेस

हर साल की तरह इस साल भी नान मेडिकल ब्रांचेज में डॉक्टर्स का इंट्रेस्ट कम ही है। फिजियोलॉजी, एनाटॉमी, फारेंसिक साइंस, बायोकेमेस्ट्री और एसपीएम की सीटें शायद इसी कारण बुधवार को भी स्टूडेंट्स ने छोड़ दी। सब अगली काउंसिलिंग का वेट करते रहे। हालांकि, गुरुवार को ये सीटें भी फुल हो गई। कारण साफ है कि इन ब्रांचेस में पीजी करने के बाद इलाज के मौके कम या नहीं मिलते हैं जिसके कारण एमबीबीएस डॉक्टर्स इन्हें प्रिफर नहीं करते। कुछ ऐसा ही हाल रेडियोथिरेपी विभाग का है। स्टूडेंट सबसे आखिरी में इसे ही चुनते हैं। उसके बाद नॉन मेडिकल ब्रांचेज की बारी आती है। एक एमबीबीएस डॉक्टर ने बताया कि इस ब्रांच में कैंसर पेशेंट्स का इलाज होता है और पेशेंट्स की डेथ बहुत अधिक होती है। साथ ही रेडियेशन का भी खतरा रहता है जिसके कारण जल्दी लोग इसे प्रिफर नहीं करते।

Posted By: Inextlive