ट्रांजेक्शन के साथ बढ़ता गया ऑनलाइन फ्रॉड
- साइबर क्राइम पिछले तीन सालों में हुआ दो गुना
LUCKNOW : नोटबंदी के बाद से ऑनलाइन फ्रॉड में अचानक तेजी आई है। पिछले तीन सालों के साइबर सेल के आंकड़े को देखें तो 8 नवंबर 16 के बाद साइबर फ्रॉड के मामले दो से तीन गुना अधिक हो गए हैं। यह वह आंकड़े हैं जो साइबर सेल तक पहुंचते हैं। जबकि ऐसे सैकड़ों मामले पुलिस की नजरअंदाजी के चलते न तो दर्ज होते हैं और ना ही साइबर सेल तक आते हैं। जागरुकता की कमी 8 नवंबर 16 को नोटबंदी के बाद ऑनलाइन ट्रांजेक्शन में तेजी आई। लेकिन इसके लिए बरती जाने वाली सिक्योरिटी पर ध्यान न देने से साइबर क्राइम का लोग शिकार होना भी शुरू हो गए। लोगों में इसको लेकर जागरुकता की कमी के चलते साइबर क्राइम लगातार बढ़ता जा रहा है। बाक्स साइबर ठगी की हर माह आने वाली शिकायतेंओटीपी शेयर कर ऑनलाइन शॉपिंग
नोटबंदी से पहले - 100 से 110 नोटबंदी के बाद - 320 से 340 एसएमएस भेज कर ऑनलाइन फ्रॉड नोटबंदी से पहले - 20 से 30 नोटबंदी के बाद - 150 से 175 क्रेडिट कार्ड ऑफर देकर फ्रॉड नोटबंदी से पहले - 100 से 110नोटबंदी के बाद - 200 से 210
कार्ड क्लोन करके फ्रॉड नोटबंदी से पहले - 100 से 110 नोटबंदी के बाद - 180 से 190 बाक्स तीन सालों में साइबर सेल में आए मामले 2016 में आए मामले जनवरी - 51 फरवरी - 69 मार्च - 99 2017 में आए मामले जनवरी - 122 फरवरी - 113 मार्च - 115 2018 में आए मामले जनवरी - 109 फरवरी - 147 मार्च - 126 बाक्स इस तरह बनाते हैं शिकार - बैंक अधिकारी बनकर कॉल करते हैं और ओटीपी मांगते हैं। - मोबाइल पर अकाउंट बंद होने का एसएमएस आता है और नए नंबर पर संपर्क करने के लिए कहा जाता है। - क्रेडिट कार्ड पर शॉपिंग का ऑफर देकर डिटेल मांग ऑनलाइन फ्रॉड करते हैं। - डाटा हासिल करने के बाद एटीएम कार्ड का क्लोन तैयार कर अकाउंट से पैसा पार कर देते हैं। - किसी तरह का ऑफर देकर अकाउंट की डिटेल लेते हैं और फिर पैसा निकाल लेते हैं। यूपी साइबर क्रिमिनल्स के निशान परयूपी के नोएडा, लखनऊ, कानपुर समेत कई बड़े शहरों से रोज ऑनलाइन फ्रॉड की शिकायतें सामने आ रही हैं। साइबर सेल में तैनात इंस्पेक्टर विजयवीर सिंह सिरोही ने बताया कि पिछले तीन सालों में जितनी भी साइबर क्राइम की घटनाएं हुई हैं उसमें अधिकतर को बिहार के देवगढ़, गिरीट, जामताड़ा और हरियाणा व राजस्थान के जयपुर में बैठे साइबर क्रिमिनल्स ने अंजाम दिया है।
कोई गैंग रजिस्टर्ड नहीं साइबर क्राइम को अंजाम देने वाला अब तक कोई गैंग रजिस्टर्ड हुआ है। इसमें हर बार व्हाइट कॉलर लोग पकड़े जाते हैं जो दूर बैठे दूसरों के खातों से पैसा उड़ा देते हैं। सख्त कार्रवाई न होने से जमानत पर छूटने के बाद ये फिर से साइबर क्राइम के खेल में शामिल हो जाते हैं। बाक्स 45 लाख की आबादी पर एक सेल लखनऊ में एक मात्र साइबर सेल है। जिसे एफआईआर दर्ज करने का भी अधिकार नहीं है। साइबर क्राइम के बाद पीडि़त साइबर सेल पहुंचता है लेकिन एफआईआर न होने की सूरत में वह संबंधित थाने के चक्कर लगाता है। बाक्स तो मिल सकती है राहतसाइबर सेल प्रभारी सीओ अभय कुमार मिश्र ने बताया कि ऑनलाइन फ्रॉड के मामले में पीडि़त अगर फ्रॉड होने के चार घंटे के अंदर साइबर सेल को सूचना दे दे तो उसकी तत्काल मदद हो सकती है। उसका पैसा ठगों तक पहुंचने से रोका जा सकता है।
बाक्स फ्रॉड होने पर क्या करें - ऑनलाइन फ्रॉड का पता मोबाइल पर मिले मैसेज से चलता है। - मैसेज देखते ही अपने अकाउंट की समरी या फिर बैंक से पासबुक में इंट्री कराएं। - पासबुक की इंट्री के साथ अपने बैंक से गेटवे कोड लेकर साइबर सेल में शिकायत करें। - शिकायत करने के बाद संबंधित थाने में एफआईआर करें। - एटीएम को साइबर सेल तक पहुंचाएं। कोट साइबर क्राइम की घटनाएं बढ़ रही हैं। इसके लिए पब्लिक का अवेयर होना जरूरी है। बैंक के नाम पर कोई कॉल आए तो समझ लें वह फ्रॉड है। ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के दौरान सेफ्टी जरूरी है। पब्लिक को अवेयर करने के लिए प्रोग्राम चलाये जा रहे हैं। अभय कुमार मिश्र, साइबर सेल प्रभारी, सीओ हजरतगंज