लखनऊ में केजीएमयू के पास दैनिक जागरण आईनेक्स्ट द्वारा किए गए स्टिंग में खुलासा हुआ था कि लोग किस तरह एविल इंजेक्शन के माध्यम से नशा कर रहे हैं लेकिन यह तो सिर्फ शहर में एक जगह की बात है। चौक एसीपी राज कुमार सिंह ने बताया कि अस्पताल के आसपास नशा करने का मामला उजागर होने के बाद टीमें लगा दी गई हैं।


लखनऊ (ब्यूरो)। राजधानी के युवाओं में नशा करने की लत एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। सिगरेट-शराब के अलावा अब वे ऐसे विकल्पों का रुख कर रहे हैं, जो अधिक तेजी से सेहत बिगाड़ने का काम करते हैं। इनमें इंजेक्शन के जरिए ड्रग्स लेना, व्हाइटनर, नेल पॉलिश रिमूवर, सुलेशन, पेट्रोल वगैरह सूंघना या भांग, बैन की गईं मेडिसिंस, कफ सिरप आदि का सेवन करना शामिल है। ये नशे के विकल्प कैसे उन तक पहुंचते हैं? इन्हें सप्लाई करने वाले गैंग कहां एक्टिव हैं? किस तरह यह पूरा रैकेट काम करता है? पढ़ें ऐसे ही तमाम सवालों के जवाब तलाशती दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की खास रिपोर्टसेटिंग से उपलब्ध हो रहीं दवाइयां


टीनएज में बच्चे सबसे ज्यादा नशे की लत की तरफ अट्रैक्ट होते हैं। वे दूसरों को देख उत्सुकता में इसे ट्राई करना चाहते हैं और फिर उन्हें इसकी आदत लग जाती है। वे इसके खतरों से अंजान होते हैं। हैरानी की बात यह भी है कि प्रतिबंध होने के बावजूद उनको आसानी से नशा मुहैया हो जाता है। नशे के लिए युवाओं के द्वारा टैबलेट से लेकर कफ सिरप और विभिन्न तरह के इंजेक्शन का इस्तेमाल किया जा रहा है। अमूमन इन दवाओं को डॉक्टर के प्रिसक्रिप्शन के बगैर बेचा नहीं जा सकता। राजधानी में अधिक सख्ती होने की वजह से यहां के मेडिकल स्टोर से दवाइयां न के बराबर मिलती हैं, लेकिन कई बार दुकानदारों से सेंटिंग और दूसरे शहरों से मंगवाकर युवा नशा करते हैं।ऐसे काम करता है पूरा रैकेटनशा करने वाले एक शख्स ने बताया कि कई ऐसे लोग हैं, जो गांजा, हिरोइन और चरस का नशा करने के शौकीन हैं। इनको खरीदने के लिए अड्डा बना होता है। यहां पर सिर्फ उन्हीं लोगों को नशा बेचा जाता है, जो पहले से ही एक-दूसरे से कनेक्ट होते हैं। अगर कोई नया शख्स इन नशे को खरीदना चाहे तो उसे मिलेगा ही नहीं, सिर्फ उन्हीं को मिलता है जो पहले से इनके कस्टमर होते हैं।यहां पर सबसे ज्यादा एक्टिव गैंगपुलिस जांच में यह बात सामने निकलकर आई है कि शहर में सबसे ज्यादा नशा तस्करी के मामले आलमबाग, चारबाग, नाका, हुसैनगन, बाजारखाला, चिनहट, जानकीपुरम, मड़ियांव, मलिहाबाद, हसनगंज, सआदतगंज, सहित कई इलाके में नशा तस्करी का मकड़जाल फैला है। आए दिन पुलिस इन जगहों से नशा तस्करों को गिरफ्तार करती रहती है।छोटे बच्चे बनते हैं मुखबिर

एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि शहर के कई ऐसे एरियाज हैं, जहां पर नशा तस्करी का खेल चलता है, लेकिन जब टीम मौके पर जाती है तो वे अलर्ट हो जाते हैं, जिसकी वजह से ये तस्कर पुलिस की पकड़ से दूर हो जाते हैं, लेकिन कई केसों में पकड़े तस्करों से पूछताछ में सामने आया कि ये लोग गलियों के बाहर बच्चों को मुखबिर बनाकर खड़ा कर देते हैं और जैसे ही पुलिस या फिर कोई अंजान शख्स दिखता है तो फौरन ही वे अलर्ट कर देते हैं।पुलिस का कड़ा पहराकेजीएमयू के पास दैनिक जागरण आईनेक्स्ट द्वारा किए गए स्टिंग में खुलासा हुआ था कि लोग किस तरह एविल इंजेक्शन के माध्यम से नशा कर रहे हैं, लेकिन यह तो सिर्फ शहर में एक जगह की बात है। चौक एसीपी राज कुमार सिंह ने बताया कि अस्पताल के आसपास नशा करने का मामला उजागर होने के बाद टीमें लगा दी गई हैं। साथ ही नशे पर लगाम लगाने के लिए खास रणनीति बनाई गई है। अगर कोई प्रतिबंधित नशा करता या इसे बेचता पकड़ा जाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।इन नशों का हो रहा ज्यादा इस्तेमाल

पेट्रोल सूंघना- पेट्रोल की गंध सांसें रोक सकती है। पेट्रोल सीधे नर्वस सिस्टम पर असर करता है, जिसके चलते दिमाग तक ऑक्सीजन की सप्लाई रुक जाती है और मौत हो सकती है, लेकिन कुछ लोग इसे नशे के लिए यूज करते हैं।नेल पॉलिश रिमूवर- नेल पॉलिश रिमूवर का इस्तेमाल धड़ल्ले से नशे के लिए किया जा रहा है। युवा इसे रूमाल पर छिड़ककर सूंघते हैं। रिमूवर की शीशी भी 20 से 40 रुपए में आसानी से दुकानों पर मिल जाती है।व्हाइटनर- व्हाइटनर मार्केट में आसानी से मिल जाता है। युवा इसे खरीद लेते हैं और फिर पीकर या सूंघकर नशा करते हैं। हालांकि, अगर इस नशे को रोज करने की लत लग जाए तो मौत भी हो सकती है।कफ सिरप- ऐसे कई सारे कफ सिरप हैं, जो बिना डॉक्टर के प्रिसक्रिप्शन से आसानी से मिल जाता है। जिसे युवा नशे के लिए इस्तेमाल करते हैं, इन कफ सिरप को डोज से अधिक लिया जाता है, जिससे नशा चढ़ता है।सुलेशन- लोग इसे कपड़े में डालकर एक छोटा सा छेद कर उसे सूंघते रहते हैं आखिर में उसे खा लेते हैं। इससे वह दिनभर नशे में रहते हैं। कई बार ओवरडोज की वजह से कुछ होश नहीं रहता।
आयोडेक्स- इसे कई लोग नशे के लिए यूज करते हैं। नशे के आदी बच्चे तो दर्द कम करने वाली इस दवा को डबलरोटी में बटर जैसे लगाकर भी इसका सेवन करते हैं, जिससे नशा होता है।इनको भी किया जाता है यूजकोको कफ सिरफ, आरसी कफ सिरफ, नाइट्रोसन टैब, रीडॉफ, नाइट्रोहैंप टैबलेट, डायलेक्स डीसी टैबलेट, नाइट्राजेप्म टैब, कोफिन कफ सिरफ, रेक्सस कफ सिरफ, फियरमिन मालेट इंजेक्शन, पेंटाजोसिन इंजेक्शन, ऑनरेक्श सिरफ, विनकोरेक्श आदि।इसे भी जान लीजिये- 07 सेकेंड में मादक पदार्थ या तंबाकू से एक मौत होती है।- 01 सिगरेट जिंदगी के नौ मिनट पी जाती है।- 01 गुटखा या तंबाकू लाइफ के तीन मिनट घटा देती है।- 90 परसेंट फेफड़े का कैंसर व 25 परसेंट रोगों का कारण नशा है।ऐसे छोड़ें नशे की लत- सिगरेट या गुटखे की तलब हो तो इलायची या सौंफ आदि लें।- दवाओं के जरिए भी ड्रग्स की लत को छोड़ा जा सकता है।- योग, ध्यान और एक्सरसाइज कर खुद को फिट रखें।- पक्का इरादा करें और कभी नशा न करें।- अगर आप नशा छोड़ने के इच्छुक हैं तो अपनों का सहारा लें।

Posted By: Inextlive