करीब 200 साल पुरानी बनी सड़क तोड़ने में छूटे कर्मचारियों के पसीने

ठेकेदार ने सड़क तोड़ने के लिए मंगवाया है स्पेशल कटर

Meerut। सदर थाने के ठीक सामने से शिव चौक तक जाने वाली सड़क इन दिनों चर्चा में है। कैंट बोर्ड ने इन दिनों सदर में सीवर लाइन बिछाने का ठेका दे रखा है। ऐसे में बाकी जगह का काम तो ठीक-ठाक हो गया है, पर जैसे ही सदर थाने के सामने से शिवचौक जाने वाली सड़क पर सीवर लाइन का काम अटक गया। कारण, सड़क को तोड़ा नहीं जा सका। ठेकेदार के मुताबिक अब सड़क को तोड़ने के लिए स्पेशल कटर मंगवाया जा रहा है। बताते हैं कि दो बार पहले भी यहां एक कंपनी ने लाइन बिछाने की कोशिश की लेकिन सड़क को तोड़ने की कोशिश नाकाम ही साबित हुई।

रोड के ऊपर पांच लेयर

ठेकेदार रुपेश के अनुसार सदर थाना से शिव चौक तक की सड़क करीब 200 साल पहले अंग्रेजों के जमाने की बनी आरसीसी रोड है। जिसकी चौड़ाई करीब एक फुट के करीब है। ये सड़क सवा तीन रनिंग मीटर के बराबर करीब हजार फुट है, जिसे तोड़ने में दिक्कत आ रही है। मगर अब सड़क को तोड़ने के लिए गुरुग्राम से स्पेशल कटर मंगवाया गया है। पुरानी रोड के ऊपर पांच लेयर थी। ये तीन इंच की एक के बराबर थी, जो आसानी से टूट गई मगर आरसीसी वाली सड़क नहीं टूटी।

कैंट बोर्ड की जिम्मेदारी नहीं

वहीं कैंट बोर्ड के आलाधिकारियों से जब इस विषय पर बात की गई तो उनका ये कहना था कि उन्होनें सीवर लाइन का ठेका दे दिया है, अब ठेकेदार जाने। कैंट बोर्ड के एई पीयूष का कहना है कि सीवर लाइन कैसे डाली जाएगी और सड़क कैसे तोड़ी जाएगी ये काम ठेकेदार का है।

ये अंग्रेजों के जमाने की सड़क है, जो बेहद मजबूत है। इसको तोड़ना मुश्किल है। पहले भी कई बार इसको तोड़ने की कोशिशें की गई है, लेकिन सड़क नहीं टूटी।

अनिल

बहुत दिन से सड़क तोड़कर सीवर लाइन डालने की कोशिश की जा रही है लेकिन सड़क नहीं टूटी। जब अंग्रेजों की सेना के लोग यहां आया करते थे तो उनके लिए यहां स्पेशल मार्केट हुआ करता था।

हरजीत

सड़क करीब दो सौ साल पुरानी है। इस सड़क को कई बार तोड़ने की कोशिश की गई लेकिन ये सड़क नहीं टूटी। इस बार भी इतने दिनों से यहां सड़क तोड़ने की कोशिश हो रही है पर सड़क टूटने का नाम नहीं ले रही।

शिव

अंग्रेजों के समय में बनी हर चीज में क्वालिटी होती थी। अब हर चीज में लो क्वालिटी होती है। जो भी चीज बनती थी, अच्छे से बनती थी। घर की छतों में सरिया यूज करते थे। पहले टेक्नोलीजी नहीं थी तो सेफ्टी सेक्टर ज्यादा लेकर चलते थे। आज बिल्डिंग की वेलिडिटी केवल सौ साल होती है।

बुवेंद्र सिंह भाटी, सिविल इंजीनीयर,

सदर बाजार अंग्रेजी फौजों के लिए था। अंग्रेज सदर आबूनाले के उधर रहते थे और इधर की तरफ के हिंदुस्तानी सिपाही ज्यादा रहते थे। अंग्रेज इधर आकर अपना खाना खुद खरीदते थे। दरअसल, सदर बाजार को कैंट के पास फौजियों की सुविधा के लिए बनाया गया था।

डॉ। अमित पाठक, इतिहासकार

Posted By: Inextlive