इंफो..मरीजों को मिलेगा दिव्यांगों का कोटा
1 लाख से अधिक थैलेसीमिया ग्रसित बच्चे हैं भारत में
50 प्रतिशत बच्चे 25 वर्ष की आयु पूर्व ही मर जाते हैं। 10 हजार से अधिक बच्चे हर साल थैलेसीमिया के साथ जन्म लेते हैं। 46 पेशेंट्स मेडिकल कॉलेज में थैलेसीमिया का ट्रीटमेंट ले रहे हैं। 36 पेशेंटस मेल हैं। 10 पेशेंट फीमेल हैं। 2016 में 18 वर्ष की उम्र तक के 27 पेशेंट्स को ट्रीटमेंट दिया गया। 2017 में 17 पेशेंट्स को ट्रीटमेंट दिया गया। इस वर्ष 7 पेशेंट्स को ट्रीटमेंट दिया गया। जिला अस्पताल में थैलेसीमिया के मरीजों को फ्री ब्लड दिया जाता है। 15 से 30 दिन में थैलेसीमिया के मरीज को खून बदलवाना पड़ता है। थैलेसीमिया की माइनर, इंटरमीडिएट व मेजर फार्म में पाया जाता है। मेजर थैलेसीमिया खतरनाक होता है। इलाज के लिए आधार कार्ड हुआ जरूरीनॉर्थ इंडिया में मेडिकल कॉलेज पहला फुल फ्री ट्रीटमेंट देने वाला सेंटर
Meerut। थैलेसीमिया आज के समय में लोगों की जिंदगी की रफ्तार को कम कर रहा है। हालांकि, यह जेनेटिक डिजीज जितनी घातक है, इसके बारे में जागरूकता का उतना ही अभाव है। थैलेसीमिया से मरीजों को बेहतर सुविधाएं मिले इसके लिए बीमारी को अब दिव्यांगता की श्रेणी में शामिल किया गया है।
जरूरी है आधार कार्ड
नार्थ इंडिया में मेडिकल कॉलेज पहला फुल फ्री ट्रीटमेंट देने वाला सेंटर है। केंद्र सरकार ने थैलेसीमिया पीडि़तों को निशुल्क इलाज देने के लिए 76 लाख का बजट जारी किया था। यहां चार बेड वाला डे केयर वार्ड भी बनाया गया है। थैलेसीमिया पेशेंट को लिकोफिल्टर ब्लड, एचपीएलसी व आयरन चिलाहन थैरेपी यानि ब्लड में आयरन कंट्रोल करने की हाईटेक सुविधा मिल रही है। पंजाब, हरियाणा, यूपी के कई शहरों से लोग इलाज कराने पहुंच रहे हैं। वहीं, थैलेसीमिया के इलाज के लिए आधार कार्ड जरूरी हो गया है। ये है लक्षण थैलेसीमिया में खून नहीं बनता। बोन मैरो में डिस्फंक्शन की स्थिति पैदा हो जाती है। बॉडी पार्ट्स डिएक्टिव हो जाते हैं इम्युनिटी वीक हो जाती है। स्किन और नाखूनों में पीलापन आने लगता है। आंखें और जीभ भी पीली पड़ने लगती हैं। ऊपरी जबड़े में दोष आ जाता है। लीवर बढ़ जाता है। बचने के उपाय ब्लड का टेस्ट करवाकर पहचान कर लेनी चाहिए। शादी करने से पहले लड़के और लड़की के ब्लड का टेस्ट जरूर करवा लेना चाहिए। नजदीकी रिश्ते में शादी-विवाह करने से परहेज रखना चाहिए।थैलेसीमिया के पेशेंट्स को हमारे यहां पूरा ट्रीटमेंट फ्री दिया जा रहा है। अभी लोगों में इसके प्रति अवेयरनेस कम हैं।
डॉ। नवदीप रत्न, नोडल इंचार्ज, थैलेसीमिया