प्रशासन से ऊपर हैं स्कूल
आई कनसर्न
- कहीं एक बार फिर फाइलों में न सिमट जाएं प्रशासनिक निर्देश - पिछले साल भी हुई थी, मीटिंग जारी किए गए थे बिंदु मेरठ- जिला प्रशासन व पब्लिक स्कूलों के बीच फीस वृद्धि व अन्य शुल्क को लेकर गुरुवार को हुई मीटिंग में तय बिंदु लागू कैसे होंगे? क्योंकि पिछले साल भी इसी तरह मीटिंग का दौर चला था, लेकिन सभी निर्देश हवा हवाई ही साबित हुए। ऐसे में पेरेंट्स यहीं उम्मीद लगा रहे हैं कि इस बार भी मीटिंग करने से कोई फायदा नहीं होने वाला। लास्ट ईयर चला था मीटिंग का दौरपिछले साल भी पब्लिक स्कूलों की मनमानी को लेकर मीटिंगों के दौर चले थे। मीटिंग भी सब एडमिशन शुरू होने के बाद हुई थी, जिनका कोई फायदा नहीं था। पिछले साल पांच बार मीटिंग हुई थी। उस समय विभिन्न बिंदुओं पर स्कूलों से जवाब तलब किया गया था। लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ और इस साल भी एडमिशन होने के बाद ही मीटिंग हुई है। जिसका कोई फायदा नहीं है।
-------- इस बार ये हुई चर्चाएं - सभी स्कूलों को एडीएम सिटी ने 10 प्रतिशत तक ही फीस वृद्धि करने की बात रखी है। - डोनेशन लेने वाले स्कूलों पर कार्रवाई होगी।- मांगा गया है पिछले पांच सालों का शिक्षकों को वेतन, वार्षिक, परीक्षा, स्मार्ट क्लास शुल्क, मेंटीनेंस शुल्क, भवन शुल्क, अन्य शुल्क आदि की जानकारी का रिकॉर्ड।
- बस में गैस सिलेंडर मिलने पर कार्रवाई होगी। - बस व टैंपों को स्कूलों के अंदर खड़ा करने के लिए कहा हैं। - एनसीईआरटी बुक्स लगाने को कहा गया है । - तीन साल से पहले यूनिफार्म न बदली जाए। --------- फाइलों में रह गए निर्देश पिछले साल भी प्रशासन ने स्कूलों के साथ मीटिंग कर कई तरह के निर्देश जारी किए थे, लेकिन किसी निर्देश का पालन नहीं हुआ। निर्देश : फीस केवल उन्हीं मदों पर ली जा सकती है जो राज्य सरकार द्वारा निर्धारित हों। हकीकत : अन्य मदों में वसूली की गई। स्कूल मैग्जीन के पैसे भी बच्चों से लिए गए। निर्देश: शिक्षण संस्थानों में केवल एक ही बार प्रवेश शुल्क लिया जाए, आगामी क्लास के लिए प्रवेश बार बार नहीं होना चाहिए। हकीकत : ऐसा कोई स्कूल नहीं है जिसने एनुअल चार्ज न लिया हो, लेकिन किसी खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई।निर्देश : स्कूलों में ऐसे छात्र जिसने हाईस्कूल उसी स्कूल से की है व 11 वीं में रजिस्ट्रेशन फीस नहीं देगा।
हकीकत : 11वीं क्लास के बच्चों से भी स्कूलों ने एनुअल चार्ज लिया। कई स्कूलों में रजिस्ट्रेशन फीस भी ली गई।
निर्देश : भवन निर्माण के लिए स्टूडेंट्स से फीस नहीं लेनी। स्कूल में फीस का निर्धारण व वृद्धि पेरेंट्स के विचार विमर्श के बाद होगी। हकीकत : भवन निर्माण या डेवलपमेंट फीस को स्कूलों ने एनुअल चार्ज में शामिल कर लिया। फीस वृद्धि पर पेरेंट्स के साथ कोई विचार नहीं किया। निर्देश : एक बार फीस में वृद्धि किए जाने के बाद समान्य तीन शैक्षिण सत्र तक इसे लागू रखा जाएगा। हकीकत : स्कूलों की फीस वृद्धि पर प्रशासन की कोई लगाम नहीं। हर साल स्कूल बढ़ा रहे फीस। क्या कहते हैं पेरेंट्स ये हर साल का ड्रामा है, मीटिंगें कर लेते है। लेकिन जमीनी हकीकत पर स्कूलों की ही मनमानी चलती है। -सतनाम कौर हमेशा यहीं होता है, जब एडमिशन व फीस लेने का काम पूरा हो चुका होता है। उसके बाद मीटिंग होती हो जो केवल खानापूर्तिे के लिए होती है। -जसविंदर मीटिंग करने से कुछ नहीं होगा। ये पब्लिक स्कूल जिद्दी है, पेरेंट्स को लूटना ही इनका काम है। -विनेश तोमरपब्लिक स्कूल के सामने किसी की नहीं चलती है। ऐसे में ये मीटिंग करना भी समय की बर्बादी है। इनका काम है लूटना जो ये कभी भी नहीं छोड़ेंगे।
-अलका स्कूलों को विभिन्न बिंदुओं पर जबाव मांगा गया है। अगर किसी बिंदु पर जवाब नहीं मिलता तो सख्ती बरती जाएगी। -डॉ। महेंद्र देव, जेडी